Friday 6 September 2013

hirniya

हिरनिया
i can not live without thinking u
sorry
suno, ye git
मैंने कल लिखी हूँ
सब कहते है , की
जिंदगी में बहार आ गयी
तुम्हे देख के दिल कहता है
बनारस की बयार आ गयी
जिंदगी के अंत में मिली
मेरी तक़दीर हो तुम
कैसे संभालू तुमको
चमकती हुयी शहतीर हो तुम

और सुनो
तुम्हे देख के
देख के , साँझ में
डूबता सूरज की लाली
दिल हो जाता है
बिन तुम्हारे खाली खाली


यंहा की भीड़ व् लिखने की जल्दी में , सब पन्तियाँ उल्ट पलट हो गयी 

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