Thursday 25 June 2015

मन्नू को रम्भा का खत मिला 
की कोई कविता तुम्हे नही लिखते आती 
सब , इधर उधर की फेका फेंकी। … 
इसकी उसकी देखा देखि। …। 
मन्नू ने लिखा 
 ये सुनफ़री 
सुंदरी 
आपको देखके 
जिसे जो कविता याद हो 
वो, भी भूल जाये 
लेकिन , लिखे तो, कोई क्या लिखे 

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