Tuesday 3 December 2013

रम्भा 
रम्भा कि सखिया, नाचते हुए बारात में अति है , ले जायेंगे, दिलवाली , दुल्हे को ले जायेंगे 
रम्भा कि बारात अब मन्नू के द्वार पर अति है 
मन्नू-मुझे बहुत शर्म आ रही है, रम्भा से ज्यादा तो उसकी उधमी सहेलियों से डरता हूँ 
देवू चाचा मन्नू का वरदान करते है 
मन्नू कि बिदाई में गाना होता है , सुनो ससुर जी , अब जिद छोडो 
मनु 
मन्नू कि बिदाई होती है 
वो देवू चाचा के गले लगकर बहुत रोता है 
गाना बजता है , बाबुल कि दुआए लेता जा 
मन्नू को रम्भा अपने रूम पर ले जाती है 
मन्नू दोस्तों के बिच छिप जाता है 
मन्नू - दोस्तों आज मेरी इज्जत बचा लो , पहली रत को मई लूटना नही चाहता 
रम्भा अति है --यंहा छिपने से नही होगा , मेरे पांव कौन दबायेगा , मुझे नींद नही आती 
मन्नू-तुम्हारे साथ एक ही कमरे में रहते मुझे दर लगता है , आज रात मेरी इज्जत मत लूटना 

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