ये संध्या
ये संध्या जी
पता है ,
लेखन के शुरू के दिन
और हमने कितने पत्र लिखे थे
संध्या , मेरे पास ,कंही तुम्हारा वो, आखिरी खत भी है
फिर , हम सब जाने कहा खो गए
संध्या , इस बीच जिंदगी बहुत अजनबी सी गुजरी
मई अपने हालत ज्यादा नही कह पाती हूँ
किन्तु, तुम्हारा मिलना आश्चर्यजनक व् सुखद है
तुम्हारी सहेली जोग जोग
ये संध्या जी
पता है ,
लेखन के शुरू के दिन
और हमने कितने पत्र लिखे थे
संध्या , मेरे पास ,कंही तुम्हारा वो, आखिरी खत भी है
फिर , हम सब जाने कहा खो गए
संध्या , इस बीच जिंदगी बहुत अजनबी सी गुजरी
मई अपने हालत ज्यादा नही कह पाती हूँ
किन्तु, तुम्हारा मिलना आश्चर्यजनक व् सुखद है
तुम्हारी सहेली जोग जोग
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