शरद चन्द्रिका में
दूब पर झरे ओंस की
pearsजैसी चमकती
तुम्हारी मुस्कराहट की
झिलमिलाहट
हमेशा दिल में
कौंधती है
रूप जीवा
मई तुम्हारी समझदारी पर
विमोहित हूँ कि
तुम्हे इतनी समझदारी
किस्से है
प्रारब्ध से , प्रकृति से
या ,तुम्हारे घरवालों से जिन्होंने
इतनी समझ तुममे
घुट्टी में मिलकर पिलाई है
दूब पर झरे ओंस की
pearsजैसी चमकती
तुम्हारी मुस्कराहट की
झिलमिलाहट
हमेशा दिल में
कौंधती है
रूप जीवा
मई तुम्हारी समझदारी पर
विमोहित हूँ कि
तुम्हे इतनी समझदारी
किस्से है
प्रारब्ध से , प्रकृति से
या ,तुम्हारे घरवालों से जिन्होंने
इतनी समझ तुममे
घुट्टी में मिलकर पिलाई है
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