जानू
तुझे याद है
सिर्फ आज कहने दे
पता है
वो, दशहरा
जब मैंने कहा
कुछ मांग लो
आज दशहरा है
विजयादशमी है
तो, आप बोली,
नही मुझे कुछ नही चाहिए
मुझे तुम्हारा ये
तुनकमिजाज भरा
स्वाभिमान बहुत प्यारा लगा था फिर
फिर तुम जैसे कुछ याद आया हो
ऐसे तुम बोली
मुझे जानू मत कहिये
मुझे हंसी आणि ही थी
आखिर तुमने न न करते
कुछ माँगा था
तबसे जानू नही कहती
कैसी हो
बनारस की बयार
जल्दी में हूँ
वरना तुम्हारी
प्यारी अदाओं की
और बातें बताते
तुझे याद है
सिर्फ आज कहने दे
पता है
वो, दशहरा
जब मैंने कहा
कुछ मांग लो
आज दशहरा है
विजयादशमी है
तो, आप बोली,
नही मुझे कुछ नही चाहिए
मुझे तुम्हारा ये
तुनकमिजाज भरा
स्वाभिमान बहुत प्यारा लगा था फिर
फिर तुम जैसे कुछ याद आया हो
ऐसे तुम बोली
मुझे जानू मत कहिये
मुझे हंसी आणि ही थी
आखिर तुमने न न करते
कुछ माँगा था
तबसे जानू नही कहती
कैसी हो
बनारस की बयार
जल्दी में हूँ
वरना तुम्हारी
प्यारी अदाओं की
और बातें बताते
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