Tuesday 6 August 2013

tum me hriday

तुममे ह्रदय सहज अनुरक्त है
ये लावण्यमयी
तुम्हारी मुस्कान ही
सबकुछ कहती है
यध्यपि , तुम हरवक्त चुप रहती हो
तेरी ख़ामोशी में भी
एक संगीत है , सोज है
तेरे इतराने में ,बल खाने में
एक लचक है
तुम्हारा ख्याल
मुझे दिन -दुनिया से
विलग करता है
वंहा जन्हा , वीराने में भी
तेरी यादों से
वेणु की अनुगूँज सुनाई देती है 

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