जबतक मै न लौटूं
नदी के उस पर
तुम राह ताकना
ठहरकर , इस पर
ये कैसा इंतजार है
दिन का रात के लिए
रात का दिन के लिए
सुबह से शाम का
ये कैसा इंतजार है
युगों से
पूनम का अंधकार तक
नदी के उस पर
तुम राह ताकना
ठहरकर , इस पर
ये कैसा इंतजार है
दिन का रात के लिए
रात का दिन के लिए
सुबह से शाम का
ये कैसा इंतजार है
युगों से
पूनम का अंधकार तक
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