गोरी, तेरे सर पर गगरी
ये है , अवधूत की नगरी
कितना भी मथो
इसमें से हर वक्त
माखन ही निकलता है
इतना सरस है
ये तेरा बनारस
गोरी , जैसे तेरा अक्श
ये है , अवधूत की नगरी
कितना भी मथो
इसमें से हर वक्त
माखन ही निकलता है
इतना सरस है
ये तेरा बनारस
गोरी , जैसे तेरा अक्श
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