मन जैसे
मन जैसे पानी हो गया
गुड धानी हो गया
कंही न तो,
रुकता है
न ठहरता है
न बहलता है
मन जैसे आकाश का
पखेरू हो गया है
उड़ता रहता है
बहता रहता है
मन जैसे पानी हो गया
गुड धानी हो गया
कंही न तो,
रुकता है
न ठहरता है
न बहलता है
मन जैसे आकाश का
पखेरू हो गया है
उड़ता रहता है
बहता रहता है
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