Friday 10 October 2014

बनारस
बनारस की बयार 
जिसके नाम के साथ शुक्ल लगा होता रहा 
आजकल , ये नही पता की वो 
अपने नामके साथ क्या लिखती है 
चलिए उसे हम एक प्रेम-पाती लिखे 

प्रिये , बनारस की बयार 
          स्नेहाशीष 
आप कैसी है , 
बहुत दिन हुए , आपको खत लिखने का मन तो था 
किन्तु, आपका पता ही नही 
तो, लिखे पत्र कहा भेजे 
उन्हें गंगा जी में तो , नाव बनाकर नही डाल सकते 
बनारस की बयार 
तुम इतनी अच्छी हो की 
सभी तुम्हे चाहते है तुम कल, क्या 
करवा-  चौथ मना रही हो 
तुम सारा दिन बिना पानी के रहो 
तकलीफ तो होती है 
किन्तु, तुम्हे ख़ुशी मिले उसमे सभी की ख़ुशी है 
बनारस की बयार 
तुम्हे सारा प्यार 
 ऐसे ही सजा रहे 
तुम्हारा सुंदर संसार 
बहुत सी बातें लिखनी है 
किन्तु, वो कबूतर अपनी नीली   कबूतरी को 
मिलने  जाने जल्दी कर रहा है 
बहुत याद आती है , तेरी 
और। ……… बीएस 
तुम्हारी  प्रांशिका 

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