Friday, 20 September 2013

tere shahr me

तेरे शहर में
कौन सोता है
शायद कोई नही
वंहा तो, अर्ध रात्रि में भी
सभी जागते है
लहरों पर
जीवन का जशन
अंगड़ाई लेता है
ऐसा है, ये तेरा शहर
अल्हड , मस्ती भरा 

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