Sunday 12 October 2014

चलिए
चलिए बनारस के बयार के बहाने दूसरी बातें की जाए 
यंहा कैफ़े में हु एक लड़का साइड में बैठा तो पहले तो 
मेरे कम्प्यूटर को ही निहारता रहा 
फिर बादमे एक चालू लड़की जो 
इस कैफ़े में काम करती है आ गयी 
और उस लड़के के साथ इतनी बात करती रही की मेरा 
एकाग्रता से लिखना मुश्किल हो गया 
ये वो लड़की है, 
जो, इस कैफ़े में मेरे पास आकर मुझसे कहती है 
आप फेसबुक करती है 
अब वो लड़का अपना कम्प्यूटर बंदकर मेरा ही देखने लगा ये गांव के लोग है 
किन्तु वाहियात बहुत है 
ये मेरे रिश्ते वालों का ही कैफ़े है 
किन्तु परेशानी सभी को वंही है 
जो, आपको एक सिटी बस में होती है 
इतना आसान नही है की घरसे निकालकर आप 
कैफ़े में जाये 
ये बैकवर्ड एरिया है 
औरतें व् लड़कियां यंहा धंदे करती है 
पुरुष या लड़के सभी को इसी रूप में देखते है 
ये सभी की समान समस्या होती है 
कल, से हम बनर्ास की बयार में लेटर्स लिखेंगे 
या लिखने की बातें करेंगे 

No comments:

Post a Comment