Thursday 5 December 2013

मन्नू चुटिया पहने डंडे में लोटा टाँगे अर्चना सिंग के घर जाता है 
बहार लिखा पढता है, अर्चना सिंह का सुहाग रात कोचिंग सेंटर 
मन्नू(डरते डरते )-क्या सिंहनी जी है 
भीतर से आवाज अति है --बाहर से मेमने कि तरह कहे रीिरया राहे हो, मन्नू जीजू, आ जाओ, बेधड़क 
मन्नू डरते डरते -ये कुर्सी में बैठ जांए 
अर्चना-वंही भैठेंगे, नही तो क्या हमारी गोद में विराजेंगे 
मन्नू--नही जी, हम इतना किस्मत वाला कंहा हूँ 
अर्चना---हूँ, बताईये, क्या प्रॉब्लम आ रही है, सुहागरात में, हाँ, कोई ऐसी वैसी प्रॉब्लम हो, तो मेरे मंगेतर डॉ राणा से मिलो 
मन्नू-हाँ, हम तो जानते है 
अर्चना--(चिढ़कर)जब जानते है, तो यंहा क्या मेरी शक्ल देखने ए है 
मन्नू(झिझक क्र जोरसे)हाँ, जी हमने स्टेशन पर पढ़ा था, नामर्द डॉ राणा से मिले 
अर्चना--ओ, जीजू, उनकी प्रॉब्लम कि नही आपकी बात हो रही है, बताओ, बेधड़क 
मन्नू(थूक गिटकते हुए )जी, वो हमको, रम्भा से बहुत दर लगता है 
अर्चना सुनकर सीधे उठकर मन्नू कि गोद में आ बैठती है 
मन्नू--ये आप क्या क्र रही है 
अर्चना--अभी कुछ नही किया है, और करना है कहते  हुए वो मन्नू कि पप्पी ले लेती है 
मन्नू(पीछे हटते हुए) देखिये आप आगे ज्यादा मत बढ़िए , मई गिर जाउंगा , हाँ 
अर्चना--(दूसरी पप्पी लेकर)जीजू, आप कितने नादाँ हो, सच रम्भा दी, बहुत भाग वाली है , आप एकदम फिट हो, जीजू, १००% पास हो 
मन्नू -तो, जाऊं 
अर्चना--अरे, फ़ीस तो देते जाओ 
मन्नू--वो, आप अपनी दी से ले लीजिये , हम जाता हूँ 
अर्चना -मोबाइल पर)रम्भा दी, जीजू आ रहे है, मैंने उन्हें फूल ट्रैनिंग दे दी है 
मन्नू-घर पहुँच क्र)हम रम्भा को अपना जूठा मुख कैसे दिखाऊंगा 
रम्भा के पास जाकर वो बिस्तर पर जाते ही सो जाते है , सुबह नींद खुलती है तो, रम्भा क सोफे पर सोते देख घबरा जाता है 
मन्नू-हमको, आज माफ़ी दे दो, हम बिना सुहागरात मनाये बिना सो गया 
रम्भा -ठीक है, जरा अपनी शक्ल आईने में देखो 
मन्नू दर्पण में देखता है, कि उसके चेहरे पर रम्भा कि लिपस्टिक के निशान नजर आते है 
मन्नू--तो क्या सब होई गया , हमे जुठार दी हो 
सभी सहेलियां बहार से भीतर आकर हंसती है 
लाड़ली--जीजू, ये नशे कि गोली का कमल था, जो हमने भूरि भैसीन के दुधवा में घोलकर दी थी 
मन्नू सर चकरा क्र वंही गिर जाता है 

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