ये मेरे पहले शब्द
जो सिर्फ तेरे सौंदर्य के लिए लिखे होंगे
कल, जेन तुम कंहा , हम कंहा होंगे
तुम्हारी मदभरी हंसी
और नशीली निगाहें
तुम्हारी गोरी गोरी बांहे
फिर सिर्फ आंहे ही आहें
ये गजगामिनी
ये मंभामिनी
ये मंभामिनी
मनभामिनी
ये जो आशिकों के दिलों को
कदमों तले रौंदते हुए
बांकी अदा से चलती हो
ये तेरा सरूर
जीना क्र देता है, जरुर
तुझे देखके , मन कि कली खिलती है
जब जब तू इतराके मिलती है
इठलाके सामने से निकलती है
तेरे हंसने मुस्कराने से ही
बाग़ कि हर कली खिलती है
जब तू, मुस्कराकर मिलती है दिल कि पंखुरी खिलती है
ये जो , ताजा ताजा खिले कुसुम सा
कोरा कोरा तेरे कपोलों का रंग है
तेरे गुलाबी गालों पर मलराहा
सुरभित
केशर अनंग है
तेरे माथे पर जो
सजा निखरा सा कुमकुम है
जैसे मंदिर में दीप दीप करता
कोई दीपक जल रहा है
निरखकर तेरा सजीला कुमकुम
दिल करता है
तेरा शुभ्र ऊँचा ललाट लू चूम
मन करता है चोरी से सबकी निगाहें बचके। ……
जो सिर्फ तेरे सौंदर्य के लिए लिखे होंगे
कल, जेन तुम कंहा , हम कंहा होंगे
तुम्हारी मदभरी हंसी
और नशीली निगाहें
तुम्हारी गोरी गोरी बांहे
फिर सिर्फ आंहे ही आहें
ये गजगामिनी
ये मंभामिनी
ये मंभामिनी
मनभामिनी
ये जो आशिकों के दिलों को
कदमों तले रौंदते हुए
बांकी अदा से चलती हो
ये तेरा सरूर
जीना क्र देता है, जरुर
तुझे देखके , मन कि कली खिलती है
जब जब तू इतराके मिलती है
इठलाके सामने से निकलती है
तेरे हंसने मुस्कराने से ही
बाग़ कि हर कली खिलती है
जब तू, मुस्कराकर मिलती है दिल कि पंखुरी खिलती है
ये जो , ताजा ताजा खिले कुसुम सा
कोरा कोरा तेरे कपोलों का रंग है
तेरे गुलाबी गालों पर मलराहा
सुरभित
केशर अनंग है
तेरे माथे पर जो
सजा निखरा सा कुमकुम है
जैसे मंदिर में दीप दीप करता
कोई दीपक जल रहा है
निरखकर तेरा सजीला कुमकुम
दिल करता है
तेरा शुभ्र ऊँचा ललाट लू चूम
मन करता है चोरी से सबकी निगाहें बचके। ……
No comments:
Post a Comment