Monday 15 February 2016

जी हाँ
जी हाँ , मई गोरखपुर गयी थी 
बालाघाट से गोरखपुर तक कि यात्रा किसी रोमांच से कम नही थी 
यूँ तो , मैंने जीवन में बहुत यात्रा की है 
अपने हाथ पांव की २० उँगलियों के २० चक्रों की वजह से 
मुझे जब १ वर्ष कुछ माह की थी, तब माँ के घर से बुआ जी के घर चली गयी थी , मुझे स्वा-डेढ़ वर्ष की उम्र में माँ की गोदी से बुआ के अंचल में विस्थापित होना पड़ा था , और मैं खुश रही , हर हाल में अपने अनुकूल पाती हूँ , और समायोजन करती हूँ 
ये सब कोई अंजानी अदृश्य शक्ति से होता है 
गोरखपुर जाते हुए, जबलपुर में में  गलत गलत अनुभव हुए , 
 फिर भी  आसमान में पक्षियों  देख ने ने  ललक ठंडी  रही क्यूंकि पक्षी  खेतों में डाले कीटनाशक खा गए 
इश्लीए पक्षी बचाने कीटनाशक  विरुद्ध आईये 

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