बनारस की बयार के जलवे हजार
जब चलती है सके बजार
तो मतवाली की ऋप्रषि पर
लूटते है, दिल बार बार
वो, निकलती है,
सामने से सबके
सर झुककर तीर की तरह
देखने वाले रह जाते है
आहें भर भरके
जब चलती है सके बजार
तो मतवाली की ऋप्रषि पर
लूटते है, दिल बार बार
वो, निकलती है,
सामने से सबके
सर झुककर तीर की तरह
देखने वाले रह जाते है
आहें भर भरके
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