Sunday 31 May 2015

ये पानी जैसे मन वाली 
मुझे तो प्रिय है 
तेरी सब गली 
जैसे तू मुझे 
कहती है,
खुदगर्ज 
तू,क्या जाने इश्क़ का मर्ज़ 
पता है 
कल क्या हुआ 
कैफ़े से लौटते हुए 
मुझे आचार्य चतुरसेन का 
नावेल मिल गया 
उसे मई कल ही पढ़ डाला 
तेरी याद बहुत की 
क्यूंकि 
इन्ही, तो 
तुम्हें phd का सब्जेक्ट है सच बहुत अच्छा लगा 
इस तरह 
तेरे विषय से जुड़कर 
कि मुझे आचार्य का नावेल ही क्यों मिला रस्ते में पड़ा हुआ 
ये 
नाराज है 
बहुत मुझसे 
लेकिन कोई क्या करे 
तुम 
जाने कैसे 
मन में हो 
ये भी नही पता 
कि ,
क्यों हो 
बहुत सकुछ कहना था 
पर, अब नही,
एक ख़ामोशी है जो, भीतर तक 
घर कर गयी है 

Thursday 28 May 2015

अपनी साधनहीन जिंदगी में भी 
बहुत सपने देखे है 
बहुत रोमांस किया है 
आसमान को निहार कर सुबह 
पक्षियों को किसी अज्ञात दिशा में 
उड़ते देख 
नदियों को बहते देख 
और फूलों को खिलते देख 
जाने किन किन चीजों से 
बातों से 
अपने इतिहास से 
देश से 
और माटी के सोंधेपन से 
मैंने बहुत रोमांस किया है 
मुझे लगता है 
आप बिना रोमांटिक हुए 
नही जी सकते 
एक पल भी 
इसलिए 
कोई न कोई 
वजह हमेशा 
अपने मन में रखें 
जीने के लिए 

Tuesday 26 May 2015

तुम नाराज हो 
और नाराज होना 
तुम्हारा धर्म है 
किन्तु,
मेरे पास 
लिखना ही मेरी शक्ति है 
क्या लगता है 
कि 
तुम्हारी नाराजी 
मेरी विरक्ति की 
वजह बन जाएगी 
यदि,
ये हो सका , तो 
ये तुम्हारी सफलता 
न हो सका तो 
भी, मेरी असफलता 

Monday 25 May 2015

प्रिय रेनू ,
तुम्हे तुम्हारे जीवन साथी के 
जन्म-दिन की ढेर सारी बधाई 
क्या इस ख़ुशी के मौके पर तुम अपने 
प्रोफाइल मुझे नही देखने दोगी 
ये इसलिए लिख रही हूँ की पिछले 
६ माह से अपने बेटे के विवाह की 
कोशिश करते थक गयी हूँ 
ज्यादा क्या लिखूं 
एक, ख़ुशी व् सुकून 
जो, तुम्हारे प्रोफाइल को देखकर 
महसूस करती हूँ 
उससे वंचित न करो 
क्योंकि, मेरी स्वास्थय की 
मेरे लिए ये भी एक 
दवा होती है 
सब तुम्हारे पिक्चर देख सकते है 
सिर्फ मई नही 
वादा करती हूँ 
की कमेंट नही करूंगी 
अपने स्वास्थय लाभ की कोशिश 
तो, करती रही हूँ 
पर, आराम नही मिलता 
तो, सब बेकार हो जाता है 
आशा है 
आप सपरिवार स्वस्थ हो 
जोगेश्वरी 

Saturday 23 May 2015

तेरी जगह और कोई नही 
tere 
तेरे ह्रदय -बिंदु पर 
ठहरा मेरा प्रणय 

Thursday 21 May 2015

आज दिल का बोझ हट गया 
वरना लगता था 
जैसे मई कोई चोरी कर रही हूँ 
और, ये मेरा 
स्वभाव नही 
स्व-भाव है 
जिंदगी में 
जिसे चाहो 
जिसे मानो 
यदि, उसे स्वीकार नही सको 
तो, 
ये भी चोरी होगी 
आअज के युग में जब सभी अपनों को लूट रहे है 
कंही भी अपने हक़ में कानून बना रहे है 
हम,
कंही भी 
यदि अपने मनोभावों को छिपा रहे है तो, ये भी एक धोखा है 
मेरे लिए दुनिया में सच के लिए जीना 
आज ज्यादा जरुरी है 
वबना , मानवता व् प्रेम 
दोनों के लिए 
मुश्किल होगी 

Tuesday 19 May 2015

 वो 
अलसभोर का 
एक दूजे में 
गुंथा हुआ मांसल प्यार 
और 
प्रणय -धर्मी चुंबनों के 
मदमाते उपहार 
कभी बाँहों के हार 
और , दिले-बेकरार 

Friday 15 May 2015

तुम इतनी सुंदर हो 
कि 
एक पल तुम्हे देखके 
मेरे समस्त दुःख 
ख़त्म हो जाते है 
इससे ज्यादा 
तुमसे क्या पाना है 

Sunday 10 May 2015

तुमने रंग लगा के 
दिखा दिया 
क्या जादू था 
वो 
वो, लम्हा 
जब 
दिए जला कर 
तुमने 
मुझको जीना सीखा दिया 
बिंदिया 
बिंदिया लगाने वाली 
क्यों लगती है 
बिन काजल की 
तेरी आँखें 
मतवाली 
वो 

रसीली आँखों वाली 
तो, चलूँ 
आज इतना ही 

Friday 8 May 2015

तुम इतनी खूबसूरत हो की 
तुमपर किसी दिन 
जी भर कर 
कविता लिखूं 
तुम्हे प्रकृति से 
एकाकार करते हुए 
जिंदगी 
जिंदगी बाकि न रहे 
पर, तुम्हे चाहना 
हमेशा शेष रहेगा 
bahut कुछ 
मन में होता है 
लिखने को किन्तु 
जब तुम्हारी 
सुंदरता महसूस होती है 
ये दुनिया को बताने का मन होता है 
की, तुम, कितनी 
पवित्र , सात्विक व् सुंदर हो 

Tuesday 5 May 2015

क्या 
प्यार कभी 
निरुद्देश्य होता है यदि 
ऐसा होता तो प्यार 
नही होता 
मुझे बहुत तकलीफ होती है 
जब, मेरे अपने 
मेरी बदनामी करते है 
मुझे बेटे के विवाह के लिए 
समाज वालों की 
मदद नही मिल रही है 
इससे मई 
अत्यधिक तनाव में हूँ 
kintu
hmesha 
कृष्ण  मेरे साथ रहते है 

Sunday 3 May 2015

Muhammad Rafi - Reshma Jawan Ho Gayi - Film Mom Ki Gudiya

बहुत सरल हो तुम 
और तुम्हारी हंसी 
जैसे 
ग्रीष्म में बोगनवोलिया का खिलना 
और , खिल कर लरजना 
tum 
गुलमोहर का 
ख्वाब हो 
तुम्हारे कपोलों का स्पर्श 
जैसे 
खिलते पंखड़ी को छूना 
जैसे गंगा की उछलती लहरों को 
हाथों। ……। ये
तुम हो,
तुम i know very well u
सिर्फ तुम्हे महसूस करना 
और, तुम्हारे बारे में सोचते हुए 
दूरतक चलते चले जाना 
यूँ ही 
निरूद्देश्य जीवन में भी 
तुम्हारी वजह से 
एक 
वजह पा जाना 
ये सब, 
तुम्हारी वजह से है 
जान। ……। 
बहुत दर लगता है 
प्यार से 
आकर्षण से 
आसक्ति से 
अपने को छलने का 
तबाह करने का 
ये भी एक 
नशा है जिसे हम 
प्यार कहते है