Monday 28 October 2013

aaj sunday h

आज संडे है , आज शूटिंग नही होगी 
फिर भी देखती हूँ , क्या लिख सकती हूँ 
मन्नू बस से शहर जाने को स्टैंड पर अत है 
उसे छोरने के लिए पूजा अपनी सखियों के साथ आयी है 
मन्नू बार बार अपनी पेटी को सम्भालता है 
पूजा--देखो, रुपया पैसा संभलके रखना 
मन्नू---हाँ , वो रुपये कि गड्डी नाड़े में रख लिए है… 
पुजाचिल्लाकर)--अब ज्यादा मत बटअओ....ओओ 
तभी बस आ जाती है 
बस बहुत भरी है 
मन्नू----अरे बाप रे , ये तो हॉउस फूल चल रही है , कैसे जायेंगे 
तभी पूजा कि सहेली लाड़ली उसे बस के भीतर धकिया देती है 
तो, मन्नू को बस के भीतर से दूसरी महिला जोर से धक्का देती है 
मन्नू निचे गिर जाता है , बस आगे बढ़ जाती है 
साडी सहेलियों के साथ पूजा चित्त हो गये मन्नू को उठती है 
मन्नू को बहुत देर बाद होश अत है 
मन्नू--बैठे बैठे, अपनी गिरी पगड़ी उठाकर ) हम नही जाइबल , वंहा कि भीड़ से हमतो ,
पूजा--क्या होिबल
मन्नू-हमार दिमाग का फुज उदिल बा। . तभी जगमोहन कि गाड़ी कार धूल उड़ाते आ जाती है
अब, मन्नू के ऊपर धूल चढ़ जाती है
मन्नू (उठकर)धूल जड़ते हुए ०)देखकर नहीं चलिबल क…हुन
तभी कार रूकती है ,और वंहा से जगमोहन उतरता है 

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