Thursday 29 August 2013

jb tk, mai na lautun

जबतक मै न लौटूं
नदी के उस पर
तुम राह  ताकना
ठहरकर , इस पर
ये कैसा इंतजार है
दिन का रात  के लिए
रात  का दिन के लिए
सुबह से शाम का
ये कैसा इंतजार है
युगों से
पूनम का अंधकार तक 

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