Thursday, 21 May 2015

आज दिल का बोझ हट गया 
वरना लगता था 
जैसे मई कोई चोरी कर रही हूँ 
और, ये मेरा 
स्वभाव नही 
स्व-भाव है 
जिंदगी में 
जिसे चाहो 
जिसे मानो 
यदि, उसे स्वीकार नही सको 
तो, 
ये भी चोरी होगी 
आअज के युग में जब सभी अपनों को लूट रहे है 
कंही भी अपने हक़ में कानून बना रहे है 
हम,
कंही भी 
यदि अपने मनोभावों को छिपा रहे है तो, ये भी एक धोखा है 
मेरे लिए दुनिया में सच के लिए जीना 
आज ज्यादा जरुरी है 
वबना , मानवता व् प्रेम 
दोनों के लिए 
मुश्किल होगी 

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