Friday 6 September 2013

66 posts, have been read,670 times

 मर गये , ये तो पहुँची 670 बार पढ़ी जाकर no. one पर
मई लिख रही हूँ , भागते हुए, गिरते पड़ते
मई कब खुद को हर की परी समझती हूँ , ये तो लिखने की आदत है जो, मुझे चैन से रहने नही देती
वो एक संवाद है न
तुम मुझे याद  नही करोगी
और मै तुम्हे भूलने नही दूंगा
कुछ एस ही वाकया गुजरा है
बनारस की बयार ,means  हुर की परी का जलवा
अवध बिहारी खाओ हलवा। …………. 

No comments:

Post a Comment