Friday 17 October 2014

बनारस
बनारस की बयार जैसा हितेषी कौन होगा 
देखो तो, अभी दिवाली लगी भी नही है 
किन्तु, उसने मुझे बादाम भेजी है 
लेकिन बयार इन बादामों को चबाना 
कितना कठिन है 
बयार कहती है की इन्हे भिगों के खाना है 
और दिवाली में सभी सूखे मेवे इश्लीए भी कहते है 
की, ये सहित में गर्मी देते है किन्तु, इस बरस तो 
ठण्ड नही आई है 
सब कुछ अस्त-व्यस्त है 
हमे खेती करने वालों 
और गोपालकों का धन्यवाद केन होगा 
और गौ-वंस के प्रति करुणा करने की सिख देनी होगी पता है, जो गॉवों के बछड़े 
होते है, उनकी देखभाल प्रसूता  भांति करनी चाहिए 
ये दुनिया में 
प्रेम, ममता व् करुणा से ही हम 
वक़्त व् मौसम  बेरुखी को झेल सकते है 
जन्हा तक हो सके 
अपनों के लिए प्रेम दर्शाये 
प्रेम बांटें, 
ये सबसे बड़ा उपहार है 
जो, बच्चे कुत्ते के बच्चों को 
उनकी माओं से अलग कर देते है 
उन्हें बताये, की वे जानवर भले हो, 
किन्तु, उन्हें भी उनकी माँ से ही जीवन मिलता है 
ये बादाम। .... बयार तुम्हारे दिल की तरह 
कठोर है। ………… 
फिर भी धन्यवाद। .......... 

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