क्या
प्यार कभी
निरुद्देश्य होता है यदि
ऐसा होता तो प्यार
नही होता
मुझे बहुत तकलीफ होती है
जब, मेरे अपने
मेरी बदनामी करते है
मुझे बेटे के विवाह के लिए
समाज वालों की
मदद नही मिल रही है
इससे मई
अत्यधिक तनाव में हूँ
kintu
hmesha
कृष्ण मेरे साथ रहते है
प्यार कभी
निरुद्देश्य होता है यदि
ऐसा होता तो प्यार
नही होता
मुझे बहुत तकलीफ होती है
जब, मेरे अपने
मेरी बदनामी करते है
मुझे बेटे के विवाह के लिए
समाज वालों की
मदद नही मिल रही है
इससे मई
अत्यधिक तनाव में हूँ
kintu
hmesha
कृष्ण मेरे साथ रहते है
No comments:
Post a Comment