प्रिये
जब तुम
गंगा कि लहरों में
जलते दीयों संग
अपने अश्रु-सुमन अर्पित करोगी
वंही मेरे प्यार को तुम्हारी
सच्ची शर्धांजलि होगी
प्रिये
जब जब , तुम
फूलों कि तरह
खिलती कली सी
मुस्कराओगी
सच ,तभी
मेरे तस्सवुर में आ जाओगी
तुझे रहना हो तो रहके देख
ये विरह भी सहके देख
मेरी कविता , मेरे गीतों बिना
हो सके तेरा गुजर ,एक पल भी
तो, तू मेरे गीतों के बिना
रहके देख
क्यों करती हो ऐसे उपहास
क्र दे जो दिल को उदाश
मिस शुक्ला
कोई भी तुझसा
जिंदगी को नही मिला
जिंदगी में नही मिला
न ही किसी को देखके
दिलका कमल ही खिला
फिर भी तुझसे नही है
मुझको कोई गिला
ये मुस्कराते हुए
नाज नखरों से
जो , तेरे आंसू छलक आते है
लगता है जैसे
सागर कि सीप में
जलते दीयों कि तरह
pears झिलमिलाये है
तुम ही तो
मेरे मन कि रामायण कि
सीता हो
मेरी कविता हो
कोई भी पल ऐसा नही
जो तेरे ख्यालों के बिन बिता हो
सजनी
सजनी
मन रजनी
टकोण बसंत में
तेरा रूठके जाना
मुझे रास आने लगा है
जब जब तुम
घरके आँगन में
अपनी दहलीज पर
साँझ के समय , आँगन में
दीपक जलाओगी
उसी लम्हा
मेरे तस्वुर में
चाँद कि तरह
झिलमिलाओगी
ये मतवाली
क्या दिए जला जला के \
तेरे
तेरे गुलाबी मुखड़े कि रंगत हो गयी है काली
तब से तू और ज्यादा
लगने लगी है , सुघर , सलोनी
जब तुम
गंगा कि लहरों में
जलते दीयों संग
अपने अश्रु-सुमन अर्पित करोगी
वंही मेरे प्यार को तुम्हारी
सच्ची शर्धांजलि होगी
प्रिये
जब जब , तुम
फूलों कि तरह
खिलती कली सी
मुस्कराओगी
सच ,तभी
मेरे तस्सवुर में आ जाओगी
तुझे रहना हो तो रहके देख
ये विरह भी सहके देख
मेरी कविता , मेरे गीतों बिना
हो सके तेरा गुजर ,एक पल भी
तो, तू मेरे गीतों के बिना
रहके देख
क्यों करती हो ऐसे उपहास
क्र दे जो दिल को उदाश
मिस शुक्ला
कोई भी तुझसा
जिंदगी को नही मिला
जिंदगी में नही मिला
न ही किसी को देखके
दिलका कमल ही खिला
फिर भी तुझसे नही है
मुझको कोई गिला
ये मुस्कराते हुए
नाज नखरों से
जो , तेरे आंसू छलक आते है
लगता है जैसे
सागर कि सीप में
जलते दीयों कि तरह
pears झिलमिलाये है
तुम ही तो
मेरे मन कि रामायण कि
सीता हो
मेरी कविता हो
कोई भी पल ऐसा नही
जो तेरे ख्यालों के बिन बिता हो
सजनी
सजनी
मन रजनी
टकोण बसंत में
तेरा रूठके जाना
मुझे रास आने लगा है
जब जब तुम
घरके आँगन में
अपनी दहलीज पर
साँझ के समय , आँगन में
दीपक जलाओगी
उसी लम्हा
मेरे तस्वुर में
चाँद कि तरह
झिलमिलाओगी
ये मतवाली
क्या दिए जला जला के \
तेरे
तेरे गुलाबी मुखड़े कि रंगत हो गयी है काली
तब से तू और ज्यादा
लगने लगी है , सुघर , सलोनी
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