Saturday 21 September 2013

gori dekh to

गोरी देख तो
उल्लास की ऋतू आई है
हरे भरे पेड़ पौधों पर
कैसी मस्ती छाई है
पखेरू भी उड़ चले
अपने बसेरे की और
सोलह 

No comments:

Post a Comment