Monday 8 February 2016

जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि आज़ाद भारत में उन्ही हिन्दुओं को लोग कोसने लगे, जिन्होंने देश के लिए ज्यादा किया, देश में जिन्होंने ज्यादा योगदान दिया , और पुनरुत्थान में भाग लिया 
लोगों ने ये सब स्वीकार लिया, जब हमारे संविधान में आरक्षण जोड़ा गया, शायद इन्ही एक मात्र मौलिक था, मेरे देश के संविधान में.हिन्दू हमेशा से सहिष्णु रहे, और उन्होंने हिन्दुओं के जो अधिकार कम किये गए, इन सारे परिवर्तनों को चुपचाप स्वीकार कर लिया। वे एक बार फिरसे जैसे निशाने पर थे.ज्यादातर जो गुरुकुल चलते थे, वे बंद कर दिए गए, लार्ड मैकाले की शिक्षा में गुरुकुल कंही नहीं आये,  जबकि मदरसे व् अन्य शिक्षा चलती रही, पर जो हमारे ऋषि गुरुकुल चलते थे, वे बंद हो गए.इससे हमारे जो ब्राह्मण थे, वे सब बेरोजगार हो गए. एक और तो, ऐसे दलितों को नौकरियां मिल रही थी, जो न तो, ठीक से पढ़े थे, न ही वे शिक्षा में कुछ  रहे थे. हमारे हिन्दू समाज ने सबकुछ स्वीकार लिया। उनकी सदियों की रूढ़ियों पर जो भी आक्षेप आये, उन्हें, हिन्दुओं ने समझा और आज हिन्दू समाज अपने ओ रूढ़ि मुक्त कर रहा है वंही, उसे जीविका इ लिए बहुत ज्यादा संघर्ष करना है.जब ब्राह्मणों को उनकी शिक्षा व्यवस्था से वंचित किया गया, जो हिंदुस्तान की सर्वाधिक प्राचीन शिक्षा प्रणाली थी, वे हामोशी से इसे सह गए। देश में हिन्दुओं ने कभी अपना विरोध नही दर्ज कराया. जबकि अपने आप पर सारे आरोपों को झेलते हुए, अपना श्रेष्ठ करते रहे। 
आप पाथेर पांचाली , सत्यजित रे ई मूवी देखे, पाएंगे, कि एक ब्राह्मण परिवार के पास आज़ाद भारत में गुरुकुल छीन जाने से रोजी रोटी से वंचित होना था, वे जिंदगी से लड़ते हुए, वाकई में चले गए 
बहुत से पंडित परिवार के लड़के उनदिनों इस्तेमाल हुए, वे गलत रास्तों पर हांक दिए गए, फिर उन्होंने अपनी शिक्षा पर केंद्रित किया, और वे विदेश में नौकरी पर जाने लगे. इधर जो दलित सरकारी सेवा में थे, वे या तो भ्रस्टाचार करते , या वे देश के हिन्दुओं को हिजाते, व् दोष मढ़ते, इन्ही उन्होंने किया। 
इससे ज्यादा उन्होंने जॉब , नौकरी में कोई योगदान ऐसा नहीं दिया , जिसे हम रचनात्मक कहते। 
देश में बामसेफ ने बहुत गलत तरीके से हिन्दुओं की बुराई कि , सत्ता उन्हें आर्थिक सहायता देती थी. 
अब हम चाहते है, की हिन्दू क्यों, सबकी फीस का खर्च वहां करे, जबकि दलितों को कम नंबर में नौकरी दे रहे है. क्या ये दलित, शिक्षा में कोई योगदान देते है.....??

1 comment:

  1. hinduo ne kabhi dhyan nhi diya, i ve daliton ki fees bharte h, tb dalito ko muft me awasar mil rahe h

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