पत्रकार --तुम क्या करते हो मन्नू-
मन्नू --हम दुल्हनिया को याद करता हूँ
संध्या--चलो, तुमको, डैडी बुला रहे है
डैडी--तुमने धोखे से मेरी बेटी को कैद किया था
मन्नू को वो ब्न्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द करते है
संध्या--ये लो, भट भकोस लो
मन्नू---तुम नही जानती कि, ऐसा भात तो , हमारी भूरि भैसीन भी नही खा सकती, हम तो दुल्हनिया के हाथ का रंधा खुसभु वाला भात खाता हूँ
मन्नू को जज के सामने लेट है
एस पि --जज साहब इसने मेरी दलहन को जबरन कैद किया था
मन्नू--नहीं जज साहब , देखो, दुल्हनिया से पूछो,हमारी सीधी जांघ पर कौनसा चिन्ह है
एस पि --जज साहब, इसकी जीभ खींचने क्कि इज्जत दो
मन्नू--आप तो, हमारी जान ले लो, दुल्हनिया कि खातिर दे देंगे
एस पि --इसे फांसी कि सजा दीजिये
जज --तुमने अपहरण किया है, इज्जत से खिलवाड़, तुम्हे सजा होगी, फांसी कि मन्नू को
मन्नू को जज एसपी के हवाले करता है
एसपी -तुम्हारी आखिरी इक्षा बता दो
मन्नू--हम बस दुल्हनिया को, एक बार नज़र भरके देखील बा
एसपी--ठीक है, दुल्हन को लाओ, वो हमारी दुल्हन है, फिर भी हम इज्जाजत देंगे
मन्नू के सामने ज्योंही रम्भा को लेट है, उसकी टकटकी बांध जाती है, एसपी को बहुत उससे अत है
एसपी --ऐसे लेकर जाओ, फांसी पर चढ़ा दो
मन्नू को फांसी के तख्ते पर लाते है , सरे गाँव वाले आये है , सब रो रहे है
पूजा---देखो, हमने तुमसे कभी कुछ नही मांगे, तुम एसपी साहब से हाथ जोड़कर कह दो, कि ये सब मजाक था, वो तुम्हे छोड़ देंगे
मन्नू--नहीं, पूजा , हमको अपनी भूरि भैसीन कि चिंता है, तुम उसे जुगल बिटवा को दे देना, वो उसकी सेवा करेगा
सब रोते है , गौर भौजी के पांव छूटा है, मन्नू
मन्नू--सब गांव वलन से हम बीड़ा चाहत है, हमे माफ़ क्र देईल बा
मन्नू को फांसी हो जाती है , तो रम्भा बेहोश हो जाती है
मन्नू-कि समाधी पर सब फूल चढ़ाते है, तभी रम्भा आती है, एक दिया जलती है
उसकी बिल्ली का बच्चा मन्नू कि समाधी पर उछल कूद करता है
मन्नू--कि समाधी से आवाज आती है--दुल्हनिया, खुश रहो
सब चले जाते है, सिर्फ एक दिया
मन्नू --हम दुल्हनिया को याद करता हूँ
संध्या--चलो, तुमको, डैडी बुला रहे है
डैडी--तुमने धोखे से मेरी बेटी को कैद किया था
मन्नू को वो ब्न्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द करते है
संध्या--ये लो, भट भकोस लो
मन्नू---तुम नही जानती कि, ऐसा भात तो , हमारी भूरि भैसीन भी नही खा सकती, हम तो दुल्हनिया के हाथ का रंधा खुसभु वाला भात खाता हूँ
मन्नू को जज के सामने लेट है
एस पि --जज साहब इसने मेरी दलहन को जबरन कैद किया था
मन्नू--नहीं जज साहब , देखो, दुल्हनिया से पूछो,हमारी सीधी जांघ पर कौनसा चिन्ह है
एस पि --जज साहब, इसकी जीभ खींचने क्कि इज्जत दो
मन्नू--आप तो, हमारी जान ले लो, दुल्हनिया कि खातिर दे देंगे
एस पि --इसे फांसी कि सजा दीजिये
जज --तुमने अपहरण किया है, इज्जत से खिलवाड़, तुम्हे सजा होगी, फांसी कि मन्नू को
मन्नू को जज एसपी के हवाले करता है
एसपी -तुम्हारी आखिरी इक्षा बता दो
मन्नू--हम बस दुल्हनिया को, एक बार नज़र भरके देखील बा
एसपी--ठीक है, दुल्हन को लाओ, वो हमारी दुल्हन है, फिर भी हम इज्जाजत देंगे
मन्नू के सामने ज्योंही रम्भा को लेट है, उसकी टकटकी बांध जाती है, एसपी को बहुत उससे अत है
एसपी --ऐसे लेकर जाओ, फांसी पर चढ़ा दो
मन्नू को फांसी के तख्ते पर लाते है , सरे गाँव वाले आये है , सब रो रहे है
पूजा---देखो, हमने तुमसे कभी कुछ नही मांगे, तुम एसपी साहब से हाथ जोड़कर कह दो, कि ये सब मजाक था, वो तुम्हे छोड़ देंगे
मन्नू--नहीं, पूजा , हमको अपनी भूरि भैसीन कि चिंता है, तुम उसे जुगल बिटवा को दे देना, वो उसकी सेवा करेगा
सब रोते है , गौर भौजी के पांव छूटा है, मन्नू
मन्नू--सब गांव वलन से हम बीड़ा चाहत है, हमे माफ़ क्र देईल बा
मन्नू को फांसी हो जाती है , तो रम्भा बेहोश हो जाती है
मन्नू-कि समाधी पर सब फूल चढ़ाते है, तभी रम्भा आती है, एक दिया जलती है
उसकी बिल्ली का बच्चा मन्नू कि समाधी पर उछल कूद करता है
मन्नू--कि समाधी से आवाज आती है--दुल्हनिया, खुश रहो
सब चले जाते है, सिर्फ एक दिया
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