तू तो , मेरे लिए
छरहरी कामिनी है
फूलों की डालहै
तू, क्यों सोचती है
की, मई तेरे लिए कुछ गलत सोचूंगी
या, गलत उपमा दूंगी
तेरे सरे मजाक मुझे प्रिय है
तेरे चिढाने का अंदाज भी प्रिय है
जानती है
२ माह बाद जब
मेरा घर बन रहा होगा
तो , मई रोज इसतरह से नही आउंगी
तुम भी तो , अपने
घर के , जीवन के कामों में
व्यस्त हो जाओगी
फिर ये बातें रोज नही होगी
इशलिये, इतनी गुस्सा मत हो
छरहरी कामिनी है
फूलों की डालहै
तू, क्यों सोचती है
की, मई तेरे लिए कुछ गलत सोचूंगी
या, गलत उपमा दूंगी
तेरे सरे मजाक मुझे प्रिय है
तेरे चिढाने का अंदाज भी प्रिय है
जानती है
२ माह बाद जब
मेरा घर बन रहा होगा
तो , मई रोज इसतरह से नही आउंगी
तुम भी तो , अपने
घर के , जीवन के कामों में
व्यस्त हो जाओगी
फिर ये बातें रोज नही होगी
इशलिये, इतनी गुस्सा मत हो
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