बनारस की बयार
तेरे बिना नीरस लगता है
असार संसार
प्यार को न समझ
मिथ्याचार
क्या तुम्हे ये नही मालूम
की, प्यार के बिना
लोग हो जाते ह, बीमार
तेरे बिना नीरस लगता है
असार संसार
प्यार को न समझ
मिथ्याचार
क्या तुम्हे ये नही मालूम
की, प्यार के बिना
लोग हो जाते ह, बीमार
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