बुआ जी के घर के के वो शांत स्थिर दिन
जब दोपहर की चाय के पहले
दौड़ कर बाजू वाले सेठ की दुकान से
तोता छाप चाय लाती थी
तो तोते को बहुत ध्यान से देखती थी
ध्यान तोते की वजह से लग जाता था
या माहौल का असर था
आज भी याद आते है
वो, दिन पुरअसर ध्यान लग जाने के
जब बुआ जी दोपहर की चाय
ओसारे में बैठकर पिया थी
जब दोपहर की चाय के पहले
दौड़ कर बाजू वाले सेठ की दुकान से
तोता छाप चाय लाती थी
तो तोते को बहुत ध्यान से देखती थी
ध्यान तोते की वजह से लग जाता था
या माहौल का असर था
आज भी याद आते है
वो, दिन पुरअसर ध्यान लग जाने के
जब बुआ जी दोपहर की चाय
ओसारे में बैठकर पिया थी
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