जी हाँ
जी हाँ , मई गोरखपुर गयी थी
बालाघाट से गोरखपुर तक कि यात्रा किसी रोमांच से कम नही थी
यूँ तो , मैंने जीवन में बहुत यात्रा की है
अपने हाथ पांव की २० उँगलियों के २० चक्रों की वजह से
मुझे जब १ वर्ष कुछ माह की थी, तब माँ के घर से बुआ जी के घर चली गयी थी , मुझे स्वा-डेढ़ वर्ष की उम्र में माँ की गोदी से बुआ के अंचल में विस्थापित होना पड़ा था , और मैं खुश रही , हर हाल में अपने अनुकूल पाती हूँ , और समायोजन करती हूँ
ये सब कोई अंजानी अदृश्य शक्ति से होता है
गोरखपुर जाते हुए, जबलपुर में में गलत गलत अनुभव हुए ,
फिर भी आसमान में पक्षियों देख ने ने ललक ठंडी रही क्यूंकि पक्षी खेतों में डाले कीटनाशक खा गए
इश्लीए पक्षी बचाने कीटनाशक विरुद्ध आईये
जी हाँ , मई गोरखपुर गयी थी
बालाघाट से गोरखपुर तक कि यात्रा किसी रोमांच से कम नही थी
यूँ तो , मैंने जीवन में बहुत यात्रा की है
अपने हाथ पांव की २० उँगलियों के २० चक्रों की वजह से
मुझे जब १ वर्ष कुछ माह की थी, तब माँ के घर से बुआ जी के घर चली गयी थी , मुझे स्वा-डेढ़ वर्ष की उम्र में माँ की गोदी से बुआ के अंचल में विस्थापित होना पड़ा था , और मैं खुश रही , हर हाल में अपने अनुकूल पाती हूँ , और समायोजन करती हूँ
ये सब कोई अंजानी अदृश्य शक्ति से होता है
गोरखपुर जाते हुए, जबलपुर में में गलत गलत अनुभव हुए ,
फिर भी आसमान में पक्षियों देख ने ने ललक ठंडी रही क्यूंकि पक्षी खेतों में डाले कीटनाशक खा गए
इश्लीए पक्षी बचाने कीटनाशक विरुद्ध आईये
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