Wednesday 18 December 2013

आज
आज मन कर रहा है 
कि तुझपर 
बेइंतहा कविता लिखू 
तू
तू बहुत अच्छी लगती है 
इसमें तेरा गुनाह नही 
पर गुरुर जरुर है 
तू, जो इस कदर 
अपने रूप के नशे में 
रहती मगरूर है 
जब भी
जब भी तुझपर लिखती हूँ 
दिल को बेहद तस्सली मिलती है 
जाने क्यों 

Tuesday 17 December 2013

बहुत
बहुत याद अति हो 
बहुत याद आती हो 
जानेमन 
जब देखती हूँ 
जब दिखती है 
लड़कियां बस में कंही जाते हुए 
तो, यंही याद आता है 
कि, तुम भी अपने चुन्नू मुन्नू को गोद में लिए 
कंही से आ रही होगी घर के 
घर के कितने कम होंगे 
तब जेहन में 
बाकि कविता आराम से घर में लिखूंगी 
यंहा डिस्टर्ब है 

Saturday 7 December 2013

पत्रकार --तुम क्या करते हो मन्नू-
मन्नू --हम दुल्हनिया को याद करता हूँ 
संध्या--चलो, तुमको, डैडी बुला रहे है 
डैडी--तुमने धोखे से मेरी बेटी को कैद किया था 
मन्नू को वो ब्न्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द करते है 
संध्या--ये लो, भट भकोस लो 
मन्नू---तुम नही जानती कि, ऐसा भात तो , हमारी भूरि भैसीन भी नही खा सकती, हम तो दुल्हनिया के हाथ का रंधा खुसभु वाला भात खाता हूँ 
मन्नू को जज के सामने लेट है 
एस पि --जज साहब इसने मेरी दलहन को जबरन कैद किया था 
मन्नू--नहीं जज साहब , देखो, दुल्हनिया से पूछो,हमारी सीधी जांघ पर कौनसा चिन्ह है 
एस पि --जज साहब, इसकी जीभ खींचने क्कि इज्जत दो 
मन्नू--आप तो, हमारी जान ले लो, दुल्हनिया कि खातिर दे देंगे 
एस पि --इसे फांसी कि सजा दीजिये 
जज --तुमने अपहरण किया है, इज्जत से खिलवाड़, तुम्हे सजा होगी, फांसी कि मन्नू को 
मन्नू को जज एसपी के हवाले करता है 
एसपी -तुम्हारी आखिरी इक्षा बता दो 
मन्नू--हम बस दुल्हनिया को, एक बार नज़र भरके देखील बा 
एसपी--ठीक है, दुल्हन को लाओ, वो हमारी दुल्हन है, फिर भी हम इज्जाजत देंगे 
मन्नू के सामने ज्योंही रम्भा को लेट है, उसकी टकटकी बांध जाती है, एसपी को बहुत उससे अत है 
एसपी --ऐसे लेकर जाओ, फांसी पर चढ़ा दो 
मन्नू को फांसी के तख्ते पर लाते है , सरे गाँव वाले आये है , सब रो रहे है 
पूजा---देखो, हमने तुमसे कभी कुछ नही मांगे, तुम एसपी साहब से हाथ जोड़कर कह दो, कि ये सब मजाक था, वो तुम्हे छोड़ देंगे 
मन्नू--नहीं, पूजा , हमको अपनी भूरि भैसीन कि चिंता है, तुम उसे जुगल बिटवा को दे देना, वो उसकी सेवा करेगा 
सब रोते है , गौर भौजी के पांव छूटा है, मन्नू 
मन्नू--सब गांव वलन से हम बीड़ा चाहत है, हमे माफ़ क्र देईल बा 
मन्नू को फांसी हो जाती है , तो रम्भा बेहोश हो जाती है 
मन्नू-कि समाधी पर सब फूल चढ़ाते है, तभी रम्भा आती है, एक दिया जलती है 
उसकी बिल्ली का बच्चा मन्नू कि समाधी पर उछल कूद  करता है 
मन्नू--कि समाधी से आवाज आती है--दुल्हनिया, खुश रहो 
सब चले जाते है, सिर्फ एक दिया 
ये लिख नही रही 
लिखने को खिंच रही हूँ 
किन्तु , अपने से ज्यादा 
मुझे अपनी नयी पीढी के लिए 
आशावादी लेखन पसंद है 

Friday 6 December 2013

मन्नू का इंटरव्यू लेने एक पत्रकार अत है 
पत्रकार --आप सारा दिन क्या करते है 
मन्नू-अपनी दुल्हनिया को याद करते है 
पत्रकार-और 
मन्नू--और सबकॉम जो सब करते है, वो निपट क्र अपनी भैसीन कि सेवा जातां करते है 
पत्रकार--और कुछ नही 
मन्नू-जाओ, दिमाग मत खाओ, जो मन में आये लिख दो, हमे दुल्हनिया कि याद आ रही है, बात करने दो 
मन्नू (मोबाइल पर )हलो, दुल्हनिया क्या क्र रही हो 
रम्भा(मोबाइल पर)-बच्चे को दूध पिला रही हूँ 
मन्नू(घबराकर )देखो, अभी तो,९ दिन भी नही हुए, बच्चा भी क्र ली 
रम्भा--नही, ये बिल्ली का बच्चा है , हमने पली है 
मननु --हम तुम्से मिलने शहर आ रहा हूँ 
मन्नू शहर जाता है 
रम्भा कि कामवाली संध्या --हु, आर यु 
मन्नू --ज्यादा अंग्रेजी मत झाड़ो 
संध्या--तुम तो गंवार हो, अंग्रेजी नही जानते 
मन्नू--क्यों, जो अंग्रेजी वाले हिंदी नही जानते ,उन्हें तो हम गंवार नही कहते  फिर तुम इतना जुल्म कहे क्र रही हो , हटो, हमको अपनी दुल्हनिया का मुख देखने दो 

Thursday 5 December 2013

रम्भा कि सखियाँ अति है 
रम्भा के घर उससे मिलने सहेलियां अति है 
सहेलियां-- कर रहे है 
मन्नू-सुहाग दिन मना रहा हूँ , देखो , डिस्टर्ब मत करना , मई आम तोड़ने नही आउंगा 
लाड़ली-जीजू।  आभी आम का मौसम है, क्या 
मन्नू--तुम्हारा कछु भरोषा नही , तुम कोई भी मौसम मना सकती हो 
पूजा--अभी तो रम्भा भौजी के प्यार का मौसम है 
सहेली- ये लो, रम्भा जी के डैडी ला लेटर 
मन्नू-ये क्या होता है 
लाड़ली--ये माँ के पति को, शहर में डैडी कहते है 
रम्भा (चिट्ठी पढ़ते हुए )ओ रे सजनवा, हमको तो,अपने शहर जाना होगा 
मन्नू--नही , श्यामल गोरी , हम  नही जी सकता हूँ 
रम्भा--देखो , रधिया आकर भात राँधके जायेगी, दोनों वक़त भकोस भकोस के खा लेना , हमे जाने दो ,
मन्नू --तो , प्रॉमिस करो, कि रोज एक पत्र  लिखोगी 
लाड़ली--हांजी , मई वो तुम्हारे प्रेम-पात्र  पढ़के सुनाऊँगी 
रम्भा जब मायके जाती है , तो मन्नू एक पेड़ के तने को पकड़ क्र जोरों से रोता है 
मन्नू-सजनी , जल्दी आना, गाँव के प्रेमी को भूल न जाना 
सहेलियां गाती है --जाते हो परदेश पिया ,जाते ही ख़त लिखना ,……। 
मन्नू चुटिया पहने डंडे में लोटा टाँगे अर्चना सिंग के घर जाता है 
बहार लिखा पढता है, अर्चना सिंह का सुहाग रात कोचिंग सेंटर 
मन्नू(डरते डरते )-क्या सिंहनी जी है 
भीतर से आवाज अति है --बाहर से मेमने कि तरह कहे रीिरया राहे हो, मन्नू जीजू, आ जाओ, बेधड़क 
मन्नू डरते डरते -ये कुर्सी में बैठ जांए 
अर्चना-वंही भैठेंगे, नही तो क्या हमारी गोद में विराजेंगे 
मन्नू--नही जी, हम इतना किस्मत वाला कंहा हूँ 
अर्चना---हूँ, बताईये, क्या प्रॉब्लम आ रही है, सुहागरात में, हाँ, कोई ऐसी वैसी प्रॉब्लम हो, तो मेरे मंगेतर डॉ राणा से मिलो 
मन्नू-हाँ, हम तो जानते है 
अर्चना--(चिढ़कर)जब जानते है, तो यंहा क्या मेरी शक्ल देखने ए है 
मन्नू(झिझक क्र जोरसे)हाँ, जी हमने स्टेशन पर पढ़ा था, नामर्द डॉ राणा से मिले 
अर्चना--ओ, जीजू, उनकी प्रॉब्लम कि नही आपकी बात हो रही है, बताओ, बेधड़क 
मन्नू(थूक गिटकते हुए )जी, वो हमको, रम्भा से बहुत दर लगता है 
अर्चना सुनकर सीधे उठकर मन्नू कि गोद में आ बैठती है 
मन्नू--ये आप क्या क्र रही है 
अर्चना--अभी कुछ नही किया है, और करना है कहते  हुए वो मन्नू कि पप्पी ले लेती है 
मन्नू(पीछे हटते हुए) देखिये आप आगे ज्यादा मत बढ़िए , मई गिर जाउंगा , हाँ 
अर्चना--(दूसरी पप्पी लेकर)जीजू, आप कितने नादाँ हो, सच रम्भा दी, बहुत भाग वाली है , आप एकदम फिट हो, जीजू, १००% पास हो 
मन्नू -तो, जाऊं 
अर्चना--अरे, फ़ीस तो देते जाओ 
मन्नू--वो, आप अपनी दी से ले लीजिये , हम जाता हूँ 
अर्चना -मोबाइल पर)रम्भा दी, जीजू आ रहे है, मैंने उन्हें फूल ट्रैनिंग दे दी है 
मन्नू-घर पहुँच क्र)हम रम्भा को अपना जूठा मुख कैसे दिखाऊंगा 
रम्भा के पास जाकर वो बिस्तर पर जाते ही सो जाते है , सुबह नींद खुलती है तो, रम्भा क सोफे पर सोते देख घबरा जाता है 
मन्नू-हमको, आज माफ़ी दे दो, हम बिना सुहागरात मनाये बिना सो गया 
रम्भा -ठीक है, जरा अपनी शक्ल आईने में देखो 
मन्नू दर्पण में देखता है, कि उसके चेहरे पर रम्भा कि लिपस्टिक के निशान नजर आते है 
मन्नू--तो क्या सब होई गया , हमे जुठार दी हो 
सभी सहेलियां बहार से भीतर आकर हंसती है 
लाड़ली--जीजू, ये नशे कि गोली का कमल था, जो हमने भूरि भैसीन के दुधवा में घोलकर दी थी 
मन्नू सर चकरा क्र वंही गिर जाता है 
मन्नू डरा डरा भागते हुए गौर भौजी के कक्ष में आता है और  पलंग के निचे छिप जाता है 
गौरा भौजी --ये क्या क्र रहे हो, आज तो तुम्हे दुल्हनिया के साथ होना चाहिए 
मन्नू(हाथ जोड़ क्र )भौजी, हमको बचा लो, वो रम्भा आज ही हमारी आबरू लेना चाहती है 
भौजी -हूँ, तो 
मन्नू--भौजी, वो हम भूरि भैसीन का दूध एक महीना मुफत में दूंगा , आप मुझे सुहाग-रात मनाने के गुर सिखा दो 
गौरा भौजी --हूँ, हमे तुम्हारी प्राब्लम कुछ कुछ समझ आ गयी है , तुम ऐसा करो, एक टुटरनी कि मदद लो 
गौरा (उसे एक चुटिया वाला विग देती है, एक डंडा व् एक लोटा भी देती है 
गौरा- ये लो, चुटिया पहनो, डंडा पर लोटा लटकाओ,और निकल जाओ, गंगा के किनारे 
मन्नू--(प्रणाम भौजी , हम जाता हूँ,और कछु  वो तुतरनी कौन है 
गौरा (एक कागज देकर)ये लो उसका नाम है, अर्चना सिंह, बहुत पहुची हुयी है, वो तुमको, सुहागरात और दिन सबके हुनर सिखा देगी 
मन्नू प्रणाम क्र निकल जाता है 
सर पर चुटिया पहने डंडे पर लोटा लटकाये वो गंगा के तट पर धुनि रमा लेता है 
एक डाकिया उसे रम्भा कि चिठ्ठी लाकर देता है 
मन्नू--देखता हूँ, क्या लिखती है, कि बिना सुहागरात मनाये तो, विधवा जैसे जी रही हूँ , ये नंबर दे रही, जरा भी शर्म लाज बची हो, तो मुझे मोबिल करना 
मन्नू-वह का बात है, अभी करता हूँ 
मन्नू--हलो, सुनो, हम मन्नू बोल रहा हूँ,
रम्भा--तो बोलो न, रुक कहे गये , हमे तो, आपकी आवाज सुनकर ही ,कुछ कुछ होता है 
मन्नू--कुछ कुछ होता है, तो देखो घर में कुछ कुछ हो, तो खुद ही कुछ कुछ क्र लो 
सुनकर रम्भा मोबिल फेंक देती है 
मन्नू  फिर छिप जाता है 
मन्नू-कसम, भूरि भैसीन कि, हम आज अपनी इज्जत नही लुटाऊंगा 
रम्भा कि सखियाँ उसे पकड़कर एक कक्ष में ठेल देती है 
वंहा रम्भा एक सोफे पर बैठी है , सामने एक चारपाई भर है , जिसपर सिर्फ चादर बिछी है 
मन्नू--हूँ , ये क्या माजरा है , रानी जी 
रम्भा (अंगड़ाई लेकर)--मुझे क्या पता , सुहागरात तुम्हारी है कि, मेरी है 
मन्नू--देखो, ज्यादा ऐंठो मत , मई पहली बार शादी किया हूँ, मुझे क्या पता , सुहाग रात कैसे मनाते है 
रम्भा--हूँ, बात में तो दम है, तुम कोचिंग क्यूँ नही ले लेते 
सहेलियां जो परदे के पीछे छिपी है , चिढ़ाती है --सोच लो , पूरी दुनिया कहेगी, कि मन्नू जीजू नकारा रहे होंगे 
मन्नू--देखो,ज्यादा तैस मत दिलाओ,
मन्नू चारपाई के पास आकर --हूँ, मामला टेड़ा लगता है , सुहाग-रात , और ये टूटी खाट 
मन्नू(रम्भा को बाँहों  में उठाकर )--इधर आओ , रानी जी, हम अभी टेस्ट करते है 
मन्नू रम्भा को उठाकर खाटपर ज्योंही जोर से डालता है,खाट टूट जाती है 
रम्भा (चीखकर)ओ , मेरी कमर का कचूमर निकल दिया 
रम्भा कि सारी सहेलियां परदे के पीछे से निकलकर उसे बहुत मारती है 
सहेलियां -पहली रात में ही मार डाला 
मन्नू--भागो, जान बचेगी तो मना लूंगा , सुहाग-रात 
मन्नू के भागते ही सारी सखियाँ हंसती है 
लाड़ली---उठो, रम्भा रानी जी, लगा तो नही 
रम्भा-नही , ये तकिया जो, कमर में बंधा था , बच गयी 
पूजा--वरना, ये लाड़ली के तो, नेचुरल सोफा होता है, उसे नही लगता , कभी खेत में 
सभी हंसती है, लाड़ली गुस्से में चली जाती है 

Tuesday 3 December 2013

बनारस कि बयार 
भूलचूक माफ़ कीजिये 
और अब लव लेटर का मजा लीजिये 
जो,मन्नू रम्भा को लिखता है 
क्योंकि,बिना लव लेटर के कोई प्रेम कहानी पूरी  नही होती 
रम्भा 
रम्भा कि सखिया, नाचते हुए बारात में अति है , ले जायेंगे, दिलवाली , दुल्हे को ले जायेंगे 
रम्भा कि बारात अब मन्नू के द्वार पर अति है 
मन्नू-मुझे बहुत शर्म आ रही है, रम्भा से ज्यादा तो उसकी उधमी सहेलियों से डरता हूँ 
देवू चाचा मन्नू का वरदान करते है 
मन्नू कि बिदाई में गाना होता है , सुनो ससुर जी , अब जिद छोडो 
मनु 
मन्नू कि बिदाई होती है 
वो देवू चाचा के गले लगकर बहुत रोता है 
गाना बजता है , बाबुल कि दुआए लेता जा 
मन्नू को रम्भा अपने रूम पर ले जाती है 
मन्नू दोस्तों के बिच छिप जाता है 
मन्नू - दोस्तों आज मेरी इज्जत बचा लो , पहली रत को मई लूटना नही चाहता 
रम्भा अति है --यंहा छिपने से नही होगा , मेरे पांव कौन दबायेगा , मुझे नींद नही आती 
मन्नू-तुम्हारे साथ एक ही कमरे में रहते मुझे दर लगता है , आज रात मेरी इज्जत मत लूटना 

मन्नू -रूठ गयी है , अब उसे मनाने का जातां करता हूँ 
मन्नू बाबाजी बनकर जाता है , रम्भा के रूम में 
मन्नू-कोई है रम्भा 
रम्भा कि सहेली अति है, संध्या 
संध्या -कौन है 
मन्नू--कहो कि, तोतलानी बाबाजी आ ए है 
संध्या(ध्यान से देखकर)--ठीक है ,पर तुम तोतला क्र दिखाओ 
मन्नू सीधे अंदर जाता है , सामने रम्भा लिपस्टिक लगा रही है 
मन्नू जो बाबाजी बना है --सुंदरी , ऐसा मत करो ,तुम्हारे  लिपस्टिक लगाने से सारा डिस्टिक हिलता है 
रम्भा-आप हमे हमारा भविष्य बताओ 
मन्नू (रम्भा का हाथ हाथ में लेकर )-बहुत मुलायम भविष्य है, आपका 
रम्भा(हाथ खीचते हुए)जल्दी 
मन्नू-सुंदरी , सुनो, आपका होने वाला पति बहुत अनुराग वाला होगा 
रम्भा-ये क्या होता है 
मन्नू(सोचते हुए)वो सुहागरात कि फूल ग्यारंटी वाला पति होता है 
रम्भा उसका विग खींचके बहुत मारती है 
मन्नू 
मन्नू 
मन्नू रम्भा को उठाये दौड़ते जाता है 
फिर उसे उतर देता है 
लड़कियां -क्यों , तुमने उसे छुआ तो नही 
रम्भा -नही उसने हमे नही छुआ , वो सिर्फ हमे उठाकर दौड़ रहा था 
मन्नू- ये सब आपकी सहेलियां बेकार शक़ करती है 
लड़कियां इस पर उसे बहुत मारती है 
मन्नू बेहोश हो जाता है , तो लड़कियन घबरा जाती है 
लाड़ली-अरे , इसे होश में लो 
पूजा- रुको , हम लती है ,(जोरो से)रम्भा कि शादी देवदास से जुड़ गयी है 
मन्नू-(होश में आकर) नही, वो तो बहुत बूढ़े है, देवू चाचा 
पूजा-नही, वो ये है 
पूजा उसे एक फ़ोटो दिखती है 
मन्नू-लेकिन, ये तो हम है 
पूजा-हाँ, तुमसे ही शायद , तुम्हारी माँ ने बचपन में ही जोड़ दी थी 
मन्नू-ठीक है , हमे शर्म अति है , ऐसी बैटन से 
मन्नू जेन लगता है 
लड़कियां-अरे, किधर चले 
मन्नू-देखो, भूरि भैसीन कि कसम , हमे रम्भा जी से बहुत शर्म अति है 
लड़कियां-मगर, ऐसे से तो , तुम कैसे कम करोगे  उसके साथ जिंदगी करनी है 
मन्नू-हम कम धंधा सिखने जाता हूँ, 
मन्नू जाकर फोटोग्राफर से फ़ोटो खींचना सीखता है 
मन्नू-भैया , क्या हम इससे अपनी भूरि भैसीन कि फ़ोटो खिन्ह सकते है 
फोटोवाला -हाँ, तुम इससे अपनी होनेवाली कि फ़ोटो खींचो , हमने समझा दिए है 
मन्नू-हम तुमको, एक महीने तक , दुधवा मुफत देंगे, ये केमरा हमे दे दो 
मन्नू रम्भा को बगीचे में लाता है 
मन्नू-देखो, तुम वो फूलन के बिच बैठो, हग्गिंग पोज में 
रम्भा इसपर नाराज होकर उसका केमरा छीन लेती है 
मन्नू-हमने का गलत कहे, फूलन के बिच में हग्गिंग पोज में बैठेगी , तो कितनी प्यारी लगेगी, हमारा यंही मतबल था 

Monday 2 December 2013

मन्नू अंग्रेजी सिखने कि जी जन से कोशिश क्र रहा है 
मन्नू रत याद कर रहा है 
मन्नू-एस यानि गधा 
भैंस यानि बफेलो 
डुंग यानि गोबर 
हग यानि गले मिलना 
मन्नू -(किताब फेंक कर )छि , सब गंदा कर दिया , ये क्या क्या सिखाते है 
रम्भा-क्या यद् नही करोगे, तो यु डिसमिस 
मन्नू--जब देखो किस किस , हमे अंग्रेजी नही सीखनी 
रम्भा--तब तो स्वम्ब्र होगा, पप्पू के साथ तुम्हारी लड़ाई होगी 
मन्नू-ठीक है 
यंहा मन्नू व् पप्पू कि लड़ाई होती है 
घोड़े पर सर कि तरफ से चढ़ते हुए मन्नू गिर जाता है 
घोडा उसे सर से उठाकर रम्भा के पांव में गिरा देता है 
मन्नू--कमर तोड़ डाली, वैसे सही जगह फेंका ह, शाबाश , मेरे टट्टू 
लाड़ली उसे उठाकर --तुम हर चुके हो , अब तुम्हारी रम्भा जी से सगाई नही हो सकती( वो सब चली जाती है )
मन्नू-सुना, कल कहलवाती का स्वम्बर है, आप सब आईये 
अगले दिन सब आते है , सभी गांव के है, रम्भा भी है 
मन्नू  कहलवाती बनके आता है 
मन्नू(सोचते हुए)-ये तो टट्टू वाला पप्पू है, इसे नही , जगमोहन, ये तो मेरा सौता है , ये भी नही 
मन्नू जो कहलवाती बना है, कितने तरह से मुंह बनाकर सबको देखता है 
मन्नू-रम्भा के सामने अत है 
रम्भा(डरकर )नही, मई मर जाउंगी, कहलवाती मुझे बख्श दो 
मन्नू--बीबीजी, आपको ही। ……(कहकर वो तेजी से रम्भा के गले में माला दल देता है ,रम्भा उठकर गुस्से में हर तोड़ देती है 
सबमिलकर मन्नू को मरती है, तो मन्नू रम्भा को उठाकर दौड़  लेता है 
रम्भा-मुझे उतरो 
मन्नू-(सुस्ताते हुए)ये लो… मन्नू ज्योंही रम्भा को उतरता है, रम्भा उसे देखकर बेहोश हो जाती है 
साडी लड़कियां आकर मन्नू को खूब मरती है 
और रम्भा को होश में लाती  है