Friday, 30 August 2013

bnaras ki byar, rush, fast

 ,बनारस की बयार , टाइटल के ब्लॉग ने जैसे दौड़ते हुए , 515 टाइम्स रीडिंग प्राप्त की है
आप सभी की तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ
u all, bnaras ki byar, thanking u, & love
it's charming success

use pyar kahte hai

आँखों में बसा जो
उसे रतनार कहते है
तुम्हारी मदहोश हंसी को
हरसिंगार कहते है
जीवन में जो, आके न जाये
इसी बहार को, प्यार कहते है
जोगेश्वरी 

Thursday, 29 August 2013

vo, shabd

वो शब्द
जो तुम बोलती हो
कितने मधुर होते है
कितने शाश्वत है
जैसे बज उठे हो
जल तरंग
फ़ैल रही हो , ज्यों
मदिर मदिर सुगंध
दिशाओं में ,चारों ओर
झंकृत हो उठे हो
प्राण वीणा  के तार
ये कैसे शब्द है
तेरे अधरों से जैसे
झर रहे हो , कुसुम
जोगेश्वरी

(बिना साहित्यिक शब्दों के लिखी ये कविताये , बहुत शोर के बिच लिखती हूँ )

jb tk, mai na lautun

जबतक मै न लौटूं
नदी के उस पर
तुम राह  ताकना
ठहरकर , इस पर
ये कैसा इंतजार है
दिन का रात  के लिए
रात  का दिन के लिए
सुबह से शाम का
ये कैसा इंतजार है
युगों से
पूनम का अंधकार तक 

Tuesday, 27 August 2013

too much

i like u
bnaras ki byar
चारों ओर
बिखरा है
तुम्हारा प्यार 

vnhi kavita, fir se likhti hu

कितना मधुर नाम है
तुम्हारा रेनू
जैसे गूंज रही हो
मन के वृन्दावन में
क्रिशन की वेनू
तुम तो, हो
स्वप्न जगत की
कमनीय कामधेनु
हर वक्त लगा रहता है
तुम्हारे हारों और
मोहल्ले भर की
बालिकाओं का हुजूम
घर गृहस्थी की
आपाधापी में खोकर भी
कब, अकेली रहती हो
तुम
तुम्हारी , घर के कामों में
अस्त-व्यस्तता में भी
निखर उठता है
तुम्हारा सुघड़ सुहाना
रूप अन्यमनस्क सा
उस पर
तुम्हारा मुस्कराता
चंद्रमुख निरखकर
दूर हो जाता है
मन का सारा दुःख 

kitna madhur nam h

कितना मधुर नाम है
तुम्हारा रेनू
जैसे गूंज रही हो
मन के.……………।   में
क्रिशंन्ही  ह क्या
तेरी तो
जब लिख रही हु, तो
डिस्टर्ब मत करो  

50 posts, 442 bar read ki gyi h

 50 पोस्ट 442 बार पढ़ी गयी
बनारस की बयार
सबसे आगे है
इसके लिए रसिक पाठकों का आभार 

Monday, 26 August 2013

tomorrow

tomorrow, i will write
veri prominent poetry
on u

bnaras ki byar ne, puri ki, 4th centuri

अपनी ४८ पोस्ट के साथ, ये ब्लॉग बनारस की बयार , ४०८ बार पढ़ी गयी , और इसने आज पूरी की ह, ४ थ शतक , यानि की, सेंचुरी
आप सबको इस प्यार हेतु , बारम्बार धन्यवाद
400 बार पढ़ा   , ये सच है, की हम शुरुआत जब 1 बार रीडिंग से करते है , तो ये उच्चतम स्तर लगता है
 लिखना है, और इसे 1000 तक ले जाना है
किन्तु, आज आप सबके साथ सेलिब्रेशन हेतु अवकाश चाहूंगी , आजका
जोगेश्वरी 

o bnaras ki byar

ओ बनारस की बयार
तुम दिखती हो ,
जितनी सुकुमार
उतनी ही हो
प्रस्तर -हृदय
अब, तुमसे कहनी
कोई बात है, बेकार
जाओ, अपनी दुनिया में
खो जाओ जन्हा
तुम्हारी बाँट जोह रही है
खुशियाँ बेशुमार
ओ , बनारस की बयार 

Saturday, 24 August 2013

maine dur tk dekha

मैंने दूर तक देखा
तुम्हे  दूर जाते हुए
तब, क्योंकर
मेरी आँखों में
सपनों की जगह
आंसू झिलमिलाये 

btohi

बटोही
जब तुम मुझसे
दूर जाओगे
तो, न ही मुस्कराओगे
न ही, मुझसे
आँखे मिलाओगे
बस ,बिन मेरी और देखे
सीधे तुम निकल जाओगे
अपने बसेरे की और 

ydi pyar me

यदि प्यार में चाहते हो
अलगाव तो
जला लो नफरत के अलाव
प्यार की चट्टान को
नफरत की आग से
पिघल जाने दो
प्रेम की हर शिला को
अपने भीतर ही भीतर
मौन हो,गल जाने दो
और दफ़न कर दो
अपने हर अरमानों को  

ab koi kasam nhi

कोई कसम नही  खाना
बस , इतना जन लो
कभी न मिलना
सपनों में भी
भूलके याद  न आना
ख्यालों में भी
नहीं आँखें पल भर डूबे
तुम्हारे तस्सवुर में 

jao, hirniya

जाओ हिरनिया
ये फिजां तेरे साथ है
सदा से जंवा
आँखे नम ना हो
न लबों पर हो
रूठा हुवा तेरा नाम
हिरनिया
 तुम्हारे प्रदेश की
मेरे वतन से
जुदा हो रही है , राह
अब याद  न करना
कोई लफ्ज मोहब्बत का
अब  तुम कंहा
और हम कन्हा  

Wednesday, 21 August 2013

jbse, tu ayi h

जबसे तुम आयी हो
जीवन में,मेरे
रंगों को मिला है
इन्द्रधनुषी संग
सजने लगे है ,स्वप्न
उड़ी उड़ी फिरती है
मेरी संवेदनाएं
उन्मुक्त सी , गगन में
जैसे उड़ता है , मेघ
सावन में ,
इसे रहती हो
तुम मेरे मन में

जोगेश्वरी 

Tuesday, 20 August 2013

usne di h, khushiyan mujhko

आज मै बनारस की बयार को शुक्रिया करना चाहूँगी , की उसने जीवन को से भर दिया है
दिल तब, ख़ुशी से जगमगाता है , जब वो जलाती दिया है
उसके होने से जिंदगी रोशन है
उसकी हँसी। ………
(शब्द नही मिलते )

jis din

जिस दिन तुम
हाथ छुड़ा कर  गयी थी
उसी दिन
आंसुओं की
नदी बही थी
ये कोई इल्जाम नही है 

Thursday, 15 August 2013

thanks 4 third century

मुझे कोई नही चाहता
किन्तु, जब मेरी कवितायेँ, ३ सेंचुरी पर  है
तो, मेरा मन आकाश में उड़ जाता है
thank u , dear 

kunwar ki dhup ki trh

कुंवर की धुप की तरह
अल्हड तुम्हारी हँसी
इसे दिल में बसी
धरती पर उतरी हो
जैसे कोई अप्सरा
की, तुम मेनका हो ,
या, की उर्वशी
जोगेश्वरी
sorry  ज्यादा प्रसंशा के लिए

abke baras bhi bit na jaye

ये सावन की रातें

इस ब्लॉग के ३०० तक पुरे होने के इंतजार में हूँ 

us nisthur ki kya bat kren

उस निष्ठुर दिलरुबा की
दिलकश पाजेब
और, ये पाबंद लगी जिंदगी

एक गीत याद  आ रहा
नही लिखती, कल fb  पर दिखेगा 

aapka dular

बनाराश की बयार को मिल रहा है ,
आपका दुलार ,  बहुत हूँ,आपकी शुक्रगुजार
थर्ड सेंचुरी के पास ह, ये ब्लॉग 

Wednesday, 14 August 2013

banaras ki paheli

मैंने कभी बनारस नही देखा , इसे बीएस शरत के नोवेल में पढ़ती रही हूँ 

Tuesday, 13 August 2013

ab sirf, ye kavita likhungi

हाँ , सिर्फ और
सिर्फ तुम्हे
ह्रदय का उपहार
मेरे प्यार
याद कर तुम्हे
भेज रही हूँ
प्रेम-पत्र
भरा है , जिसमें
मेरा ह्रदय
तुम्हारे बिना लगता
जीवन निस्सार
मुखर होते है
तुम्हारी स्मृति से
प्रेमोदगार
न सम्भाल सको
तो, लौटा देना
ये, प्रेमोपहार
तुम बिन जीवन लगता
 जलता अंगार
गर, तुम साथ दो,तो
रच दूँ , मै
एक नया  संसार

जोगेश्वरी (इसी ही कवितायेँ लिखूंगी, क्योंकि, सच असहनीय है )

Sunday, 11 August 2013

mahkta tera aanchal

ये लहकते हुए जंगल
ये उड़ते हुए बादल
ये बहते हुए झरने
कल कल
इन सबके बीच
याद आ रहा है
लहराता हुवा
तेरा आँचल
बदल रहा है
प्रतिपल
पर नही बदलता
तेरे नैनो का काजल

Saturday, 10 August 2013

jb, tu hi, uski mohbbat h

जब तू ही , उसकी
पहली मोहब्बत है
तो, वो इंकार क्यों करता है
गर , इंकार करता है , तो
दूसरों को
स्वीकार क्यों नही करता
तभी तो सोचती हूँ
कंही तुम ही तो
उसकी चाहत नहीं ?
      २
वो,मोहब्बत है ,
मोहब्बत कोई रिश्ता नही
वो, सिर्फ समर्पण होती है
इससे ज्यादा कुछ मत सोचना 

vo kaun si khumari h

वो कौन सी खुमारी है
जो, मेरे ख्याल के साथ
तेरे हवाश पर तारी है
तभी तो, तुझसे जुदा होके भी
तेरे संग संवाद जारी है
            २
क्या आज भी , उसी तरह
तेरे गाल लाल हो जाते है
मेरे नाम के साथ
खिल जाते है , तेरे मुखड़े पर
ढेर सारे  गुलाब
          ३
क्या आज भी
हाँ, आज भी
तुम सोचती हो
उसके नाम को
धडकते दिलों से
जब कंही किताबों में
साँस लेता मिलता है
कोई सुर्ख गुलाब
           ४
ये कैसा अजीब रिश्ता है
धडकनों का गुलाब संग
महकता हुवा , पुरअसर
ज्यों , बिच में से गुजरा हो
वक्त, एक कतरा सा
जोगेश्वरी

Tuesday, 6 August 2013

tum me hriday

तुममे ह्रदय सहज अनुरक्त है
ये लावण्यमयी
तुम्हारी मुस्कान ही
सबकुछ कहती है
यध्यपि , तुम हरवक्त चुप रहती हो
तेरी ख़ामोशी में भी
एक संगीत है , सोज है
तेरे इतराने में ,बल खाने में
एक लचक है
तुम्हारा ख्याल
मुझे दिन -दुनिया से
विलग करता है
वंहा जन्हा , वीराने में भी
तेरी यादों से
वेणु की अनुगूँज सुनाई देती है 

ye gauri

ये कल्याणी , ये गौरी
तुम जैसी कोई नही
तुम्हारे आने से
मेरे घर में , खुशियाँ बरसती है
तुमने मेरे घर के आंगन में
उल्लाश के दिए जलाकर
बुझे मन को चमन कर दिया है
मेरे निराश मन को ज्योति-दीप्त कर
अँधेरे जीवन में रौशनी की है
ये शारदे , तुम मेरी प्रेरणा हो
मई तुम्हारा  सम्मान करती हूँ
तुम मेरे पुत्र को , अपने रूप का
सान्निध्य प्रदान करो
तुम्हारी हँसी निर्मल है
तुम्हारी चितवन कटीली  है
तुम्हारी मुस्कराहट बनी रहे
चांदनी तुम पर बरसती रही
तुम हमारी अमावश्या की
उजली पूनम हो
उजाले तुम्हारे साथ रहे
जोगेश्वरी 

Sunday, 4 August 2013

ye shabd

लहराते हुए
बल खाते हुए
बहलाते हुए
ये, शब्द
कितने ,निशब्द
आज, मित्रता दिवस
तुम्हारे बिना
बहुत तनहा
बहुत उदाश