मर गये , ये तो पहुँची 670 बार पढ़ी जाकर no. one पर
मई लिख रही हूँ , भागते हुए, गिरते पड़ते
मई कब खुद को हर की परी समझती हूँ , ये तो लिखने की आदत है जो, मुझे चैन से रहने नही देती
वो एक संवाद है न
तुम मुझे याद नही करोगी
और मै तुम्हे भूलने नही दूंगा
कुछ एस ही वाकया गुजरा है
बनारस की बयार ,means हुर की परी का जलवा
अवध बिहारी खाओ हलवा। ………….
मई लिख रही हूँ , भागते हुए, गिरते पड़ते
मई कब खुद को हर की परी समझती हूँ , ये तो लिखने की आदत है जो, मुझे चैन से रहने नही देती
वो एक संवाद है न
तुम मुझे याद नही करोगी
और मै तुम्हे भूलने नही दूंगा
कुछ एस ही वाकया गुजरा है
बनारस की बयार ,means हुर की परी का जलवा
अवध बिहारी खाओ हलवा। ………….
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