Thursday, 31 October 2013

मन्नू   कलावती बनके अत है 
मन्नू घूँघट बीबी जी बीबीजी   संभलके --नमस्ते 
मन्नू--अपना घूँघट संभलके --बीबीजी नमस्ते 
रम्भा चौंककर ---तुम कौन हो 
मन्नू पतली आवाज में - जी बीबी जी मई कलावती हु 
रम्भा--यु मीन कहलवाती खलावती 

मन्नू -यस यस 

Wednesday, 30 October 2013

नही होता एतबार तो प्यार क्यों करते 
इलाज नही जानते तो , बीमार क्यों करते 

next scene

मन्नू  जगमोहन को सर से पांव तक देखता है 
तबतक कार से शहरी लड़की सजी धजी स्कर्ट में जगमोहन के हाथ में हाथ डाले कड़ी होती है 
मन्नू उछाल क्र सामने आता है 
मन्नू--भैय्या 
लड़की--जेम्स , हे इस कालिंग यु , दूध वाला भैया 
मन्नू---ये, दूधवाला होगा, तेरा भैया , जायदा मत लपक हाँ,
मन्नू--भैया , ये जेम्स कौन है 
जगमोहन अपनी टाई ठीक करता है---हम है 
मन्नू टाई पकड़ क्र खिंच लेता है---जरा गांव कि भाषा में बतिआवो , और ये कौन भईल , टम्झमक 
जगमोहन---ये है, हमारी लिव इन 
मन्नू--हटाओ, ये जरा दूर 
रम्भा--ये क्या कह रहा ह, उर सर्वेंट 
मन्नू-- अरे सर्वेंट होगा तेरा खानदान , हम तो गांव के रजा है , समझी 
रम्भा --डार्लिंग, हे इन्सुल्स में 
मन्नू अलग करके--- अरे पापिन, अबतो, छोडदे , कछु शर्म ह्या है कि नहीं , कपडे देखो इनकी, टांगन को सर्दी नहीं लगिल का , नागिन के 
रम्भा --जेम्स , इसे शुतुप करो 
मन्नू-- शूट उप तुझे शुतुरमुर्गी 
जगमोहन -रुको , देखो मन्नू, ये हमारी गेस्ट है 
मन्नू---गेस्ट क्या, अरेस्ट 
रम्भा--ये तो फोरेस्ट का सांड है 
मन्नू--देखो भैया , हमको कुछ कहेगी, तो हम नहीं रुकबिल 

जगमोहन -रुको, तुम इन्हे गेस्ट हाउस में ले जाओ 
मन्नू रम्भा को सर से पांव तक देखता है---हम्म्म्म 
रम्भा डरकर -नो, जेम्स , कोई लेडी नही है क्या 

मन्नू-हाँ ,है न लेडी डयना 
जगमोहन --ऐसा करो, किसी को 
मन्नू-हो जायेगा , हम कलावती को भज देंगे 
जग --ये कौन है 
मन्नू--ये समझो, अभी पैदा भईल बा 
मन्नू--भैया आप चलो, घर में गौर भौजी आपकी आरती उतरन कि रह दाखिल बा 
जगमोहन जाता है 
रम्भा घबराती है --जेम्स 
मन्नू--चलो, ज्यादा मत रम्भाओ। ।अओ 
वो उसे गेस्ट हाउस ले जाता है 
रम्भा- हमे डॉ लग रहा है , तुम जेंट हो, हम अकेले 
मन्नू--भैया के साथ डॉ नहीं लगता था 
रम्भा---वो गेंटलेमन ह,
मन्नू--तो, हम क्या नोगेंटल है 
रुको अभी कलावती अति है, भेजते है 
रम्भा अकेले डर्टी है , बहार से मन्नू कई आवाज  डरता है 
फिर वो कलावटी बनके अत है 
रम्भा--यु, खलावती 

next scene

अगला दृश्य 
मन्नू बीएस स्टैंड में उठकर अपने कपडे झाड़ता है 
सामने जो लक्सरी कार आकर रूकती है 
उस गाड़ी से मनु का बड़ा भाई जगमोहन सूटेड बूटेड उतरता है 
कार से उतरते हुए जगमोहन के बूट जजूते  पर केमरा कॉम्पैक्ट करता है 
कमरा धीरे से ऊपर देखता है , जगमोहन अपनी टाई  कि नोट ठीक करता है 
वो साथ वाली लड़की को हाथ बढ़ाकर कहता है , कॉम ऑन डार्लिंग 
अब मन्नू उछलकर उत्खड़ा होता है 
वो, अपनी पगड़ी सम्भलकर  जगमोहन को देखता है 

Tuesday, 29 October 2013

कल सन्डे नही मंडे था 
मई सन्डे समझती रही 
और सोचती रही कि 
आज सन्डे को बच्चे स्कूल क्यों गये  थे 
बच्चे स्कूल से लौट रहे थे 
तो मई सोचती रही कि सन्डे को 
भी उनकी क्लास लगी है 
आनन फानन में लिखने 
जरुरत होती है , ज्यादा ऊर्जा कि 

Monday, 28 October 2013

aaj sunday h

आज संडे है , आज शूटिंग नही होगी 
फिर भी देखती हूँ , क्या लिख सकती हूँ 
मन्नू बस से शहर जाने को स्टैंड पर अत है 
उसे छोरने के लिए पूजा अपनी सखियों के साथ आयी है 
मन्नू बार बार अपनी पेटी को सम्भालता है 
पूजा--देखो, रुपया पैसा संभलके रखना 
मन्नू---हाँ , वो रुपये कि गड्डी नाड़े में रख लिए है… 
पुजाचिल्लाकर)--अब ज्यादा मत बटअओ....ओओ 
तभी बस आ जाती है 
बस बहुत भरी है 
मन्नू----अरे बाप रे , ये तो हॉउस फूल चल रही है , कैसे जायेंगे 
तभी पूजा कि सहेली लाड़ली उसे बस के भीतर धकिया देती है 
तो, मन्नू को बस के भीतर से दूसरी महिला जोर से धक्का देती है 
मन्नू निचे गिर जाता है , बस आगे बढ़ जाती है 
साडी सहेलियों के साथ पूजा चित्त हो गये मन्नू को उठती है 
मन्नू को बहुत देर बाद होश अत है 
मन्नू--बैठे बैठे, अपनी गिरी पगड़ी उठाकर ) हम नही जाइबल , वंहा कि भीड़ से हमतो ,
पूजा--क्या होिबल
मन्नू-हमार दिमाग का फुज उदिल बा। . तभी जगमोहन कि गाड़ी कार धूल उड़ाते आ जाती है
अब, मन्नू के ऊपर धूल चढ़ जाती है
मन्नू (उठकर)धूल जड़ते हुए ०)देखकर नहीं चलिबल क…हुन
तभी कार रूकती है ,और वंहा से जगमोहन उतरता है 

Sunday, 27 October 2013

mannu jata h, padma bhabhi ke pas

मास्टर शॉट 
वाइड ओपन करते है 
साइन ५ 
मन्नू अपनी पद्मा भाभी के पास जाता है 
ये गाँव के बहार का द्रश्य है 
कैमरा एक घर की बगिया को देखता है 
चरों और का शॉट लेते है मन्नू के पास 
एक नन्हा बच्चा आता है 
मन्नू--अरे , जोगल भैया , क्या हमारे संग शहर चलोगे 
पद्म भाभी  अति है , उसने सीधे पल्ले की साडी पहनी है 
मन्नू-भाभी प्रणाम 
पद्मा --काहे बबुआ , बहुत दिनों बाद गौरा के भौन्वरा को छुट्टी मिली है 
मनु--भाभी , काहे , तन मार रही हो ,बीएस जल्दी से हमको मिठाई खिल दो ,
पद्म --कहे के लए 
(आप भोजपुरी में पढ़िए )
मन्नू -गौरा भौजी को कुछ होने वाला है 
पद्म --तबतो, बबुआ को हम लड्डू खिलैब्ल 
मन्नू---भाभी ये, लो , कछु रख लो 
पद्म--रहने दो , आपकी भाभी दुई हाथन से कामिल सकब 
मन्नू-भाभी , ये जुगल का अधिकार है , हम शहर जा रहे है , भैया को कोई छिट्ठी देनी हो, तो बता दो 
पद्मा -रुको 
यंहा मन्नू जुगल के साथ खेलता है 
पिंजरे की मैन की बोली जुगल बताता है 
भीतर से पद्मा चिट्ठी व् लड्डू लाकर देती है 
मनु-चिट्ठी  तो हम नही पढेंगे , विश्वास करो 
पद्मा -हमका अपने देवरवा पर सारे जग से ज्यादा विश्वास है, सच कहिबे 
तबी वंहा पप्पू आ जाता है, वो अपने गधे हांक रहा है 
पप्पू -क्यों , मनुआ , दोनों तरफ की खीर भाकुसिल का , कच्छु हमका भी खाने दो 
मन्नू उसे मरने को उठता है 
पद्मा-(रोकते हुए)अपने गुस्सा को कण्ट्रोल करील बा 
मन्नू भाभी के पांव छूकर जाता है 
जुगल--हमारे लिए का लाओगे 
मन्नू -ट्रक्टर लैब 
पद्मा हंसती है 
जुगल--नही हवाई जहाज उदैइल 
यंहा सीन कट  करते है,
दिस्सोल्व करते हुए नेक्स्ट सीन दिखाते है 

Friday, 25 October 2013

bnaras ki byar: mannu yani manmauji

bnaras ki byar: mannu yani manmauji: सीन  नो  ४  मनमौजी से हमारा कैमरा एक लॉन्ग शॉट से  होरिजोंताली साथ चलता है  मन्नू पूजा को उसकी चुनरी देने जाता है  पूजा , पूजा करने जा ...

mannu yani manmauji

सीन  नो  ४ 
मनमौजी से हमारा कैमरा एक लॉन्ग शॉट से 
होरिजोंताली साथ चलता है 
मन्नू पूजा को उसकी चुनरी देने जाता है 
पूजा , पूजा करने जा रही है 
मन्नू उसको चुनरी ओध देता है 
दोनों के बिच प्रेम के बिज अंकुरित होते है 
मन्नू को अगले सीन में घर में दिखाते है 
वंहा मन्नू गौरा भौजी को पुकारते हुए घर अत है 
कैमरा मन्नू की नजर के साथ भीतर अनुप्रस्थ जाता है 
भाभी आचार खा रही है 
मन्नू ,--भौजी, का क्र रही , वो भी चुपके चुपके। . पता चलता है 
भौजी को कुछ है मन्नू बहुत खुश होकर भौजी को उठाना चाहता है 
फिर कहता है- न बाबा, कुछ एस वैसा हो गईल तो… 
मन्नू गाँव की  अमराई में गता है 
आने वाला है, हमार भतीजा 
इस गीत में सभी उसका साथ देते है 
मन्नू अब भौजी को कोई कम नही करने देता 
यंहा सीन ओ/स में ह 
ओवर तू सोल्जर शॉट है 
भौजी पानी भरने जाने वाली है , मिडिल शॉट में दिखायेंगे 
मन्नू--ओ, भौजी, मन्नू के होते, एसन में तुम पानी भरोगी , तो मन्नू चुल्लू भर पानी में न मर जायेगा 
भौजी फिर भी पानी भरने जा रही है 
मन्नू घागरी छीन लेता है 
मन्नू भौजी को बिठा क्र घर के सरे घग्रे, व् घड़ों में पानी भरके सर पर एक के उपर एक रखता है मन्नू(सर पर चार कलशे रखकर)--हूँ, अब एक साथ भर लिया, बार बार कौन ले जाहिल 

उधर लाडली की सहेलियां छुप के देखती है 
लाडली---हाँ, जाहिल, अभी टोका ब्तहिल 
लाडली सहित साडी लड़कियां गुलेल से मारकर मन्नू के सर के कलशे फोड़ देती है 
मन्नू-(चिल्लाकर)--ये , तोड़फोड़ कौन करील बा , हमार भतीजा अहिल तो 
लाडली व् साडी लड़कियां----भतीजा अहिल, और तू जो कई सालन से हमरी घागरी तोदिल , तो…. मन्नू-
मन्नू--तोहर घागरी तो, सही सलामत  दिखिल,……. 
ये सुनते ही, लाडली व् साडी लड़कियां उसके पीछे दौड़ती है, की उसे पकडकर बंदगी 
मन्नू--तुतुतु। । करते भागता है, और एक पेड़ पर चढ़ जाता है 
मन्नू(उपर से )--अब, ये मनुआ , तुम्हार हाथ न एहिल, हान… 
साडी लड़कियां उसे चिदक्र चली जाती है 
बाद में मन्नू रत में छपके पानी भरता है 
ये द्रश्य दिखाते है, दिसोल्व में, ओप्तिचल्स का प्रयोग क्र , वाइप सीन दिखाते है 
एक शॉट में पिक्चर धीरे से दिखती व् लुप्त होती है , दुरे में लोप पिक्चर दिखाई देती है 
इसे ऑप्टिकल तकनीक कहते है 

Thursday, 24 October 2013

bindiya me love notes

बिंदिया  में छपे है 
लव नोट्स 
नोव्म्बेर अंक में देखे 

bnaras ka bsant

बनारस के बसंत का 
कंही अंत नही होगा 
क्योंकि, ये तो, 
म्रत्युन्जय की नगरी है 
जन्हा कर्म है 
म्रत्यु का उत्स है 
और नश्वर जीवन को 
महत्व मिलता है 
उसकी मस्ती से 

bnaras ka utsav

जब कुछ नही होगा 
तब भी बनारस रहेगा 
तुम्हारे प्यार की तरह 
खुशगवार 

तुम्हारा वो बेलौस 
मुस्कराने का अंदाज 
भर देता है 
जिंदगी में जीने की उर्जा 

बिना तामझाम के 
बिना बनावट का 
तुम्हारा रूप सिद साधा 
बहुत भली लगती है 
तुम्हारे देखके 
हँस देने की अदा 

ye story, manmauji ki h

ये कहानी बालम फुक्तिया की नही 
मनमौजी की है 
ये एक, pure commedy है 

manu, scene 3

ऐसा  लिखेंगे 
सीन नम्बर - ३ 
मन्नू उठता है , सुबह का वक्त 
मन्नू  गंगा नदी में नहाते दिखाते है 
मन्नू--जय गंगा मैय्या। …ओम ब…। 
मन्नू  को डुबकी  लगते दिखाते है 
लहरों से उपर आते ही वो, एक चुनरी को अपने उपर पता है 
मन्नू-(चिल्ला क्र)-सांप सांप। … 
एक लडकी  पूजा जो गंगा जी में पानी भर रही है 
वो, मन्नू को देख चिल्लाती है 
पूजा --(चिल्ला क्र)--हमारी चुनर खीच ल बा 
(भोजपुरी में है , dilogue )
मन्नू--------जाल। जाल… 
पूजा( चिल्ला क्र )-ये देखो , हमारी चुनर  खुचल बा 
मन्नू -कहे इल्जाम लगा रही हो, बल ब्रह्मचारी है , हम 
पूजा (चिद क्र)--ये देखोइल , ये ब्रह्मचारी है ,
तभी पूजा की सहेली  लाडली अति है 
लाडली--का भईल 
पूजा -हमारी चुनरी खिच्ल  बा 
लाडली---अरे, ये मनुवा। । 
लाडली मन्नू के पास अति है, उसका कण पकडती है 
मन्नू-- अरे , छोर दैइल , हम बेकसूर है 
लाडली--------हु, चलो , गौरा भौजी के पास। …अभि, तुम्हार  सब कुकर्म ब्तैइल 
वो पकडकर मन्नू को खींचते ले जाती है सरे गाँव की लड़कियां उनके पीछे झुण्ड बनाकर चल रही है 
लड़कियां--(तली बजकर) ये पकर में आई गवा ,अब पता चलील छठी का दूध का भाव 
गौरा भौजी  पूजा क्र रही है 
लाडली----ओ , गौरा भौजी , देखोइल ,तुम्हार बचुआ , हमार पूजा को छेदील बा 
गौरा गुस्से से देखती है 
मन्नू एक लड़की की चुनर खिंच क्र अपना मुंह छिपता है 
लड़की--आ , देखिल बा, ये हमार चुनरी भी खींचन लागिल 
सब--मरो, पितो 
सब कुमारियाँ उसे मरने लगती है 
मन्नू(जमीं पर सस्तंग क्र )-भौजी , हमार ब्चैइलो ,जो, तुम कहोगी, हम करील बा 
गौर-----ओ, लड्किन, कहे , हमार ,सीधे सादे बबुआ को छेदील बा 
लाडली--ये सिधन है , सरे गाँव की पनिहारिनों के घागरी को, तक तक के गुल्लेल मर दैइल 
पूजा--फॉर देइल 
मन्नू -सस्तन प्रणाम करता हूँ, मई नही छेदील बा 
पप्पू _--हां, सब झूठ बोलील , तुम एक सच्चा हो 
पप्पू_ये लो धोती, इसे बांध देवो 
सब मन्नू की कमर में लम्बी धोती बंधकर उसे पेड़ से बढ़ देते है 
सब चले जाते है 
कैमरा नेक्स्ट सिं में लॉन्ग शॉट से मन्नू को देखता है 
फिर मिडिल शॉट में उसे व् कजरी गौ को देखता है 
दोनों, अजू बाजु बंधे है 
गौरा को भीतर खाना लेते कैमरा ओ/स में शॉट लेता है 
नेक्स्ट शॉट में गौरा खाना लेकर आती है 
गौरा -लो, खईलो ,
मन्नू--नही , खील बा , पहले ये बताई दो, हमको कहे के लिए बांधील है 
गौरा भौजी , माफ़ी मांगती है पर मन्नू नही खता
गौरा गीत गति है --
गीत के बोल है , बबुआ हमार , किशन कन्हया। ………।
सरे गाँव की छोरी , गोपियाँ। ………….
मन्नू भीतर जाता है, घर के भीतर जाते , मन्नू का हॉरिजॉन्टल शॉट है 
मन्नू अपना बंगाली कुरता व् धोती पहनता है 
उसके पास अभी भी पूजा की चुनरी है 
मन्नू तैयार होकर बहर अत है 
गौरा -कान्हा जाई राहिल बा ,
मन्नू --न तोकिल। ।ह्म  पूजा करने मंदिर जाईल 
गौरा काजल का टिका मन्नू को लगा देती है 
मन्नू-भौजी , ये का 
गौरा-ये गाँव की लड्कईन , की बुरी नजर से ब्चयिल बा 





blog ki diwani

मई अपने ब्लॉग की दीवानी हो गयी हूँ 

Tuesday, 22 October 2013

ghar ke kam hai

आज  के 

j to, sir dard h

आज फिर सर  दर्द    है 
 है 

scene 2

scene २
जब कजरी गौ विलेन पप्पू को मरती है 
तो, एक शॉट दिखाते है 
गौर भौजी चाय उबल रही है वो , उफान जाती है 
पुप्पू कजरी गौ को, पकडकर पगहे से मरते लता है 
तो, गौरा मन्नू को उठाते हुए कहती है 
कजरी, रम्भा रही है 
सुनते ही, मन्नू उचक क्र उठ बैठता है 
मन्नू -कान्हा है, रम्भा। ऱे 
गौरा --ली सुनो, इन्हें, सपने में भी रम्भा नजर ईल 
(देखो, हमे नही ईल , भोजपुरी )
तब पप्पू अत है कजरी , एक और लत उसे मारकर , कोठे में घुस जाती है 
पप्पू-- अरे ओ , भैंसासुर। …. 
मन्नू----अरे, कौन ,महिशसुर…। समझ नही आ रहा। हम सो रहे है ये हमारी नींद में कौन बगुला खलल दल रहा ह पप्पू 
पप्पू, व् मन्नू की हथ्पाई को गौर छुड़ा टी है, इस बार फिर गौ उनके बिच से भागती है, पीछ मैना भी 
पप्पू देखने लगता है 
मन्नू---जम्भाई लेते हुए )हां, बतिबा , कहे को, रिरिय रहे हो पप्पू--कहे, इतनी ठसक 
मन्नू--अरे, करोर्पति बनने का सपना देख रहे थे,
ब्च्चँव हमसे प्रशन पूछ रहे थे, तुम बिच में आईगे , तहरी मरने। …्‌ए 

bahut interesting story h

बहुत इंटरेस्टिंग स्टोरी है 
आपको हर ससेने में जानने की इक्षा होगी 

camra, action

कैंमरा , साउंड लाइट, एक्शन
आपको, ये साडी भाषा मई सिखौंगी
हर ससेने में लॉन्ग शॉट, मिडिल शॉट, ये सब स्टडी होगी
डिटेल में आपको जानना है, की शॉट व् ससेने कैसे होते है 

balam fuktiya

बालम fuktiya
ये एक युवक मन्नू, के गाँव से शुरू होती है 
सुबह का समय है 
कैमरा fullpant  , वाइड ओपन 
गाँव के घर का scene  है 
मन्नू का घर 
मन्नू यानि मनमौजी 
ये देवर है, फिल्म का कार्टून किरदार 
उसकी दो भौजी है 
गौर भौजी , व् पद्म भाभी 
गौरा भौजी, व् पद्मा भाभी 
फिल्म शुरू होती है,
गाँव के घर से 
गाँव का घर का चों और से कैमरा scene  लेता है 
हरियाली है, व् कोठे में गौ रम्भा रही है 
गौर भौजी , गंगा जी में स्नान कर  बहुत सुबह ही घर आ रही है 
तभी गाँव का बदमाश , पप्पू चौधरी आ रहा है, लोटा लेके 
वो, गौर भौजी को, गलत तरीके से बोलता है 
भौजी, घूँघट में अंचल का आड़ करके  अपना जोबन छिपती है व् किनारा क्र निकलती है पहले,
हौले हौले , फिर दौड़ती हुयी, सीधे घर के आँगन में फिर पल्लू झटक के 
गौ कजरी को कहती है 
कहे, हमारे रखवाले इन्ह नही, तो जो चाहे बुरी नजरन से देखायिल बा 
तभी कजरी कहता तुद क्र भागते हुए जाती है और पप्पू को ठोकर मर देती है जससे वो लंगड़ा हो जाता है गौर जाकर मन्नू को उठती है 
नही, उठता तो, कामवाली मैना  से बोलती है , की , जाकर एक घाघरी पानी मन्नू पर डाले पुरे, ससेने में संगीत अलग अलग होगा 

dhiraj rakhe

हम हमेशा   लड़कियों कहते है 
 की, रखो , धैर्य 
किन्तु, ये कभी नही कहते 
की, आप तो सदियों से सहती ई हो 
यंहा, तो औरतें ही 
लड़कियों को तरस देती है 
खुद औरतें ही, औरतों को तंग, करती है 
वो, कहती है, की तुम औरत हो तो 
तुम्हे, अपनी परवाह नही करनी चाहिए 
व्, हमेशा काम  करना चाहिए 

Monday, 21 October 2013

sorry

जी हाँ, सॉरी लिखी है
sory  नही 

pyar me

ये  न समझो 
की, गोरी तेरे प्यार में 

दूरी  भी होती है 
जरुरी , प्यार में 

hindi me hi dikhao

हिंदी में टाइटल अच्छे लगते है
हिंदी में ही दिखाओ 

hindi me hi dikhao

हिंदी में टाइटल अच्छे लगते है
हिंदी में ही दिखाओ 

mera sandesh

आप सबके लिए मेरा सन्देश है
की मै , हमेशा आपके साथ हूँ
चाहे जीवित न रहू
तब भी
इसलिए सब मुझे
पागल भी कहते है
मई उनका बुरा नही मानती 

aaj sara vqt bit gya

आज कविता नही क्र सकी 
क्षमा चाहूंगी 

sory

सॉरी , आजसे बालम फुकतिया , की कहानी लिख रही हु 
balam fuktiya 
इसके गीत भी लिख रही 
भोजपुरी अति नही है 
कोशिश क्र रही हूँ 
इसे बनारस में ही शूट  करूंगी 
वन्ही के कलाकार लेकर 
पहले, एक भोजपुरी, फिल्म बनाकर 
बादमे , हिंदी फिल्मे बनायेंगे 

Sunday, 20 October 2013

जब सामने अति हो 
तो ,सिर्फ एक 
चिरंतन कविता होती हो 
चिरंतन सत्य से भरी 
एक कविता होती हो 
नाम तो, बरबस 
बाद में यद् अत है 

bnaras ki byar

 बनारस की बयार 
तेरे बिना नीरस लगता है 
 असार संसार 
प्यार  को न समझ 
मिथ्याचार 
क्या तुम्हे ये नही मालूम 
की, प्यार के बिना 
लोग हो जाते ह, बीमार 

era bas chalta to

मेरा  बस चलता ओ 
तुम्हारे लिए होती सुबह 
तुम्हारे लिए होती शाम 
तुम्हारे लिए खिलते फूल 
नदियाँ बहती अविराम 
तुम्हारे लिए निकलता सूरज 
तुम्हारे लिए चमकता चाँद 
मेरा बस ,चलता तो 
तुम्हारे लिए होते, तीर्थ धाम 

Saturday, 19 October 2013

tumhara mugdhkari rup


sadh-snata

sadh
स्ध्यस्नाता
सद्यस्नाता 

ek sapne ke liye

एक सपने को सच करने 
क्या करना होता है 
बाकी सारे  सच को 
झूठ करना होता है 

एक सपने को जिलाने 
अपने आप को मरना होता है 

सपने इसे ही अपने नही होते 
उनकी अपनी कीमत होती है 

इशलिये जब भी 
कोई सपना देखो 
सोच लो,
की तुममे 
उसे सच करने की 
क्षमता है भी 
या नही 


यूँ ही , सपने देखने से 
किसी का भला नही होता 

ab, nhi likhti

अब क्या लिखना 
 ,रत दिन 
ये धुन है की 
बनारस को 
पर्दे पर साकार करू 
बनारस की बयार 

mumbai jane krti mehnat

पता है , मुंबई जाने 
बहुत मेहनत क्र रही हूँ 

Monday, 14 October 2013

mumbai jane ki kalpna

kalpna
alpna
me
mn bahut
soch me rahta h
hmesha 
athon pahr usi me lgi huki
is sangharsh ko kaise krna h
ye bhi khyal h, ki
hmesha
tumhari
hi, rup ki chandni
mri filmon me bi
chhitkegi

Sunday, 13 October 2013

bnaras ki byar: vrsha ke meghon me

bnaras ki byar: vrsha ke meghon me: ghirti sanjh ke dhundhalke me asman ke dhusar saye me tar pr baitha, pakshi tak raha h, badlon ko kya soch raha hoga ynhi n, ki jati ...

ghtaghop

jindagi ke ghataghop me
ek teri yadon ki
chamkti huyi sahtir
ki, khinchi lakir
jivan ko dur tk 
le jati h

vrsha ke meghon me

ghirti sanjh ke dhundhalke me
asman ke dhusar saye me
tar pr baitha, pakshi
tak raha h, badlon ko
kya soch raha hoga
ynhi n, ki
jati huyi, vrsha ke meghon me
ab kitna jal shesh h

jogeshwari

kwanr ka kora kora chandrma

kwanr ka kora kora 
chandrma
sanjh se hi
bikher raha h
unchhua ujiyara
lg raha h
dudhiya ktora sa
ufnta huwa
yauvan ka jwar, pyara

Saturday, 12 October 2013

sanjh me tum dekhna

sanjh me tum dekhna
kabhi chhat pr jakr
tahlna thodi der
mahsus krna
un udanon ko
jo, pakheru
akash ki or
udte h
jate h, jane knha
kitni dur
tanmyata se udte h
bijli bnd kr raha h

kl, sam barish huyi

kl, der tk, chhat pr tahlti rahi
sanjh me barish ke bad
ghirta andhera
lga, bahut din bad
shayad arse bad mai
akash ko nihar rahi hu
dhula huwa sa shma
pakheruon ko udta dekhi
nnhe se pakshi ko
kuchh sochte
akash ko niharte dekhi
use udte dekhi
to, ynhi samajh aya ki
hme udne ki shakti
upr wale ne di h
kintu, hm udte nhi
hm, ek ghar bnakr
surkshit ho jate h
kintu, hmare pichhe kal tb bhi hota h
to, mai kyon na udu
( kavita adhuri h)

twiter ka kya huwa

mera twiter nhi khul raha h

tum ye jan lena

tum ye samajh lena ki
tumhare bina
mera lekhan 
ek lafj bhi nhi hoga
ye bhi h, sach ki
koi lekhan ya
creation nhi
tere bina
jaise ki......

hmesha rahoge

hmesha mere tassavur me rahoge
dekhna jo bhi
likhungi,
jo bhi direct krungi
usme, tumhara rup jhalkega

bnaras ki byar: bnaras ki byar: banaras ko movie me laungi

bnaras ki byar: bnaras ki byar: banaras ko movie me laungi: bnaras ki byar: banaras ko movie me laungi : jaise  hi mujhe mumbai me kam milega mai apni kahani v direction me jb film bnaungi to, mai...

jo, chaho, sachche dil se

sache dil se mango
jo, chaho sachche dil se chaho

bnaras ki byar: banaras ko movie me laungi

bnaras ki byar: banaras ko movie me laungi: jaise  hi mujhe mumbai me kam milega mai apni kahani v direction me jb film bnaungi to, mai hmesha banaras me shut krungi chahungi ki...

banaras ko movie me laungi

jaise hi mujhe mumbai me kam milega
mai apni kahani v
direction me
jb film bnaungi
to, mai hmesha banaras me shut krungi
chahungi
ki
is shahar ko
prde pr laun
ynhi nhi
gorakhpur ki khubsurati bhi
celulide pr hogi
ydi, aap chahe,
to apko bhi
ekbar movie me dikhaungi
dekhe kya hota h
sonu mujhpr vishvas nhi krta
pr vo mere sath h
itna kafi h

mumbai jana itna asan nhi

mumbai jana itna asan nhi h
maine kl, subhas ghai ke
whitling woods ko dekhi
16 lacs +3 years
itna mere pas nhi h
meri jindagi ke
4 years 5 monthes h
mai jyada rs nhi h
to, vnha jakr rahne
apna ad de rahi hu
daily, mai quiker pr apna ad dungi
ynhi, mere liye h
mera ghar bnte hi mai vnha
mumbai me sttle ho jana chahungi
ynha, mujhe kuchh samajh nhi aa raha
vnha, mai screept writing bhi sikhaungi

likhne ko hjar baten h

likhne ko hjar baten h
kintu aap kya likhenge
ydi apko kuchh yad nhi hoga

Friday, 11 October 2013

bnaras ki byar: kiisi se shikayat

bnaras ki byar: kiisi se shikayat: ye  jindagi, jb milo mujhko to, mt krna koi shikayat tum

kiisi se shikayat

ye jindagi, jb milo mujhko
to, mt krna koi shikayat tum

kaisa h, apka shahr

aaap , kaise apne sapno ko haqiqt me badlenge
ye aap hi jan sakte h
koi dusra kaise bta sakega

bahut nuksan kiye h

bahut nuksan, bahut nuksan kr chuki hu
fir se kmane mumbai jana chahti hu
vo, sara paisa to bete ka hi tha
use jindagi me kmakr dena h
to, vnhi jaungi
vnhi hota h
likhne ka kuchh jugad

mumbai jana nhi asan

socha h,
fir jaungi mumbai
fir thokre khane
vnhi rahna hoga
dusra ghar mumbai ko bnana h
kya krun
likhne se ynha kuchh milega nhi

Thursday, 10 October 2013

baten kroge, madhuban ki

baten kroge chandan ki
madhuban ki to
kichad se liptna chhorna hoga
fir se chandan lgaye
kyonki, khushbu vnhi se ati h
vrna, aaj to
hr or bu hi bu h

bnaras ki byar: ye sach h, ki kavita nhi likh rahi hu

bnaras ki byar: ye sach h, ki kavita nhi likh rahi hu: ye sach h, ki kavita nhi likh saki hu ye sach h, ki prakrati ki us pukar pr hm gaur nhi krte jo, lgatar dil pr dastak deti h jb, nirav ...

ye sach h, ki kavita nhi likh rahi hu

ye sach h, ki kavita nhi likh saki hu
ye sach h, ki
prakrati ki us pukar pr hm gaur nhi krte
jo, lgatar dil pr dastak deti h
jb, nirav raton me
aap chupke se rat ko gujrte
taron ko dhime se baten krte sunte ho
kuchh sansanahat si hoti h
mahaul me madak hwa ka alas rag gunjta h
vo jltrang jo
ganga ki lahron pr bjta h
jo, sajta h
kajal ki trh
mdham sa kisi ki aankhon me
aur palkon se dhulak jata h
koi aansu chupke se
bina kuchh kahe
chori se, ljaya huwa
teri yadon me
sakuchaya sa
simta huwa koi ahsas
kitna tallin tha mnpta hi nhi chla
kb ho gyi bhor ki ujas
kb, shihr kr
koi pamkhari jhar gyi
aur, auns bhi chu gyi
kisi patti ki koron pr

(kya ynhi h, vo kavita
jo, dhimi aanch si mn ke
andhere kone me thithki si
sulgi thi,
aaj uski aanch ka rang
haule se dikha h)

jogeshwari

Wednesday, 9 October 2013

itna asan nhi kuchh bhi

filmon me kuchh bhi asan nhi
kintu, sahitya me to
aur jyada shoshan h
kitni pareshan huyi  hu
bite vrshon me

koi dusra kam ata nhi

filmo me direction sikhne ke liye subhas ghai jaise institute se krna chahti hu
taki vqt na brbad ho

sochti hu, banaras ka ras filmo me aye

chahtihu ki, banaras ko filmo me utaru
arti utarne se kya hota h
abhi ghar banega
tab mumbai jaungi
bete ke sath
pichhli bar vo vnha jakr swasth ho gya tha
is bar bhi vo achcha ho jayega
hm mumbaise laute to
sare riste waln ki hnsi ka karn bne
mujhe pasand h, direction 
maine likhne me sari trh se try kr li
ynha kuchh nhi h
sivay jillatke
lekhan kshetr me logon me itna frutration h
ki, mn nhi krta ki
un logo se milo
bemtlab ke sahitya ke nam pr jindagi brbad nhi kr sakti
haan, ye vada h
ydi, mai safal hoti hu
to, vnhi ke creative klakaron ko jodungi
bahut kuchh krna h
aur vqt km h

to, mai knha thi

gndi galij baton se dur rahkr hi
likhna chahti hu
ye mai nhi janti ki, log kya nautanki krte h
kintu, ye sach h, ki
sahitya me frustration jyada h, ynha ke lekhak bahut
kaminepan se ijjat utar bhi sakte h
ladkiyan is line me apni ijjat lutaye
isse behtar h
vo teaching job kre
i dont like writing career 4 girls

abhi nhi mrti

abhi nhi mrti
abhi to bahut dimag khana h
yani likhlikh kr aapsbhi ko
pareshan krti hu
ho, gye, 14000

khane ki jid

aaj khane ki jid na kro
lo, khalo, mera bheja mt khana
mtlab, jaise mai likhkr aap sbka
dimag khati hu

pahunchana h, 1400

aj jane ki jid na kro

amar rachna h

farida khanam ki amar rachna h
ki, aaj jane ki jid na kro
hm to mr jayenge
hm to, mr jayenge
esibaten kiya na kro
aaj jane ki jid na kro

kya likhu

kya likhun
ynhi na, ki
aaj jane ki jid na kro

Tuesday, 8 October 2013

shubh-kamna

aap sabhi ko shubh-kamnaye
navratri ki
ghar bnane ki jldi h
fir, mumbai jana h

sutr nhi milta

ydi bahut dinon me aao
to, baton ka sira hi hath nhi ata
aap sab kaise h
ye na soche ki blog likhne se mn bhar gya
vrn, mai nye kam
yun samjhe, uljhanon me uljhi hu

Friday, 4 October 2013

nhi hote

nhi hote sada 
hathon me hath
nhi hoti, hmesa
vnhi vnhi bat
fir bhi, yaden to
chalti h, sath

aaj din h, ujla

aaj din h, ujla
ujla h, prabhat
kya huwa
jo, tum nhi sath

aaj koi kavita nhi h

aaj koi kavita lekr nhi ayi hu
bs, mumbai kaise jaungi
inhe khyalon me khoyi rahti hu
sonu ne bhi sath dene kaha h
vnha pahle jaisa kuchh nhi h
kintu, sochti hu
peing guest bnke rahu
pahle room liya tha
kafi deposit diya tha
manhge area me room tha, ab jane knha hoga
ghar bnane ki jimmedari puri hogi
fir, se bina ruke, ek nya safar me nikal jaungi
ye jivan kb thahrne deta h, mujhe

Thursday, 3 October 2013

bnaras ki byar: banaras ki byar hogi, filmon me

bnaras ki byar: banaras ki byar hogi, filmon me: apna  ghar bnte hi, mai mumbai jaungi aur bnaras ki byar ko silver screen pr utarungi ye mera sapna h, ki fir se mumbai jaun movie, mera...

banaras ki byar hogi, filmon me

apna ghar bnte hi, mai mumbai jaungi
aur bnaras ki byar ko silver screen pr utarungi
ye mera sapna h, ki fir se mumbai jaun
movie, mera pahla pyar h
cinema ke bina mai balaghat me dull
v boring feel krti thi
jyon hi bete ne sath chalne ki ijajat di, h
mai fir se, jane kitne khwab dekh rahi hu
aap sab bhi duwa kijiye ki
meri filmon me lyrics, screept v story writer hi nhi
as director bhi awsar mile

jyada kuchh nhi h

jyada kuchh nhi h, kahne ko
kyonki, mai mumbai jana chahti hu
vnha, mai bnaras ki byar ko
silver screen pr utarungi
celulide dream ko sakar krungi

Wednesday, 2 October 2013

chaliye aapke git likhe

chalen, aapke git likhe

aanchal lahra ke dekh
hwaon ko bahla ke dekh
ndiyon ke dhare nhi rukte
hathon se sahla ke dekh
akhash me udte h, panchhi
chale jate h, apne desh
tu bhi bhul se kabhi, idhar
itrake, bl khake dekh
viranon me jalte h, chirag
roshan sehra ke
devta bhi aa jate h
dil se unhe bula ke dekh

bnarasi shabd

banarasi shabd h, labaddhodho
ye sonu ne kanhi padha
mujhe nhi malum iska kya mtlab h
kintu, ye malum h, ki
labaddhodho
banaras me bola jata h
jo, bhi ho, ye ek hashya bodh krata h
vaise sonu ne ye shabd kisi ke bete ki
masi ke liye nhi
khud apni masi ke liye kaha hoga
aapko naraj nhi hona chahiye

b likhne ko nhi ho

jb likhne ko kuchh nhi ho
to, sikhne ko nikal jao
bahut kuchh milega

jyada kuchh nhi h

aj jyada kuchh nhi h
likhne ko

Tuesday, 1 October 2013

dil mera

dil mera tuta h
thoda thoda
jb, is pr chala h
pyar ka hathoda

nhi padhna h

nhi padhoge to
koi bat nhi
mujhe nhi likhna

mukhda tera

mukhda tumhara
mukhda,
mukhda tera
chandani se dhoya huwa
lgta h, jaise
dahi ho, biloya huwa

nurag bhara

anurag bhara, priye
ye rup tumhara
lgta h, jaise
kisi ne dahi ka
sagar math dala

thahr na jaye

uljh na jaye jindagi, meri sawalon me
jaise lahre thahrti h, pravalon me