तुमने रंग लगा के
दिखा दिया
क्या जादू था
वो
वो, लम्हा
जब
दिए जला कर
तुमने
मुझको जीना सीखा दिया
बिंदिया
बिंदिया लगाने वाली
क्यों लगती है
बिन काजल की
तेरी आँखें
मतवाली
वो
रसीली आँखों वाली
तो, चलूँ
आज इतना ही
दिखा दिया
क्या जादू था
वो
वो, लम्हा
जब
दिए जला कर
तुमने
मुझको जीना सीखा दिया
बिंदिया
बिंदिया लगाने वाली
क्यों लगती है
बिन काजल की
तेरी आँखें
मतवाली
वो
रसीली आँखों वाली
तो, चलूँ
आज इतना ही
मॉ सिर्फ़ मॉ होती है !
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