Wednesday 9 September 2015

भोर में 
डूब दुब 
दूब के तिनकों पर 
कनि सी 
कनी सी ओंस देखि 
देखी 
दिल किया  सहेज लूँ 
जैसे ,दिल ने 
तुम्हारी मुस्कराहट को 
सहेज 
सहेजा है 
(एक कच्ची कविता)

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