Wednesday 17 February 2016

मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जबलपुर स्टेशन रेलवे प्लेटफार्म नं ६ पर कुछ बदमाश आ गए, वे बहार से सीधे प्लेटफॉर्म में पहुंचे, उनकी संख्या ५ रही होगी , उन्होंने वंहा से गुजरते हुए , एक पगली को इतनी जोरों से गलियां गालियां निकली, इतने जोरों से वे लोग गाली बक रहे थे, रात के १२ बजे, रेलवे प्लेटफार्म उनकी गालियों से गूंजता रहा , पर वंहा मौजूद पोलिस गार्डों ने कोई एक्शन नहीं लिया, न ही वे वंहा आये, न उन्होंने उन दबंगों को प्लेटफार्म में गालियां बकने से रोक, मई वंही थी, मेरे पास खड़े होकर वे गुंडे गालियां बकते रहे, मेरे कान में गर्म शीशा जैसे उड़ेला  गया हो, पर मई कुछ नही कर सकी, उन्हें रोकने चीख नहीं सकी, फिर मुझे प्लेटफार्म में थोड़ा आगे जाना हुआ, तो वंहा मौजूद पुलिस वाले अजीब तरीके से घूरते रहे, फिर एक पोलिस वाला वंही खड़े होकर , पटरी की और मुख कर पेशाब करने लगा , ये सब मर्माहत करने वाला था, जो रक्षक थे , वे ही  गंदी हरकतें कर , माहौल को गंदा कर रहे थे, उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं था, कि कोई संभ्रांत महिला वंही से आ जा रही है, रात १२ बजे थे, वे लोग निर्लज्ज होकर नंगापन कर रहे थे, जो शर्मनाक व् घृणित था, वंहा कोई ऐसा नंबर नही दिया था, कि आपके समक्ष कोई पोलिस वाला वंही खड़े होकर पेशाब करने लगे, तो आप क्या करे, ये बेशर्मी की पराकाष्ठा थी, की कैसे रात के १२ बजे एक महिला के सामने गार्ड अपने को उधेड़ रहे थे, वे नग्न नही हुए थे बस , बाकि उन्होंने सभी हरकत ओछी व् बेशर्मी की की थी, ट्रैन परिसर में एक और गुंडों की गलियां थी, तो दूसरी और थी, पोलिस वालों की नंगे पण की इंतहा , और हम अपने को शर्मशार होकर नज़रे चुरा रहे थे, ये मामला था, जबलपुर के सबसे आधुनिक प्लेटफार्म का, जो नवीनता से भरा है, पर वंहा की पोलिस आज भी उसी थर्ड डिग्री युग में जी रही है, वे मुझे किस बात की सजा दे रहे थे, गुंडों की नंगी गालियां, फिर पोलिस वालों का घूरना व् पेशाब करना, वंहा , जिसे माँ बहन की नंगी गालियां , माँ की, बहन की........ सुनकर कान में जैसे पिघला शीसा डला था, और पुलिस वालों के गंदे तरीके से घूरने व् वंही खड़े होकर, पेंट की जीप खोलकर पेशाब करने से मई आँखों को इधर उधर कर, उस गलत दृश्य से खुद को बचाने में लगी थी, मुझे शर्मिंदा कर वे गार्ड जैसे अपना कर्तव्य पूरा किया थे, ये थी, हाल में की गयी गोरखपुर यात्रा के पूर्वार्ध की हक़ीक़त , ३ माह पूर्व की हादसा , और पोलिस वालों का असली चेहरा, वंहा किसी से जाकर कहने के लिए वक़्त नही था, न कोई नंबर वंहा लिखा था, की आपके बाजु में खड़े होकर कोई पोलिस वाला पेशाब करने लगे तो, आप किसे बताएंगे , ये थी पुलिस की ड्यूटी पर की गयी अकर्मण्यता , और निहायत निर्लज्ज हरकत , जिसे मैंने अपने रिज़र्वेशन के टिकिट के साथ प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी में लिख कर भेज दी थी, और मई क्या कर सकती थी, जो पोलिस वंहा हमारी रक्षा के लिए थी, उनमे से एक वंही हमारे पास आकर अपनी पेंट खोलकर पेशाब करने लगा, आप अपनी इज्जत बचाने चाहे तो ट्रैन के सामने कूद जाए, वे वंही खड़े होकर पेशाब करेंगे, क्यूंकि रात के १२ बजे, फिर कोई शर्म लिहाज शायद पुरुषों में नही बचती, वे लोग कंही भी नग्न होने को मानसिकता में तैयार रहते है, इसके लिए आप किस सीस्टम को दोषी ठहराएंगे , जबतक ये सब होगा, वह पोलिस वाला जा चूका होगा ,......... 

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