bnaras ki byar: आयशा एक नन्ही बच्ची
जो, सिर्फ स्व स्वा बरस की है ...: आयशा एक नन्ही बच्ची जो, सिर्फ स्व स्वा बरस की है उसकी मम्मी के ऑफिस जाने के बाद बिल्डिंग वालों संग खेलती है आज उसकी नानी दुबई गयी उ...
Saturday 31 May 2014
Friday 30 May 2014
bnaras ki byar: बनारस की बयार ये तुम्हारा संसार है जिससे तुम्हे ...
bnaras ki byar: बनारस की बयार
ये तुम्हारा संसार है जिससे तुम्हे
...: बनारस की बयार ये तुम्हारा संसार है जिससे तुम्हे कोई अलग नही कर सकता दुनिया में सवालों के जवाब ढूंढने फिर निकलेंगे बुध्द अपने घरस...
ये तुम्हारा संसार है जिससे तुम्हे
...: बनारस की बयार ये तुम्हारा संसार है जिससे तुम्हे कोई अलग नही कर सकता दुनिया में सवालों के जवाब ढूंढने फिर निकलेंगे बुध्द अपने घरस...
Tuesday 27 May 2014
bnaras ki byar: वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए, कभी ये धीमे बेआवा...
bnaras ki byar: वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए,
कभी ये धीमे बेआवा...: वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए, कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्त...
कभी ये धीमे बेआवा...: वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए, कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्त...
वक़्त तेजी से बिता है, मेरे लिए,
कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ
हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्ती
मुझे लिखने का रोग है , लोग इसे चस्का कह सकते है
बहुत भरी होता है , बहुत बोझिल शौक है
आप लिखते लिखते अक्सर अकेले हो जाते है
घर बहार से कट जाते है
मई यदि अपनी १० वि किताब के पहले नही जनि जाती हूँ तो, इसका कारण है मेरा
कंही भी अपनी गोटी नही बिठाना, एकांतवास में सृजन तो होता है
किन्तु आप जाने जाए , आपने क्या लिखा ये सामने आना चाहिए
इश्लीए प्लीस यदि आप लिखते है तो छिपैये छिपाईये मत , सामने लाइए
किंतु, कैसे बड़े पापड़ बेलने होते है
पत्रिकाओं के चक्कर में उम्र निकल जाती है
आप किसी पत्रिका में भेजकर प्रतीक्षा करते है किन्तु उसका सारतत्व मारकर कोई अपने नाम छाप ले जाता है
इश्लीए भले ही छोटा हो, यदि पहचान का है, तो छोटे अख़बार से जुड़े , पैसे भी मांगे, यदि ऐसे ही छाप रहे है, तो प्रति तो दे ही
यदि आपको लिखना पढ़ना पसंद है तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़िये
आपके पीछे ठोस आर्थिक आधार जरुरी होता है, चाहे वो, घर से हो
चाहे आपने काम किया हो
कुछ न कुछ करते रहे
हो सके तो हमउम्र व् समान पसंद वालों से मिलकर कोई सभा गोष्ठी का आयोजन किसी खास अवसर पर करे
सभीसे मेलजोल , और अपने कला का प्रदर्शन एक अच्छे माहौल को जन्म देगा
बच्चे,, युवा व् बुजुर्गों को जोड़े सम्मिलित प्रयास से घर व् जीवन में बहुत ऊर्जा व् उत्साह मिलता है
मई आज इंद्रकुमार जी के ऑफिस गयी थी,
मुझे सफलता नही मिली है किन्तु प्रयास करना मेरा धर्म है
आप भी किसी न किसी दिशा में कुछ करे, चाहे वो किसी गीत को गुनगुनाना, सीखना क्यों न हो
इससे आपको घुटन नही महसूस होगी, अपना ज्ञान दूसरों से बनते व् हुनर से दो पैसे कमाए , ये बहुत सुख देता है,. कोई भी यदि काम करके पैसा कमाए तो, उसे छोटा नही जाने, अपितु, उसका हौसला बढ़ाये
कभी ये धीमे बेआवाज कदमों से भी गुजरता है मई ख़ामोशी में भी कुछ रचती हूँ
हमेशा चपल। …ये बिल्ली जैसी फुर्ती
मुझे लिखने का रोग है , लोग इसे चस्का कह सकते है
बहुत भरी होता है , बहुत बोझिल शौक है
आप लिखते लिखते अक्सर अकेले हो जाते है
घर बहार से कट जाते है
मई यदि अपनी १० वि किताब के पहले नही जनि जाती हूँ तो, इसका कारण है मेरा
कंही भी अपनी गोटी नही बिठाना, एकांतवास में सृजन तो होता है
किन्तु आप जाने जाए , आपने क्या लिखा ये सामने आना चाहिए
इश्लीए प्लीस यदि आप लिखते है तो छिपैये छिपाईये मत , सामने लाइए
किंतु, कैसे बड़े पापड़ बेलने होते है
पत्रिकाओं के चक्कर में उम्र निकल जाती है
आप किसी पत्रिका में भेजकर प्रतीक्षा करते है किन्तु उसका सारतत्व मारकर कोई अपने नाम छाप ले जाता है
इश्लीए भले ही छोटा हो, यदि पहचान का है, तो छोटे अख़बार से जुड़े , पैसे भी मांगे, यदि ऐसे ही छाप रहे है, तो प्रति तो दे ही
यदि आपको लिखना पढ़ना पसंद है तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़िये
आपके पीछे ठोस आर्थिक आधार जरुरी होता है, चाहे वो, घर से हो
चाहे आपने काम किया हो
कुछ न कुछ करते रहे
हो सके तो हमउम्र व् समान पसंद वालों से मिलकर कोई सभा गोष्ठी का आयोजन किसी खास अवसर पर करे
सभीसे मेलजोल , और अपने कला का प्रदर्शन एक अच्छे माहौल को जन्म देगा
बच्चे,, युवा व् बुजुर्गों को जोड़े सम्मिलित प्रयास से घर व् जीवन में बहुत ऊर्जा व् उत्साह मिलता है
मई आज इंद्रकुमार जी के ऑफिस गयी थी,
मुझे सफलता नही मिली है किन्तु प्रयास करना मेरा धर्म है
आप भी किसी न किसी दिशा में कुछ करे, चाहे वो किसी गीत को गुनगुनाना, सीखना क्यों न हो
इससे आपको घुटन नही महसूस होगी, अपना ज्ञान दूसरों से बनते व् हुनर से दो पैसे कमाए , ये बहुत सुख देता है,. कोई भी यदि काम करके पैसा कमाए तो, उसे छोटा नही जाने, अपितु, उसका हौसला बढ़ाये
Monday 26 May 2014
bnaras ki byar: १५ जून को मुंबई छोड़ते हुए मन में उमंग भी है , मन भ...
bnaras ki byar: १५ जून को मुंबई छोड़ते हुए मन में उमंग भी है , मन भ...: १५ जून को मुंबई छोड़ते हुए मन में उमंग भी है , मन भारी भी है , बिना जान-पहचान के मई यंहा आ गयी , तीसरी बार मैंने fwa का मेंबरशिप ली, मेरी...
१५ जून को मुंबई छोड़ते हुए मन में उमंग भी है , मन भारी भी है ,
बिना जान-पहचान के मई यंहा आ गयी , तीसरी बार मैंने fwa का मेंबरशिप ली,
मेरी लिए बेहद भावुकता भरा क्षण होगा, क्योंकि लगातार संघर्ष में भागते मेरे ४ माह
कैसे बिट गए, पता ही नही चला। अब जब घर जाउंगी, वंहा भी घोर व्यस्तता मेरी
प्रतीक्षा में होगी , वंहा की जिम्मेदारियों से निपटकर फिर मुंबई का रुख करूंगी, लोग कहते है, इसे सपनों का शहर , यंहा रहने पैसा व् काम जॉब चाहिए।
आज मई रजत रवैल के ऑफिस गयी जो, की राहुल रवैल के बेटे है , बहुत ही जाहिं है
जाहिं , वे लोग बहुत अच्छे है, किसी भी प्रोडक्शन हाउस से जुड़ूंगी, अगली बार लौटूंगी, तो ११ माह रहूंगी , देखे क्या होता है
आज फ्रांसिस के फ्लैट पर गयी, अपना बायो के साथ कमेंट छोड़ा , की उनकी प्रेरणा से मैंने एक सांग
बनाया है , देशी फंक , देखे वे क्या कहते है
ये शहर मुझे प्यारा लगता है, क्योंकि मेरे सपनों का रास्ता इन्ही से होकर जाता है
नेक्स्ट टाइम मई बड़े प्रोडक्शन हाउस जाउंगी, इस बार मई बेटे के इलाज में लगी रही ,
जिसमे सफल भी रही , दवा में काफी खर्च किया , बीटा ठीक होकर मुझे गांव जाने कह रहा , उसे उसके
काम व् जिंदगी से लगाना जरुरी है
अपना काम उसके बाद आता है इस बीच मेरी किताब, पारिजात भी छापने चली गयी है बेशक ,
बहुत हलचल भरे दिन है ये। ……
बिना जान-पहचान के मई यंहा आ गयी , तीसरी बार मैंने fwa का मेंबरशिप ली,
मेरी लिए बेहद भावुकता भरा क्षण होगा, क्योंकि लगातार संघर्ष में भागते मेरे ४ माह
कैसे बिट गए, पता ही नही चला। अब जब घर जाउंगी, वंहा भी घोर व्यस्तता मेरी
प्रतीक्षा में होगी , वंहा की जिम्मेदारियों से निपटकर फिर मुंबई का रुख करूंगी, लोग कहते है, इसे सपनों का शहर , यंहा रहने पैसा व् काम जॉब चाहिए।
आज मई रजत रवैल के ऑफिस गयी जो, की राहुल रवैल के बेटे है , बहुत ही जाहिं है
जाहिं , वे लोग बहुत अच्छे है, किसी भी प्रोडक्शन हाउस से जुड़ूंगी, अगली बार लौटूंगी, तो ११ माह रहूंगी , देखे क्या होता है
आज फ्रांसिस के फ्लैट पर गयी, अपना बायो के साथ कमेंट छोड़ा , की उनकी प्रेरणा से मैंने एक सांग
बनाया है , देशी फंक , देखे वे क्या कहते है
ये शहर मुझे प्यारा लगता है, क्योंकि मेरे सपनों का रास्ता इन्ही से होकर जाता है
नेक्स्ट टाइम मई बड़े प्रोडक्शन हाउस जाउंगी, इस बार मई बेटे के इलाज में लगी रही ,
जिसमे सफल भी रही , दवा में काफी खर्च किया , बीटा ठीक होकर मुझे गांव जाने कह रहा , उसे उसके
काम व् जिंदगी से लगाना जरुरी है
अपना काम उसके बाद आता है इस बीच मेरी किताब, पारिजात भी छापने चली गयी है बेशक ,
बहुत हलचल भरे दिन है ये। ……
Sunday 25 May 2014
bnaras ki byar: बनारस की बयार जन्हा तक है तुम्हारा विस्तार बहुत...
bnaras ki byar: बनारस की बयार
जन्हा तक है
तुम्हारा विस्तार
बहुत...: बनारस की बयार जन्हा तक है तुम्हारा विस्तार बहुत प्यारा है तुम्हारा संसार ये क्या लिख रही बहुत प्यारा है तेरा साथ क्या हुआ ज...
जन्हा तक है
तुम्हारा विस्तार
बहुत...: बनारस की बयार जन्हा तक है तुम्हारा विस्तार बहुत प्यारा है तुम्हारा संसार ये क्या लिख रही बहुत प्यारा है तेरा साथ क्या हुआ ज...
बनारस की बयार
जन्हा तक है
तुम्हारा विस्तार
बहुत प्यारा है
तुम्हारा संसार
ये क्या लिख रही बहुत प्यारा है
तेरा साथ
क्या हुआ जो तू छोड़कर
चल देती है हाथ
फिर भी रहता है
तेरा साथ
मेरे साथ
क्योंकि तेरे अपरिमित सौंदर्य
के अलावा
तेरा स्वाभिमानी साहसी तेवर
बहुत ही निखार पर है
जानते है सभी बनारस की बयार
आजकल अपने खुमार पर है
बुलंदियों पर भी है
बेहद सहज,
बनारस की बयार
जन्हा तक है
तुम्हारा विस्तार
बहुत प्यारा है
तुम्हारा संसार
ये क्या लिख रही बहुत प्यारा है
तेरा साथ
क्या हुआ जो तू छोड़कर
चल देती है हाथ
फिर भी रहता है
तेरा साथ
मेरे साथ
क्योंकि तेरे अपरिमित सौंदर्य
के अलावा
तेरा स्वाभिमानी साहसी तेवर
बहुत ही निखार पर है
जानते है सभी बनारस की बयार
आजकल अपने खुमार पर है
बुलंदियों पर भी है
बेहद सहज,
बनारस की बयार
Saturday 24 May 2014
Friday 23 May 2014
bnaras ki byar: बनारस की बयार के जलवे हजार जब चलती है सके बजार त...
bnaras ki byar: बनारस की बयार के जलवे हजार
जब चलती है सके बजार
त...: बनारस की बयार के जलवे हजार जब चलती है सके बजार तो मतवाली की ऋप्रषि पर लूटते है, दिल बार बार वो, निकलती है, सामने से सबके सर झु...
जब चलती है सके बजार
त...: बनारस की बयार के जलवे हजार जब चलती है सके बजार तो मतवाली की ऋप्रषि पर लूटते है, दिल बार बार वो, निकलती है, सामने से सबके सर झु...
Wednesday 21 May 2014
Tuesday 20 May 2014
bnaras ki byar: बनारस की बयार मेरे चांदनी गीतों को तुम अपने पास ...
bnaras ki byar: बनारस की बयार
मेरे चांदनी गीतों को
तुम अपने पास ...: बनारस की बयार मेरे चांदनी गीतों को तुम अपने पास मत रखना इन्हे आप गंगा जी के जल में उस दिए के संग चिट्ठी बनाके बहा देना कंही ये ...
मेरे चांदनी गीतों को
तुम अपने पास ...: बनारस की बयार मेरे चांदनी गीतों को तुम अपने पास मत रखना इन्हे आप गंगा जी के जल में उस दिए के संग चिट्ठी बनाके बहा देना कंही ये ...
Monday 19 May 2014
bnaras ki byar: पाठकों , आपका आभार क्या ये संजोग नही की मेरे फर्स...
bnaras ki byar: पाठकों , आपका आभार
क्या ये संजोग नही की मेरे फर्स...: पाठकों , आपका आभार क्या ये संजोग नही की मेरे फर्स्ट सांग के रिलीज़ के समय ये ब्लॉग ३९३९ टाइम्स रीड किया जा चूका है आप सबका धन्यवाद
क्या ये संजोग नही की मेरे फर्स...: पाठकों , आपका आभार क्या ये संजोग नही की मेरे फर्स्ट सांग के रिलीज़ के समय ये ब्लॉग ३९३९ टाइम्स रीड किया जा चूका है आप सबका धन्यवाद
Saturday 17 May 2014
bnaras ki byar: chandan badan is trh se shamil hai tujaise foolo...
bnaras ki byar: chandan badan
is trh se shamil hai tu
jaise foolo...: chandan badan is trh se shamil hai tu jaise foolon me khushbu प्रियतमा इसतरह से जीवन में शामिल है तू जैसे फूलों में खुशबु ऐसे ...
is trh se shamil hai tu
jaise foolo...: chandan badan is trh se shamil hai tu jaise foolon me khushbu प्रियतमा इसतरह से जीवन में शामिल है तू जैसे फूलों में खुशबु ऐसे ...
bnaras ki byar: मस्त नजरों वाली तेरे आगे नजारे भी फीके है तेरी आ...
bnaras ki byar: मस्त नजरों वाली
तेरे आगे नजारे भी फीके है
तेरी आ...: मस्त नजरों वाली तेरे आगे नजारे भी फीके है तेरी आँखे काली काली है चितवन तीखे तीखे है बहुत खिले खिले दिन थे आज भी है बहुत बहुत...
तेरे आगे नजारे भी फीके है
तेरी आ...: मस्त नजरों वाली तेरे आगे नजारे भी फीके है तेरी आँखे काली काली है चितवन तीखे तीखे है बहुत खिले खिले दिन थे आज भी है बहुत बहुत...
Thursday 15 May 2014
bnaras ki byar: तू जब याद आएगी पलकें मेरी भींग जाएगी किन्तु, मे...
bnaras ki byar: तू जब याद आएगी
पलकें मेरी भींग जाएगी
किन्तु, मे...: तू जब याद आएगी पलकें मेरी भींग जाएगी किन्तु, मेरी फ़िक्र से अछूती तुम अपनी मस्ती में मुस्कराओगी
पलकें मेरी भींग जाएगी
किन्तु, मे...: तू जब याद आएगी पलकें मेरी भींग जाएगी किन्तु, मेरी फ़िक्र से अछूती तुम अपनी मस्ती में मुस्कराओगी
Wednesday 14 May 2014
bnaras ki byar: तुम जब भि सजती संवारती हो संवरती हो तब तब, सुहाग...
bnaras ki byar: तुम जब भि सजती संवारती हो
संवरती हो
तब तब, सुहाग...: तुम जब भि सजती संवारती हो संवरती हो तब तब, सुहागरात हो जाती है यूँ कहे तुम रास्र्ट् रास रत हो जाति हो जाती हो आज फिर पूर्ण चंद...
संवरती हो
तब तब, सुहाग...: तुम जब भि सजती संवारती हो संवरती हो तब तब, सुहागरात हो जाती है यूँ कहे तुम रास्र्ट् रास रत हो जाति हो जाती हो आज फिर पूर्ण चंद...
Monday 12 May 2014
Sunday 11 May 2014
Saturday 10 May 2014
Friday 9 May 2014
Monday 5 May 2014
bnaras ki byar: Then you Nikrti pro-duct Looks very nice Add you...
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Looks very nice
Add you...: Then you Nikrti pro-duct Looks very nice Add your sweet smile As world happiness Wing race Is Smayi You बहुत अच्छी लगती The smi...
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Sunday 4 May 2014
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As world happiness Wing race
Is Smayi
You बहुत अच्छी लगती
The smile बल खाती जब निकलती
Street बयार जैसे
You संग बह्क्तृ
Bhkti
Your आंखोब्न
Eye में ख्वाब होते
You सुघर सलोनी लगती
All तुम्हारी सान्निध्य मे
Prssnn होते
And की किलोल करतीं तुम
A चिड़िया, एक पखेरू जैसी
Morning के मनोरम रंगों में
How छवियों संग निखरती
You प्र कविता
You आप लिख जाती
Yours सजना संवरना
Everything एक लयबद्ध होता
These सीधी सलोनी
Safflower लता
Yours अपने बाबुल के घर में होना
A साजपर तरंगों का मचलना
Flower बेल मे लरजना
Nikrna संवरना
You स्कूल फ़िर कॉलेज जाती
You कभी भीगी लौटती
Your सात्विक हंसी खिली खिली लगती
You अपनी सहेलियों संग मिलती
And ज्यादा गहरी होती
Your मुस्कराहट मे
Then भेदभरी बातों मे
Chitwan मे
Outspoken हंसी में
Your यौवन के
Your सौन्दर्य के
How many समा जाते
And तुम स्वयं एक
Chitralekha जैसी गतिलगती
Looks very nice
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Is Smayi
You बहुत अच्छी लगती
The smile बल खाती जब निकलती
Street बयार जैसे
You संग बह्क्तृ
Bhkti
Your आंखोब्न
Eye में ख्वाब होते
You सुघर सलोनी लगती
All तुम्हारी सान्निध्य मे
Prssnn होते
And की किलोल करतीं तुम
A चिड़िया, एक पखेरू जैसी
Morning के मनोरम रंगों में
How छवियों संग निखरती
You प्र कविता
You आप लिख जाती
Yours सजना संवरना
Everything एक लयबद्ध होता
These सीधी सलोनी
Safflower लता
Yours अपने बाबुल के घर में होना
A साजपर तरंगों का मचलना
Flower बेल मे लरजना
Nikrna संवरना
You स्कूल फ़िर कॉलेज जाती
You कभी भीगी लौटती
Your सात्विक हंसी खिली खिली लगती
You अपनी सहेलियों संग मिलती
And ज्यादा गहरी होती
Your मुस्कराहट मे
Then भेदभरी बातों मे
Chitwan मे
Outspoken हंसी में
Your यौवन के
Your सौन्दर्य के
How many समा जाते
And तुम स्वयं एक
Chitralekha जैसी गतिलगती
Saturday 3 May 2014
अभी कुछ बरस हि तो हुये
जब तू नन्ही सि परि सि घर आयि थि फ़िर तुम
आँगन में खेलने लगी थी घर क एक कोन
कोना तेरी गुड़ियों से भरा होता था
तुम फिर सारे घर को सजाने लगी थी
तुंम्हारे खेल घर के कोने कोने को
महकते गुलजार करते थे
तुम हमेशा अपनी सहेलियों संग घिरीं रहती तुमहरि
तुम्हारी बातें , तुम्हारी हँसि क कोइ अन्त नहीँ थ अ
तुम अपने चाचा , ताऊ, पप पापा के कांधों प्र पर
मोड़ तक घूम आती
तुम बहुत नटखट थी
धीरे धीरे तुमने
माँ के कामों मे हाथ बंटाना सिख लिय अ
अनजाने ही तुम घर के सरे कामों को सँभालने लगी
घर की साज सम्भार भि तुम करतीं
तुम्हे पता होती, मा कि व् पिता कि दवाऐं
डॉक्टर की पर्ची
और दादी कि थैलियां
जब बहन कि शादी हुई
तो, सारे मंडप मे तुम हि जैसे
साडी शादी को संभाले थी ज्ब उसे बीता
बेटा हुआ तो, तुम प्यारी मसि
मासी उसे गोद मे लिये
सारे मोहल्ले मे घूमती
पुरे मोहल्ले के बच्चों को तुम दुलारती
फिर तुम अपनी पढ़ाई मे लगतीं गयी
तुम्हारे सपने झिलमिलाने लगें
कितने तरह के सपने.... रात आँखों मे
तुम्हारे संग सोते जागते
और तुम बड़ी होने लगी
तुम्हारा सजना संवरना
तुम्हारा आईने मे खुद को निहारना
ओह, ये सब तुम्हे कितना मीठा लगता
और गली से निकलते
तुम बदन बचके निकलतीं
कभी झूमती चलती
जब सखियों संग होती
और जब अकेले होती तो गली से तीर
सी निकलती। ………
शेष कविता कल। ....
जब तू नन्ही सि परि सि घर आयि थि फ़िर तुम
आँगन में खेलने लगी थी घर क एक कोन
कोना तेरी गुड़ियों से भरा होता था
तुम फिर सारे घर को सजाने लगी थी
तुंम्हारे खेल घर के कोने कोने को
महकते गुलजार करते थे
तुम हमेशा अपनी सहेलियों संग घिरीं रहती तुमहरि
तुम्हारी बातें , तुम्हारी हँसि क कोइ अन्त नहीँ थ अ
तुम अपने चाचा , ताऊ, पप पापा के कांधों प्र पर
मोड़ तक घूम आती
तुम बहुत नटखट थी
धीरे धीरे तुमने
माँ के कामों मे हाथ बंटाना सिख लिय अ
अनजाने ही तुम घर के सरे कामों को सँभालने लगी
घर की साज सम्भार भि तुम करतीं
तुम्हे पता होती, मा कि व् पिता कि दवाऐं
डॉक्टर की पर्ची
और दादी कि थैलियां
जब बहन कि शादी हुई
तो, सारे मंडप मे तुम हि जैसे
साडी शादी को संभाले थी ज्ब उसे बीता
बेटा हुआ तो, तुम प्यारी मसि
मासी उसे गोद मे लिये
सारे मोहल्ले मे घूमती
पुरे मोहल्ले के बच्चों को तुम दुलारती
फिर तुम अपनी पढ़ाई मे लगतीं गयी
तुम्हारे सपने झिलमिलाने लगें
कितने तरह के सपने.... रात आँखों मे
तुम्हारे संग सोते जागते
और तुम बड़ी होने लगी
तुम्हारा सजना संवरना
तुम्हारा आईने मे खुद को निहारना
ओह, ये सब तुम्हे कितना मीठा लगता
और गली से निकलते
तुम बदन बचके निकलतीं
कभी झूमती चलती
जब सखियों संग होती
और जब अकेले होती तो गली से तीर
सी निकलती। ………
शेष कविता कल। ....
Friday 2 May 2014
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