Monday 29 February 2016

देखे बिना उसका चेहरा 
वक़्त लगता है 
ठहरा ठहरा 

bnaras ki byar: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है आप उस...

bnaras ki byar: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है 
आप उस...
: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है  आप उसके साथ कदम नही मिला रहे होते है  उलझे मन को मई इन्ही कहूँगी  कि वह , अपने को समझाये  ...
जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है 
आप उसके साथ कदम नही मिला रहे होते है 
उलझे मन को मई इन्ही कहूँगी 
कि वह , अपने को समझाये 
और धीरज रहे रखे 
सब कुछ ठीक होगा 
सब कुछ संभल जायेगा 
मेरी प्रॉब्लम सुधरेगी 
सब ठीक होगा इसी आशा में मई 
परमात्मा को याद कर लेती हूँ 
आप भी यदि कोई समस्या हो तो 
प्रभु को स्मरण कीजिये 
जिसे आप मन ही मन मानते हो उसे 
इतना पता है, कि 
समस्या का हल मुझे ही निकलना है 
और प्रयास करते रहना है 

Sunday 28 February 2016

bnaras ki byar:  होंगे आप सोच रहे होंगेकी कि ये बनारस की बयार    ...

bnaras ki byar:  होंगे आप सोच रहे होंगे
की कि ये बनारस की बयार    ...
:  होंगे आप सोच रहे होंगे की कि ये बनारस की बयार    कौन है ये रेनू नामकी एक लड़की है जो बनारस के bhu में अध्ययन कर रही थी  ,वंहा नही कंही ...
 होंगे आप सोच रहे होंगे
की कि ये बनारस की बयार    कौन है
ये रेनू नामकी एक लड़की है
जो बनारस के bhu में अध्ययन कर रही थी
 ,वंहा नही कंही   और रहती है
पर बनारस की बयार और पारिजात की नायिका एक ही लड़की है
वो, फिरभी मेरी मित्र सूचि में नही है
मई उसे पत्र लिखकर निवेदन कर  सकती हूँ
पर सफलता में संदेह है
कि  प्रार्थना स्वीकारे
दरअसल गलती मेरी ही रही है 

Thursday 25 February 2016

बुआ  जी के घर के के वो शांत स्थिर दिन
जब  दोपहर की चाय के पहले
दौड़ कर बाजू वाले सेठ की दुकान से
तोता छाप चाय लाती थी
तो तोते को बहुत ध्यान से देखती थी
ध्यान तोते की वजह से लग जाता था
या माहौल का असर था
आज भी याद आते है
वो, दिन पुरअसर ध्यान लग जाने के
जब बुआ जी दोपहर की चाय
ओसारे में बैठकर पिया  थी 

Wednesday 24 February 2016

 तुम्हारी हंसीं ऐसी
जैसे अभी अभी
गंगा जी से नहा कर
निकली हो,
वाराणसी
कोई कंही भी जाये
तुम हरदम हो दिल में
बसी 

Tuesday 23 February 2016

ये हसीना
तुम्हारी हंसी
ऐसी जैसी
वाराणसी
प्रातः के रश्मियों में
खिली निखरी वाराणसी
ऐसी हंसी
जो सबके दिल में बसी
सच
कंही नही देखि
तुम्हारे जैसी 

Sunday 21 February 2016

कलसों वाली
कलशों वाली
जलसों वाली
तेरी हर अदा है
निराली 

Friday 19 February 2016

सुमुखि
बसंत भी तुझ बिन
सूना है 

Wednesday 17 February 2016

bnaras ki byar: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जब...

bnaras ki byar: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जब...: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जबलपुर स्टेशन रेलवे प्लेटफार्म नं ६ पर कुछ बदमाश आ गए, वे बहार से सीधे प्लेटफॉर्म में पहुंच...
मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जबलपुर स्टेशन रेलवे प्लेटफार्म नं ६ पर कुछ बदमाश आ गए, वे बहार से सीधे प्लेटफॉर्म में पहुंचे, उनकी संख्या ५ रही होगी , उन्होंने वंहा से गुजरते हुए , एक पगली को इतनी जोरों से गलियां गालियां निकली, इतने जोरों से वे लोग गाली बक रहे थे, रात के १२ बजे, रेलवे प्लेटफार्म उनकी गालियों से गूंजता रहा , पर वंहा मौजूद पोलिस गार्डों ने कोई एक्शन नहीं लिया, न ही वे वंहा आये, न उन्होंने उन दबंगों को प्लेटफार्म में गालियां बकने से रोक, मई वंही थी, मेरे पास खड़े होकर वे गुंडे गालियां बकते रहे, मेरे कान में गर्म शीशा जैसे उड़ेला  गया हो, पर मई कुछ नही कर सकी, उन्हें रोकने चीख नहीं सकी, फिर मुझे प्लेटफार्म में थोड़ा आगे जाना हुआ, तो वंहा मौजूद पुलिस वाले अजीब तरीके से घूरते रहे, फिर एक पोलिस वाला वंही खड़े होकर , पटरी की और मुख कर पेशाब करने लगा , ये सब मर्माहत करने वाला था, जो रक्षक थे , वे ही  गंदी हरकतें कर , माहौल को गंदा कर रहे थे, उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं था, कि कोई संभ्रांत महिला वंही से आ जा रही है, रात १२ बजे थे, वे लोग निर्लज्ज होकर नंगापन कर रहे थे, जो शर्मनाक व् घृणित था, वंहा कोई ऐसा नंबर नही दिया था, कि आपके समक्ष कोई पोलिस वाला वंही खड़े होकर पेशाब करने लगे, तो आप क्या करे, ये बेशर्मी की पराकाष्ठा थी, की कैसे रात के १२ बजे एक महिला के सामने गार्ड अपने को उधेड़ रहे थे, वे नग्न नही हुए थे बस , बाकि उन्होंने सभी हरकत ओछी व् बेशर्मी की की थी, ट्रैन परिसर में एक और गुंडों की गलियां थी, तो दूसरी और थी, पोलिस वालों की नंगे पण की इंतहा , और हम अपने को शर्मशार होकर नज़रे चुरा रहे थे, ये मामला था, जबलपुर के सबसे आधुनिक प्लेटफार्म का, जो नवीनता से भरा है, पर वंहा की पोलिस आज भी उसी थर्ड डिग्री युग में जी रही है, वे मुझे किस बात की सजा दे रहे थे, गुंडों की नंगी गालियां, फिर पोलिस वालों का घूरना व् पेशाब करना, वंहा , जिसे माँ बहन की नंगी गालियां , माँ की, बहन की........ सुनकर कान में जैसे पिघला शीसा डला था, और पुलिस वालों के गंदे तरीके से घूरने व् वंही खड़े होकर, पेंट की जीप खोलकर पेशाब करने से मई आँखों को इधर उधर कर, उस गलत दृश्य से खुद को बचाने में लगी थी, मुझे शर्मिंदा कर वे गार्ड जैसे अपना कर्तव्य पूरा किया थे, ये थी, हाल में की गयी गोरखपुर यात्रा के पूर्वार्ध की हक़ीक़त , ३ माह पूर्व की हादसा , और पोलिस वालों का असली चेहरा, वंहा किसी से जाकर कहने के लिए वक़्त नही था, न कोई नंबर वंहा लिखा था, की आपके बाजु में खड़े होकर कोई पोलिस वाला पेशाब करने लगे तो, आप किसे बताएंगे , ये थी पुलिस की ड्यूटी पर की गयी अकर्मण्यता , और निहायत निर्लज्ज हरकत , जिसे मैंने अपने रिज़र्वेशन के टिकिट के साथ प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी में लिख कर भेज दी थी, और मई क्या कर सकती थी, जो पोलिस वंहा हमारी रक्षा के लिए थी, उनमे से एक वंही हमारे पास आकर अपनी पेंट खोलकर पेशाब करने लगा, आप अपनी इज्जत बचाने चाहे तो ट्रैन के सामने कूद जाए, वे वंही खड़े होकर पेशाब करेंगे, क्यूंकि रात के १२ बजे, फिर कोई शर्म लिहाज शायद पुरुषों में नही बचती, वे लोग कंही भी नग्न होने को मानसिकता में तैयार रहते है, इसके लिए आप किस सीस्टम को दोषी ठहराएंगे , जबतक ये सब होगा, वह पोलिस वाला जा चूका होगा ,......... 

Tuesday 16 February 2016

bnaras ki byar:                                                  ...

bnaras ki byar:                                             
     ...
:                                                                                         देश के जो हालत है वे ठीक नही लग रहे है देश में भ्...
                                            
                                          
देश के जो हालत है वे ठीक नही लग रहे है देश में भ्रस्टाचार बहुत बढ़ गया है 
जो न्याय है, वो नही हो पता पाटा 
जो कम नंबरों से जज बन गए वे कानून को नही समझते 
संविधान भी कम नंबर वालों को जज बनाने वाला बना 
उसमे संसोधन कर , आरक्षण बढ़ा दिया 
अब, कम नंबर वाले जो करे सो कम 
प्रशाशन में सेंध लग गयी है रोज काम कम बखेड़ा ज्यादा होता है देश के अधिकारी 
कर्तव्य नही करते , जो धान सरकार  ,वो खुले में रखते है 
और , बारदाने के बिना धान फेंका जाता है, भींग जाता है कानून कंही नही है 
जंगलराज सब जगह नज़र आ रहा है देश की हालत अच्छी नही है ज्यूँ ज्यूँ दवा की 
रोग बढ़ते ही गया  

Monday 15 February 2016

जी हाँ
जी हाँ , मई गोरखपुर गयी थी 
बालाघाट से गोरखपुर तक कि यात्रा किसी रोमांच से कम नही थी 
यूँ तो , मैंने जीवन में बहुत यात्रा की है 
अपने हाथ पांव की २० उँगलियों के २० चक्रों की वजह से 
मुझे जब १ वर्ष कुछ माह की थी, तब माँ के घर से बुआ जी के घर चली गयी थी , मुझे स्वा-डेढ़ वर्ष की उम्र में माँ की गोदी से बुआ के अंचल में विस्थापित होना पड़ा था , और मैं खुश रही , हर हाल में अपने अनुकूल पाती हूँ , और समायोजन करती हूँ 
ये सब कोई अंजानी अदृश्य शक्ति से होता है 
गोरखपुर जाते हुए, जबलपुर में में  गलत गलत अनुभव हुए , 
 फिर भी  आसमान में पक्षियों  देख ने ने  ललक ठंडी  रही क्यूंकि पक्षी  खेतों में डाले कीटनाशक खा गए 
इश्लीए पक्षी बचाने कीटनाशक  विरुद्ध आईये 
वो इतनी खूबसूरत लगती है 
इतनी प्यारी है ,
कि शब्द ही नही मिलते 
सिवाय इसके कि 
वो खूबसूरत लगती रहे 
और उसे निहारा जाए 

Sunday 14 February 2016

दिल में तेदेपा नही होती  तो 
दिल में दर्द नही होता तो 
हमे पता ही नही चलता 
कि प्यार क्या है 
प्यार को जानने समझने 
एक ऐसा दिल चाहिए 
जिसमे दर्द हो 
जो तडप सके 
वरना थोड़े से में 
आक्रामक हो जाना 
प्यार नही होता 
जब, सुनती हूँ कि 
कोई अपनी माशुका की हत्या कर देता है 
तो, वंहा सिर्फ हवस का अहसास होता है 

Saturday 13 February 2016

वह  इतनी खूबसूरत है 
कि शब्द नही मिलते कि 
कैसे उसकी खूबसूरती बयान करे 
किसी को बहुत ज्यादा देखने की इक्षा को प्यार कहते है, क्या 
किसी को बहुत ज्यादा देखने की इक्षा को तो, प्यार नही कहते 

Friday 12 February 2016

पक्षियों की आवाजों के बिना सुबह-साँझ ठीक नही लगती 
और ये महसूस होता है कि अदृश्य हाथों ने 
उनका शिकार किया है पखेरुओं को पकड़कर 
कुछ कंपनियां बहार भेज रही है 
इनमें olx भी है आप पक्षियों की तस्करी को रोकिये जन्हा भी हो, उनकी शिकायत करे 
हम शिकायत नही करते, तो अपराध बेलगाम होते रहते है यंहा 
बालाघाट में कुछ बिना नंबर की गाड़ियों में लकड़ी ले जाई जाती थी 
मैंने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को की थी , तब वंहा से पत्र आये , और वन उपमंडल अधिकारी को मेरा बयान लेना हुआ , बीएस मैंने फिर pmoको लिखा, की वे साबुत मांगते है, तब यंहा के सप sp ने जाँच की  ,बहुत बड़ा रेकेट पकड़ाया, जो वनकर्मियों संग मिलकर जंगल की अवैध कतई में वर्षो से लगा था , बड़े अधिकारी भी लपेटे में आ गए , अब तो जाँच है, वे पकड़े गए 
मुझे लगता है, पेंच प्रोजेक्ट में भी बाघों को ऐसे ही गिरोह द्वारा मारा जा रहा है, उनकी भी शिकायत भी की है ये फिरसे वनकर्मियों की मिलीभगत लगती है एक 
iasने ऐसी साजिशों पर भी किताब लिखी है , जो मिल का पत्थर साबित होगी 

Thursday 11 February 2016

पेंच तोिगर टाइगर प्रोजेक्ट करोरो  करोड़ो खर्च के बाद बाघों को नही बचा सका है , वे १४ में से १३ मारे गए , फिरभी सरकारें सोती रही , और एक के बाद एक बाघ मारे जा रहे है, बेहद क्रूर व् जघन्य तरीके से। तब सरकार ऐसे महकमे को क्यों रखे है, जो अपने काम नही करते , सरकार उन्हें नौकरी से नही हकलती ःकालती , इसीसे  वे हमेशा जमे रहते है 
देश ऐसे लोगो के हाथो में है, जिन्हे अपनी जिम्मेदारी से मतलब नही 
अब तो पखेरू, पक्षी भी नही मिल रहे, उनका जमकर शिकार हो रहा है 
ये बनारस की बयार से एक साक्षात्कार है 
मैडम , आपको ये नए नए फैशन करना इतना क्यों पसंद है 
आप इतनी प्यारी वेशभूषा कहा से सोचती हो 
ये भी कि आप अपने श्रृंगार में इतनी सफल हो, कैसे जानती हो, इतना अच्छा मेकअप कैसे कर लेती           हो 
आपका ड्रेस सेन्स बहुत सुपर है 
आप एक कलात्मक नारी हो,
ऐसी युवती हो , जिसका सानिंध्य हर कोई चाहेगा 
आप जानती हो, कि आप हर दिल अजीज हो 
आपकी मनमोहनी मुस्कराहट बरबस सबका ध्यान खींचती है 
और , सब आपके वशीभूत हो जाते है 
आपका ये दिव्य आभामंडल है , जन्हा की आप सम्राज्ञी हो 
बताईये , क्या इसमें कुछ झूठ है 

Wednesday 10 February 2016

  कल मैं संघ कार्यालय गयी थी, एक वैचारिक ऊर्जा महसूस होती है 
अपनी बात जो कहना चाहती हु,, उसके लिए कोई मंच मुझे नही मिलता 
समझ में नही आता किनसे ये सब कहु 
हमारे देश में ये मंच नहीं है 
जो मंच चलते है, वे बड़े शहरों में है 
छोटे शहर में भ्रस्टाचारी अपना गिरोह चलते है जो 
राज्य सरकार की  योजनाओं में  लगाते है, उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है 
ये चाहे जिस जाती समज समाज के हो, इनकी एकता अभूतपूर्व होती हैहै 
ये हमेशा सरकारी योजना का पैसा  खाए, ये हमेशा जानते है, और मिलकर कहते खाते है 
इनकी यूनिटी चूँकि, स्वार्थ व् मतलबपरस्ती पर होती है, ये सदैव एकजुट रहते है 
अपने शहर में देखती हूँ, जो करोड़ों की योजना है, उनका हश्र ये होता है, कि कोई भी उन्हें छू भी नही सकता, ये बड़े संगठित रूप में , अपने योजना के पैसे खाने को अंजाम दे रहे है बालाघाट में ५०० करोड़ की एक योजना मलाजखंड की है, इसका कोई प्रतिसाद नही दीखता.जो नक्सली होने से पैसा आता, उसका कोई प्रतिसाद नही दीखता.जो आयोजन होते है, उसका कोई परिणाम नही मिलता. ४० करोड़ की नल पानी की योजना है, सोचने की बात ये है, कि क्या किसी को  मतलब है 
शायद यंहा लोग कोई सारोकार  रखते, जो सामाजिक काम करे, उसे निकम्मा मानते हुए, या तो, अनदेखा करते है, या थान थान
   लोगों को जानकारी देने ई कोई मंशा नही होती 
बसें पलट जाती है, पर रस्ते ठीक नही होते मैंने अपने क्षेत्र की समस्याओं पर लगातार प्रधानमंत्री जी को लिखा, तब यंहा जो सड़कें खोदी गयी थी, उनका कोई काम होते दिख रहा, पर कबतक  पता, ४-५ किलोमीटर की १३ हजार करोड़ की योजना लचर तरीके से बन रही सड़कें, और कोई आगे आने को तैयार नही, सड़क चाहते है, तो उसके लिए आगे आईये, जो पैसा सरकार भेज रही है, उसका हिसाब क्यों नही देते , बहुत दारुण स्थिति है,
और लोकतंत्र सलीब पर टंगा है  

Tuesday 9 February 2016

bnaras ki byar: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्र...

bnaras ki byar: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्र...: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्रशासन को पलीता लगा दिया , इसने भ्रस्टाचार को शिष्टाचार में बदल दिया ,हमने कभी इस बात पर सम...
ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्रशासन को पलीता लगा दिया , इसने भ्रस्टाचार को शिष्टाचार में बदल दिया ,हमने कभी इस बात पर समीक्षा नही की।  आज भी यदि भाजपा अपने आपको अकेली महसूस न करे तो, वह सुशासन के लिए आरक्षण को ख़त्म कर सकती है, क्यूंकि नई नई मांग उठ रही है, सभी जातियां जब आरक्षण मांगने लगेगी तो , देश क्या सिर्फ आरक्षण  चलेगा। यदि मुझे आज के लिए ये सत्ता मिल जाए ,  बिना वोट  परवाह किये,  आरक्षण  तुरंत हटा दूंगी, यूंकि मुझे सत्ता  ज्यादा देश  प्यार है, जन्हा जातिवाद   का नामोनिशान न रहे और और , हम देश में ज्यादा काबिल लोगो को नौकरी  लाये। 
आज तो ये हाल है , कि सभी या  आरक्षण या , सिफारिश से चुने  रहे है। 
भ्रस्टाचार  आरक्षण के कारन है ,  खत्म करने के लिए आरक्षण  ख़त्म करे, जो १० वर्ष के लिए था , अभी तक क्यों चल रहा है. ये वोट की राजनीती , देश को घुन की तरह खा रही है, क्यूंकि जबतक आरक्षण है, भ्रष्टाचार से हम नही लड़ सकते , इसे हिम्मत कर मिटाना होगा , क्यूंकि, जो आरक्षण से आते है, वे सरकारी नौकरी में सिर्फ भ्रस्टाचार का कूड़ा फैलाते है। 
यंहा बालाघाट में एक वासनिक इंजीनियर ने ५० लाख का घपला किया , वो पकड़ा जाकर ससपेंड है, बीएस, ५० लाख भी खा लिए , और जो पूल बनाया वो टूट गया, ग्रामीणों को भारी तकलीफ है. एक आरक्षण वाले के लिए , किने गांव वाले मुसीबत झेल रहे , क्या वे वोटबैंक नहीं है. क्या आपने ये नही देखा कि कितने ट्रेनों में बिना टिकिट यात्रा करते व् अपराध करते है, वे कौन लोग है. दरअसल वे वंही है, जिन्हे आरक्षण चाहिए, वे टिकिट भी नही देते, कोई जिम्मेदारी  भी नही निभाते, कंही न तो चोरी रोकते है, न कोई बड़ा काम करते है, आरक्षण के बाद ज्यादा आत्मकेंद्रित और स्वार्थी हो जाते है, ये लोग खुलकर रिश्वत लेते है, इन्हे कोई नही रोकता, जो दलितों का हरिजन एक्ट बना है , ये उसका गलत फायदा उठा रहे है, उन्हें पुलिस नही पकड़ सकती , वे यदि जज है, तो कोई अच्छा फैसला नही देते , कोई नवीनता उनके उनके काम में नही होती। 
उन्हें देश से मतलब नही, बीएस मलाईदार विघग विभाग उन्हें चाहिए. उन्हें कभी सेना में जाने का मन नही, क्यूंकि वंहा आरक्षण नही होता, जान देनी होती है। 

Monday 8 February 2016

bnaras ki byar: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि ...

bnaras ki byar: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि ...: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि आज़ाद भारत में उन्ही हिन्दुओं को लोग कोसने लगे, जिन्होंने देश के लिए ज्यादा किया, देश में ...
जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि आज़ाद भारत में उन्ही हिन्दुओं को लोग कोसने लगे, जिन्होंने देश के लिए ज्यादा किया, देश में जिन्होंने ज्यादा योगदान दिया , और पुनरुत्थान में भाग लिया 
लोगों ने ये सब स्वीकार लिया, जब हमारे संविधान में आरक्षण जोड़ा गया, शायद इन्ही एक मात्र मौलिक था, मेरे देश के संविधान में.हिन्दू हमेशा से सहिष्णु रहे, और उन्होंने हिन्दुओं के जो अधिकार कम किये गए, इन सारे परिवर्तनों को चुपचाप स्वीकार कर लिया। वे एक बार फिरसे जैसे निशाने पर थे.ज्यादातर जो गुरुकुल चलते थे, वे बंद कर दिए गए, लार्ड मैकाले की शिक्षा में गुरुकुल कंही नहीं आये,  जबकि मदरसे व् अन्य शिक्षा चलती रही, पर जो हमारे ऋषि गुरुकुल चलते थे, वे बंद हो गए.इससे हमारे जो ब्राह्मण थे, वे सब बेरोजगार हो गए. एक और तो, ऐसे दलितों को नौकरियां मिल रही थी, जो न तो, ठीक से पढ़े थे, न ही वे शिक्षा में कुछ  रहे थे. हमारे हिन्दू समाज ने सबकुछ स्वीकार लिया। उनकी सदियों की रूढ़ियों पर जो भी आक्षेप आये, उन्हें, हिन्दुओं ने समझा और आज हिन्दू समाज अपने ओ रूढ़ि मुक्त कर रहा है वंही, उसे जीविका इ लिए बहुत ज्यादा संघर्ष करना है.जब ब्राह्मणों को उनकी शिक्षा व्यवस्था से वंचित किया गया, जो हिंदुस्तान की सर्वाधिक प्राचीन शिक्षा प्रणाली थी, वे हामोशी से इसे सह गए। देश में हिन्दुओं ने कभी अपना विरोध नही दर्ज कराया. जबकि अपने आप पर सारे आरोपों को झेलते हुए, अपना श्रेष्ठ करते रहे। 
आप पाथेर पांचाली , सत्यजित रे ई मूवी देखे, पाएंगे, कि एक ब्राह्मण परिवार के पास आज़ाद भारत में गुरुकुल छीन जाने से रोजी रोटी से वंचित होना था, वे जिंदगी से लड़ते हुए, वाकई में चले गए 
बहुत से पंडित परिवार के लड़के उनदिनों इस्तेमाल हुए, वे गलत रास्तों पर हांक दिए गए, फिर उन्होंने अपनी शिक्षा पर केंद्रित किया, और वे विदेश में नौकरी पर जाने लगे. इधर जो दलित सरकारी सेवा में थे, वे या तो भ्रस्टाचार करते , या वे देश के हिन्दुओं को हिजाते, व् दोष मढ़ते, इन्ही उन्होंने किया। 
इससे ज्यादा उन्होंने जॉब , नौकरी में कोई योगदान ऐसा नहीं दिया , जिसे हम रचनात्मक कहते। 
देश में बामसेफ ने बहुत गलत तरीके से हिन्दुओं की बुराई कि , सत्ता उन्हें आर्थिक सहायता देती थी. 
अब हम चाहते है, की हिन्दू क्यों, सबकी फीस का खर्च वहां करे, जबकि दलितों को कम नंबर में नौकरी दे रहे है. क्या ये दलित, शिक्षा में कोई योगदान देते है.....??

Sunday 7 February 2016

bnaras ki byar:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि देश में आज़ादी ...

bnaras ki byar:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि 
देश में आज़ादी ...
:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि  देश में आज़ादी के बाद हिन्दुओं को अलग-थलग करके  मार जा रहा है  नहीं पता क्यों  देश में जातियों को बढ़...
 हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि 
देश में आज़ादी के बाद हिन्दुओं को अलग-थलग करके 
मार जा रहा है 
नहीं पता क्यों 
देश में जातियों को बढ़ावा देने 
आरक्षण का घिनौना खेल खेला जा रहा है 
क्या दूसरे हिन्दुओं के पास पैसों का झाड़ है 
जो, उनसे दोगुनी फीस वसूलते है,
और sc/st ko छूट देते है 
वो, एक साल था जब 
sc/st२८ थे 
उनमे से सभी का जीरो मार्क्स पर भी चयन हुआ 
वो, भी मजिस्ट्रेट के पद पर 
क्या उन्होंने कोई सच्चा न्याय किया 
और रही 
सहिष्णुता की बातें 
जब ज्ञात है 
की गाय हमारी माँ है तब क्या 
हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए 
jnuमें 
बीफ पार्टी राखी 
 आज हिन्दुओ को तै करना है 
कि वे किसी भी स्कूल व् परीक्षा की 
दोगुनी फीस क्यों भरे उन्हें भी छूट दी जाए 
इसके लिए 
साधारण कैटेगरी वालों को 
अपनी मांग के लिए 
सरकार के सामने मांग रखनी होगी कि 
वे भी sc?st जितनी ही फीस भरेंगे 
हम दो तरह की 
फीस प्रणाली का विरोध करते है 
ये भी कि 
जिन्होंने आरक्षण पाया 
क्या उनके वर्ग ने 
देश को कुछ दिया 
कितनी देश सेवा वे कर रहे है कितना काम 
व् सेवा वे बेहतर दे रहे 
या यूँ ही आप आरक्षण देकर देश की प्रशासनिक कुशलता को 
पलीता लगते रहेंगे 
आजसे सरकारें सबको समान फीस का लागु करे साधारण हिन्दू 
क्यों, अपनी जेब से sc/stकी फीस भरेगा ये उनसे दोगुनी 
ली जा रही है एक एक अत्याचार है 
हमे इसका विरोध करना होगा 
हम कबतक ये खर्च और क्यों झेलेंगे 
मई खुद परधान मंत्री जी को ये बात पत्र में लिखूंगी 
मेरा कहना है की 
क्या हिन्दू 
एक साधारण शख्श आजाद नही है 
उसे क्यों, सरकार इतनी ज्यादा फीस लेती है क्या 
क्या ब्रह्मिंस को गरीबी नही है 
और, असहिष्णुं क्या वे लोग नहीं 
जो, रातदिन विल्वझ 
हिन्दुओं को कोसते रहते है 
कुछ माह पूर्व जब 
रामनवमी के पहले 
कुछ दूसरे धर्म वालों ने 
एक हिन्दू लड़के की हत्या कर दी थी जो 
अवयस्क था फिरभी हमारी सरकार ने 
बात दबा दी थी 
एक हिन्दू लड़के की कुछ दूसरे मजहब वालों ने 
पीटकर हत्या कर डाली थी 
तब, किसी ने नही कहा की 
हिन्दुओं से असहिस्नुता होती है 
हाँ हिन्दुओं के धर्म व् पूजा पर 
कितना टिकटिप्पणहि होती है 
उन्हें मूर्ति-पूजक कहके गलियां दी जाती है तबतो, ओइ कुछ नही कहता 
क्या, ये सहिष्णुता है 

bnaras ki byar: ये बहुत जरुरी है कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त कर...

bnaras ki byar: ये बहुत जरुरी है 
कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त कर...
: ये बहुत जरुरी है  कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त करता  लेकिन इतनी गलत साइड में  हमारा लोकतंत्र चले गया  कि रातदिन  sc/st करते  वे देश ...
ये बहुत जरुरी है 
कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त करता 
लेकिन इतनी गलत साइड में 
हमारा लोकतंत्र चले गया 
कि रातदिन 
sc/st करते 
वे देश की नौकरियां बट्टे बताते वक़्त जाता है देश में जैसे 
आजादी sc/st के लिए हो 
देश इसकदर एक तरफा हो गया है 
इतने भेद इतनी परतें हो गयी है 
कि हम अब ज्यादा नही समझ सकते 
जो संविधान बनाया गया 
उसका केंद्र 
कुछ वर्ग व् जातियों को फायदा पहुँचाना 
व् नौकरियां देना था 
उसके बाद से 
लोकतंत्र ने 
नोट बांटकर वोट बटोरने 
और आरक्षण में 
अपने को ढल लिया है जो, नौकरी में चले गए 
उन्हें कुछ न तो करना है 
न कोई उनसे कुछ कराते है एकबार तो, ऐसा था 
कि जीरो नंबर लेन वाले २८ उम्मीदवारों को 
cjबना दिया गया 
उन्होंने कितने जायज फैसले दिए 
इसपर समीक्षा नही की गयी 
एक छात्र यूँ ही 
आत्महत्या कर लेता है और विपक्ष इ नेता उसे टूल देते है 
किन्तु ये नही कहते 
कि जो किसान आत्महत्या करते है 
उनतक पहुंचे 
जबसे आराधना सिंह ने कहा 
काहे परेशान हो भैया
तबसे भैया के सब गम दूर होगये 
ये जैसे कोई मंत्र हो 
भैया की विपदा तल गयी 
अब, भैया खुश है 
जीवन में नए युग की शुरुआत हुई है 
भैया का जीवन बदल चूका है 
धन्यवाद है 
ऐसी देवी को जो 
पूछती है, कहती है 
काहे परेशान हो भैया 
और जीवन धन्य हो जाता है 
परेशानियां विदा हो जाती है  

Friday 5 February 2016

bnaras ki byar: आराधना सिंह ये तुम्हारीमधुरता हैकि तुम स्वयं खूब...

bnaras ki byar: आराधना सिंह ये तुम्हारी
मधुरता है
कि तुम स्वयं खूब...
: आराधना सिंह ये तुम्हारी मधुरता है कि तुम स्वयं खूबसूरत होते हुए भी किसी दूसरी सुंदरी की प्रसंसा प्रशंसा करती हो और तुम्हारे मुख से निकल...
आराधना सिंह ये तुम्हारी
मधुरता है
कि तुम स्वयं खूबसूरत होते हुए भी
किसी दूसरी सुंदरी की प्रसंसा प्रशंसा करती हो
और तुम्हारे मुख से निकला वाक्यांश
'काहे ,परेशान हो भैया ,
तो वाकई एक संस्कृति का
जिवंत उदहारण है
कि बनारस की छोरी
कहे , जिसे भैया
उसे लगे शनि अढ़ैया
ये भी लाभ का द्योतक होगा
धोतक 

Thursday 4 February 2016

ये एक डिओलोगे दोिलगे 
ये एक डाइलोग है 
बनराशि बनारसी सुंदरी का 
इसे गीत भी समझे 
एक प्नति है कहे 
काहे पारेषण हो भैया। ..... 
 इसी पर गीत लिखना है