Friday 29 November 2013

 मन्नू
मन्नू 
मन्नू -भैया , किताब ऐसी हो कि, उससे अंग्रेजी में ही इशक़ करना आ जाये 
किताबवाले-(ढूंढ़कर देते हुए )ये ले जाओ, आप उसे अंग्रेजी में प्रेस क्र सकते हो 
मन्नू--ठीक है, भैया, ये हिंदी में है तो , हम अंग्रेजी सिख लेंगे , तुम अपना बर्तन दरवाजे पर   रख देना , हम भूरि भैसीन का  ऋचा के जायेंगे 
मन्नू  एक आम के पेड़ के निचे बैठ  क्र हिंदी में अंग्रेजी सिख रहा है ,
मन्नू- मांगो तो आम 
रस्ते से लाड़ली जा रही है , ये सुनकर उसे बहुत मारती है 
मन्नू-ठीक से देखता हूँ , मेंगो 
पूजा उसे एक आम फेंक क्र मारती है 
मन्नू-ठीक है , अभी जाकर रम्भा जी को लव कहता हूँ, वो एकदम से प्रेस हो जायेगी 
पूजा --रम्भा रही है 
मन्नू -(हड़बड़ाकर )कंहा रम्भा रही है 
पूजा --हमारी काऊ 
मन्नू- यु जाऊ , यंहा से भाग 
किन्तु वो सब नही जाती तो , मन्नू ही चले जाता है 
पूजा उससे किताब  छीन लेती है 
 मन्नू 
मन्नू -
मन्नू -भैया , एक अंग्रेजी सिखने कि हिंदी वाली किताब दो, एकदम फटका , फाटाका अंग्रेजी फटाफट सीखनी है 
किताबवाले -भैया ये ले जाओ , इश्मे अंग्रेजी में इश्क़  
मन्नू -आप उस जगमोहन को चाहती हो , उसमे क्या है, एक फूंक से उड़ जाये 
रम्भा-तुम तो बिलकुल गधे हो, तुम्हे कुछ नही पता , कि वो मेरे दिल में रहते है 
मन्नू-- वो, तो  गधा है , आप नही जानती, ये मन्नू ने भूरि भैसीन के दुधवा बेचके उसे पढ़ाया लिखाया ,
रम्भा --मुझे कुछ नही पता, वो मेरे देवता है (शरमाते हुए ))मेरा प्यार है 
मन्नू- प्यार व्यार नही पता,  किन्तु,क्या मई अंग्रेजी सिखु तो, आप मुझे चाहोगी 
रम्भा (उसे घूरकर देखते हुए )-नही , हरगिज नही 
मन्नू -ये घूरकर  हो, क्या ये नही जानती कि,    

Wednesday 27 November 2013

मन्नू-आप जगमोहन को ही क्यों चाहती ह, मन्नू में क्या कमी है 
रम्भा-तुम में कमी ही कमी ह, जगमोहन अंग्रेजी के प्रोफेसर है, तुम तो अंग्रेजी के गधे हो 
मन्नू- मई अभी अंग्रेजी सिख क्र आउंगा 

Monday 25 November 2013

ये तेरा जलवा 
गाजर का हलवा 

Saturday 23 November 2013

बहुत अच्छी हो 
आप बहुत अच्छी हो 
u rain
itum 
itum bum
itum bum 
से कम हो क्या 
मुझे भी चिढ़ाना आता  है 
तुम्हारा 
तेरा तस्सवुर 
और तेरा गुरुर 
दोनों है जरुर 
तेरा तस्वुर 
और तेरा गरूर 
दोनों है , जरुर 
मन्नू जो कि कहलवाती  बना   है 
मन्नू --बीबीजी आप जगमोहन को  क्यों चाहती हो , मन्नू को चाहो न 
रम्भा-क्यों , मन्नू को क्यों 
मन्नू --इशलिये कि, वो सारे गाँव कि भैंस दोहता है 
रम्भा-भैस मीन्स 
मन्नू --वो बुफेलो 
रम्भा --ओ , बफेलो , दोहता , मुझे नही पता , तुम क्या कहती हो , चलो भाग जाओ 
मन्नू --तालाब में कूद जाता है 
और वो जब निकल जाता है तो, वो मन्नू बनके बहार आता है 
रम्भा --तुम, तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुयी , ,how dare u
mannu -डर ही तो रहे है , ठीक है घर चलो 
रम्भा नही मानती तो, वो उसे उठाके घर पहुंचाता है 
मन्नू -ये हो गयी , हमारी duty 
रम्भा अंग्रेजी में मन्नू को बहुत गली देती है 
मन्नू -जितनी भी दो , मुझे नही लगनी , तुम्हारी गालियां 

Wednesday 20 November 2013

ye , jute bandh dungi , vada kro, ki hnste muskrate aaogi, mere ghutne pr panv rakhkr shoes bndhwane

one
one two bucle my shoe
यदि तुम चाहो तो 
यह भी क्र दूंगी 
याद रखना 
तुम्हारे शुस बांध दूंगी 
किन्तु वादा  करो , कि 
हंसते मुस्कराते आओगी 
मेरे से शूज बंधवाने 
सच, वो दिन मुझे बहुत ख़ुशी मिलेगी 
जिसदिन तुम शूज बन्धवाओगी 
याद रखना , भूल न जाना   

Tuesday 19 November 2013

एतबार मत करना 
मुझपर एतबार मत करना 
kahani ka koi sira to 
कहानी का कोई सिर तो हाथ आये 
आज तो सब कुछ भूल रही हूँ 
किन्तु, लिखूंगी जरुर 
यद् मत 
यायद 
याद मत कीजिये 
आपका बश न हो दिल पर अपने 
तो, क्यों किसी से फरियाद कीजिये 
याद मत कीजिये 
पर कोई याद आये तब भी 
याद मत कीजिये 
जंहा
जंहा तुम्हारे कदम 
वंही मेरा मन 
सहरा सहरा 
गुलसन गुलसन 
जंहा तुम्हारे कदम 
वंहा मेरा मन 
सहरा सहरा
सहरा सहरा 
गुलसन गुलसन 
जंहा तुम हो 
वंही मेरा मन 
पता नही कि क्या लिखना है 
फिरभी लिखना तो होगा 
जिंदगी को आप नही समझेंगे 
कभी न खुद को जानेंगे 
दूसरे को तो, कभी नही जन सकते 

Saturday 16 November 2013

रम्भा 
रम्भा 
रम्भा को बाँहों में उठाये , मन्नू बहुत दूर तक दौड़ता जाता है 
फिर वो एक झटके में उसे उतर देता है 
रम्भागुस्सा होकर )-कहलवाती , तुम मुझे गिरा डौगी 
मन्नू अपनी ड्रेस ठीक करते हुए)-बीबीजी, तुम्हे तो, सिर्फ अपनी ही फ़िक्र रहती ह, मुझे बाकि कि भी अपने भीतर परवाह करनी होती है 
रम्भा गुस्सा होकर)-तुमने मुझे, जेम्स से दूर क्यों लायी 
मन्नू-वो, जगमोहन, मेरा सौता। … 
रम्भा अस्चर्य से)--ये क्या होता है कहलवाती 
मन्नू बनते हुए )ये मत पूछो, बहुत दिल जलता है , वो क्या है कि, आप उसे चाहती है , और मई आपको तो 
वो मेरा सौता हुवा
रम्भा--मुझे भी सौति बना लो 
मन्नन्ननउ --वो तो आप पूजा कि बन गयी है 
रम्भा --ये पूजा कौन है 
मन्नन्नु -मत पूछो, बीबी जी , उसके बिना नही कोई दूजा , बहुत अच्छी है, आप उसे अपनी सौति बना लो 
रम्भा खुश होकर )- सच , पर कैसे 
मन्नू उसके कण के प् मुख ले जाकर )-वो किसी से कहना नही , आप सिर्फ मन्नू को चाहो, तो 
रम्भा--क्या , नही 

Friday 15 November 2013

तुम्हारी हाँ में छिपा है 
मेरी जिंदगी का फलसफा 
नाराज मत होना कभी 
तुम जो चाहो , वंही होगा , हमेशा 
अब तो मुस्करा दो 
देखो
देखो जो तुम चाहो वंही होगा 
इतना गुस्सा क्यों करती हो 
क्या बात हो गयी 
मैंने जो लिखी थी 
गलत था, तो नही लिखूनी 
कभी नही लिखूंगी 
आब तो गुस्सा त्याग दो 
फिर क्या हुवा , ये कल लिखूंगी 

Thursday 14 November 2013

मन्नू और रम्भा रस्ते से जा रहे है 
मन्नू कहलवाती बना है 
रम्भा --कहलवाती , सो सेड , तब  देवू चाचा कैसे पेट भरते है 
मननु , वो रस्ते से घर जाते है , अपने घर के सामने जाकर कहते है ,           पारो ,        

Wednesday 13 November 2013

bnaras ki byar:  लिख रही हूँ  नही ,   ये कलावती मन्नू बना है उसक...

bnaras ki byar:  लिख रही हूँ  नही ,
 ये कलावती मन्नू बना है
उसक...
:  लिख रही हूँ  नही ,    ये कलावती मन्नू बना है  उसकी रम्भा से  रही है, वो रस्ते में है  कल लिखती  आज सिंडी ने मेरी  जान खा लिया , मोबाइल...
 लिख रही हूँ  नही ,  
 ये कलावती मन्नू बना है 
उसकी रम्भा से  रही है, वो रस्ते में है 
कल लिखती 
आज सिंडी ने मेरी  जान खा लिया , मोबाइल के मारे 

Monday 11 November 2013

मन्नू जो कि कहलवाती बना है , रम्भा के साथ गांव में जगमोहन के घर जा रहा है 
रस्ते में एक वृद्ध मिलते है ,जो लकड़ी रखकर जा रहे है 
रम्भा--सो साद , उन्हें क्या दीखता नही 
मन्नू ,जो कहलवाती बना है ---वो अंधे नही , प्यार में अंधे है 
रम्भा---बुत व्हाई, वो तो बूढ़े है 
मन्नू--अरे, बड़े चालू है, कोई बूढ़े नही है बनते हऐ , वो अंधे बनने का नाटक करते है तो , लड़कियां उन्हें सड़क पर करती है , तो वो उनके कंधे    पर हाथ रख लेते है, सच मुझे उनसे जलन होती है 
रम्भा---ये लो मई तुम्हारे कंधे पर हाथ रख लेती हूँ, पर तुम जलो मत 
मन्नन्नन्नु--बीबी जी, तब तो पूरी आग लग जायेगी 
रम्भा --ऐसा मत कहो , मुझे आग पसंद नही 
मन्नू---बीबी जी पानी पसंद है 
रम्भा--आई डोंट नो , जल्दी उनकी स्टोरी बताओ 
मन्नू--बता रही हूँ न, वो आप उसमे ज्यादा रूचि मत लीजिये , मुझे जलन होती है 
रम्भा --जल्दी बताओ 
मन्नू- बता, रहा,
रम्भा-रहा 
मन्नू -नही बीबी जी, आप इतना लती मत निकालो , वो देवू चाचा है , रोज एक लकड़ी लेकर निकल जाते है , और गांव भर में ये कहते हुए घूमते है , कि पारो,  मुझे जूट मारो , जूते  मआरो 
रम्भा- फिर 
मन्नू ---
शेष संवाद कल 
रम्भा --ये कलावती चलो , जगमोहन भैया के यंहा 
मन्नू जो कि कहलवाती बना है -वो आपके भैया कैसे 
रम्भा (शर्मा क्र )--वो राज कि बात है , जब वो मेरेघर आते है तो ,मई उन्हें सैंया मानती हूँ , जब उनके घर जाती हूँ , तो उन्हें भैया कहती हूँ , ये मेरा सेफ्टी कार्नर है 
मन्नू --ओ 
रम्भा--यु नो , कहलवाती , वो कितना सोबर है 
मन्नू -क्या कह रही हो , गोबर 
रम्भा (चौंक क्र )वेयर इस बार 
मन्नू (हाथ पकड़ क्र )-चलो बहार 
रम्भा--यु आर सो क्यूट 
मन्नू ---तो पप्पी ले लो न 
रम्भा--उ , आ 
मन्नू (मुंख छिपकर )-मुझे शर्म अति है , बीबी जी 

दोनों बाहर निकलते है 
नेक्स्ट शॉट 

Saturday 9 November 2013

 रहा लिखने का  
लिखने का तो रखा है 
किन्तु क्रम  है तो फिर लिखना मुश्किल होता है 
लिखने को तो बहुत है
किन्तु मन टूट सा जाता है 

Friday 8 November 2013

kya problum

रम्भा -ये कलावती , चलो, जगमोहन भैया के घर 
मन्नू   --जोकि कलावती )--  ये ,  भैया  कैसे हुए , यंहा तो    

Tuesday 5 November 2013

bnaras ki byar: मन जैसे  मन जैसे पानी हो गया गुड धानी हो गया कं...

bnaras ki byar: मन जैसे
मन जैसे पानी हो गया
गुड धानी हो गया
कं...
: मन जैसे   मन जैसे पानी हो गया  गुड धानी हो गया  कंही न तो, रुकता है           न ठहरता है  न बहलता है  मन जैसे आकाश का  पखेरू हो गया...
मन जैसे  
मन जैसे पानी हो गया 
गुड धानी हो गया 
कंही न तो,
रुकता है          
न ठहरता है 
न बहलता है 
मन जैसे आकाश का 
पखेरू हो गया है 
उड़ता रहता है 
बहता रहता है 
जब   लिखने में ब्रेक होता है 
तो, बहुत चिढ़ती हूँ 
आदत है, कि लिखने के बिच ब्रेक न हो वर्ण सारा लिखना रुक जाता है 
समझे 
मई जान गयी हु , कि ज्यादा लिखना पागलपन है 

ये कहानी आगे बढ़ानी है 
मन्नू रम्भा का दिल जित लेता है 

Saturday 2 November 2013

मन्नू --क्या वो बिलोता गया 
रम्भा --हाँ चले गये, मई उन्हें बहुत चाहती हु 
मन्नू--क्या आपको सोना नही है 
रम्भा---अंगड़ाई लेकर)--हाँ, ई ऍम टायर्ड 
मन्नू--टायर, कंहा है, क्या अभी खेलोगी 
रम्भा--नो, ई वांट स्विमिंग 
मन्नू--यंहा तो चुलु भर पानी भी नही है 
रम्भा--कम ऑन , मुझे स्विमिंग ड्रेस मे…। कहते हुए रम्भा स्विमिंग कि बिकनी में आ जाती है 
मन्नू (दोनों आँखे बंद करते हुए )-------आप कंहा डबरा में छपाक छपाक करेगी 
रम्भा--स्विमिंग करने से फ्रेश हो जाउंगी 
मन्नू( आँखे बंद किये)इतनी रत को , कंहा जावोगी, चलो सो जाओ 
रम्भा-------तुम भी स्विमिंग ड्रेस पहनो 
मन्नू---ओके, आप आँखे बंद करो 
रम्भा आँखे बंद करती है, मन्नू अपने ओरिगनाल ड्रेस पंत कमीज में आ जाता है 
मैंन्नु--आँखे खोलो 
रम्भा--(आँखे खोलकर )ओ, तुम, खल्वती कंहा गयी 
मन्नू-----ओ , चुल्ल्लु भर पानी में डूबने गयी है 
रम्भा (खुदको मन्नू के घाघरे से डक्ट हुए) अआप , यंहा। ।मै नही रहूंगी 
मन्नू--आपकी सिक्यूरिटी यंही है, लीजिये ये कपडे पहन लीजिये 
मन्नू रम्भा को घाघरा चुनरी देता है )
रम्भा उसे पहनकर बहुत अच्छी लगती है 
मन्नू---आप तो हेमा मालिनी लग रही है 
रम्भा-- क्या, शोले कि हेरोइन 
मन्नू--आप तो खुद itum bom हो 
रम्भा इस पर नाराज हो जाती है 
मन्नू--बड़ी तुनक मिजाज हो 

Friday 1 November 2013

मन्नू को रम्भा ड्रेस देती है 
रम्भा स्कर्ट देते हुए -ये लो तुम ये इतना सारा झमेला क्यूँ पहने हो , इसे पहनो 
मन्नू (स्कर्ट को देखते हुए )-----हे भगवन , तूने मुझे ये दिन दिखाना था 
रम्भा--ओ , कहलवाती , आप मत शर्माओ, इसमें बहुत स्मार्ट दिखोगी 
मन्नू----नही मेरी माँ, मई शर्म से मर जाउंगी, मिट जाउंगी, पर ये स्कर्ट, नही बाबा 
रम्भा--कम ऑन कहलवाती , तुम इतनी इन्नोसेंट लगोगी 
मन्नू--नही बीबी जी, इसमें तो मई पूरी शुतुरमुर्गी लगूंगी, मेरी  टांग आपकी जितनी अच्छी नही 
रम्भा--डोंट  वरी , आओ,  बिस्तेर पर बैठ क्र हम   लूडो खेलते है 
मन्नू ९शर्मने का अभिनय करते हुए )---नही बीबी जी, लुडक पदक करने से तो मई प्रेग्नेंट हो जाउंगी 
रम्भा(मन्नू को बिस्तेर पर खींचते हुए )--सो फनी , यु आर इंटरेस्टिंग, कम ऑन 
ज्योंही बिस्तेर पर रम्भा मन्नू को लेकर बैठती है, बिजली ही चली जाती है 
मन्नू अँधेरे में जोर से रम्भा को पकड़ क्र भींच लेता है 
रम्भा------ड्रॉ नही, खालवती , मई हूँ न ,ये क्या है 
मन्नू-- वो मई प्रेग्नेंट हो रही हु 
तभी बिजली अति है 
रम्भा(बिस्तर पर ऑरेंज देखकर चीखते हुए )-कहलवाती , ये ऑरेंज 
मन्नू(अपने को पल्लू में छिपाते हुए )-बीबी जी, मुझे बहुत शर्म आ रही है, ये ऑरेंज नही ह, ये ऑरेंज कलर के अंडे है 
रम्भा (अस्चर्य से चीखते हुए )--यूम,   क्या ये अंडे तुमने दिए ह 
मन्नू शरमाते हुए ------हाँ बीबी जी, अभी आपसे मई लिपटी तो, प्रेग्नेंट हो गयी थी 
रम्भा(जोरों से हंसते हुए ०)मीन्स , यु, ओ, आईटी कांत बे हप्पेंड 
मन्नू---बीबी जी मई कंही भी किसी से लिपटती हु, तो प्रेग्नेंट होहो जाती हु , इसलिए बिजली जाती है, तो मई बहुत डॉ जाती हु 
रम्भा---थैंक गाड़ जो, तुम  अंडे देती हो, वर्ण कितनी मुस्किल होती 
तभी जगमोहन आ जाता है 
मन्नू----(खुदको घुंगट में छिपाते हुए )बीबी जी, मई तो मर्द कि सांसो से भी प्रेग्नेंट हो जाती हूँ,… मई उदर छिप जॉन     

रम्भा ---जेम्स देअर कहलवाती इस वैरी इंटरेस्टिंग , सी , हर एग 
जगमोहन--व्हाट नॉनसेंस , ऐसा नही होता , वर्ण तुम भी प्रेग्नेंट हो जाती अब तक तो 
रम्भा---आप तो मुझपर यकीं ही नही करते
जगमोहन--संतरे छीलते हुए ) हूँ , कहलवाती के अंडे तो मीठे है
तभी मन्नू के रोने कि आवाज अति है
मन्नू(पतली आवाज में)मेरे एग खायेगा, तेरे कीड़े पड़े
रम्भा ऑरेंज छीन लेती है, --जेम्स तुम जाओ, प्लीस