जब तू ही , उसकी
पहली मोहब्बत है
तो, वो इंकार क्यों करता है
गर , इंकार करता है , तो
दूसरों को
स्वीकार क्यों नही करता
तभी तो सोचती हूँ
कंही तुम ही तो
उसकी चाहत नहीं ?
२
वो,मोहब्बत है ,
मोहब्बत कोई रिश्ता नही
वो, सिर्फ समर्पण होती है
इससे ज्यादा कुछ मत सोचना
पहली मोहब्बत है
तो, वो इंकार क्यों करता है
गर , इंकार करता है , तो
दूसरों को
स्वीकार क्यों नही करता
तभी तो सोचती हूँ
कंही तुम ही तो
उसकी चाहत नहीं ?
२
वो,मोहब्बत है ,
मोहब्बत कोई रिश्ता नही
वो, सिर्फ समर्पण होती है
इससे ज्यादा कुछ मत सोचना
No comments:
Post a Comment