Thursday 25 February 2016

बुआ  जी के घर के के वो शांत स्थिर दिन
जब  दोपहर की चाय के पहले
दौड़ कर बाजू वाले सेठ की दुकान से
तोता छाप चाय लाती थी
तो तोते को बहुत ध्यान से देखती थी
ध्यान तोते की वजह से लग जाता था
या माहौल का असर था
आज भी याद आते है
वो, दिन पुरअसर ध्यान लग जाने के
जब बुआ जी दोपहर की चाय
ओसारे में बैठकर पिया  थी 

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