firse
Friday 28 February 2014
bnaras ki byar: बसंती बयार एक तू अच्छी लगती है दूसरा तेरा घरबार...
bnaras ki byar: बसंती बयार
एक तू अच्छी लगती है
दूसरा तेरा घरबार...: बसंती बयार एक तू अच्छी लगती है दूसरा तेरा घरबार ये तेरा नखरा और मासूम सा तेरा प्यार ओ, बनारस कि बयार दिन-बी दिन बढ़ता चढ़ता ते...
एक तू अच्छी लगती है
दूसरा तेरा घरबार...: बसंती बयार एक तू अच्छी लगती है दूसरा तेरा घरबार ये तेरा नखरा और मासूम सा तेरा प्यार ओ, बनारस कि बयार दिन-बी दिन बढ़ता चढ़ता ते...
Thursday 27 February 2014
bnaras ki byar: बहुत अच्छी लगती है तेरी बातें और तू और तेरी मांग...
bnaras ki byar: बहुत अच्छी लगती है
तेरी बातें और तू
और तेरी मांग...: बहुत अच्छी लगती है तेरी बातें और तू और तेरी मांग का सिंदूर
तेरी बातें और तू
और तेरी मांग...: बहुत अच्छी लगती है तेरी बातें और तू और तेरी मांग का सिंदूर
Wednesday 26 February 2014
bnaras ki byar: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे ...
bnaras ki byar: बनारस कि बयार
ये तो बता
कि, तुम दुनिया में सबसे ...: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे अच्छी क्यों लगती हो कोई तुम्हारे जितना अच्छा क्यों नही है ये बता तो कि, तुम इतन...
ये तो बता
कि, तुम दुनिया में सबसे ...: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे अच्छी क्यों लगती हो कोई तुम्हारे जितना अच्छा क्यों नही है ये बता तो कि, तुम इतन...
bnaras ki byar: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे ...
bnaras ki byar: बनारस कि बयार
ये तो बता
कि, तुम दुनिया में सबसे ...: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे अच्छी क्यों लगती हो कोई तुम्हारे जितना अच्छा क्यों नही है ये बता तो कि, तुम इतन...
ये तो बता
कि, तुम दुनिया में सबसे ...: बनारस कि बयार ये तो बता कि, तुम दुनिया में सबसे अच्छी क्यों लगती हो कोई तुम्हारे जितना अच्छा क्यों नही है ये बता तो कि, तुम इतन...
Tuesday 25 February 2014
bnaras ki byar: बनारस बनारस कि बयार ने पुरे किये है २५५० , रीडर...
bnaras ki byar: बनारस
बनारस कि बयार ने
पुरे किये है
२५५० , रीडर...: बनारस बनारस कि बयार ने पुरे किये है २५५० , रीडर्स ये २५५० टाइम्स रीड कि गयी है कोंग्रेट्स , बनारस कि बयार के पाठकों को ये आप ...
बनारस कि बयार ने
पुरे किये है
२५५० , रीडर...: बनारस बनारस कि बयार ने पुरे किये है २५५० , रीडर्स ये २५५० टाइम्स रीड कि गयी है कोंग्रेट्स , बनारस कि बयार के पाठकों को ये आप ...
अ फिर
आ
आ फिरसे मुझे अपना बनाने के लिए आ
आ फिरसे मुझे ग़ज़ल सुनाने के लिए आ
आ फिर किसि बात पर मुस्कराने के लिए आ
आ, फिर से यूँ ही इतराने के लिए आ
आ मेरी निगाहों से शर्माने के लिए आ
आ मेरा दिल लेके मुकर जाने के लिए आ
आ, मुझे नया ख्वाब दिखने के लिए आ
आ झूठे ही सही , रूठ जाने के लिए आ
पर तू आ तो सही , किसी भी तरह से आ
आ
आ फिरसे मुझे अपना बनाने के लिए आ
आ फिरसे मुझे ग़ज़ल सुनाने के लिए आ
आ फिर किसि बात पर मुस्कराने के लिए आ
आ, फिर से यूँ ही इतराने के लिए आ
आ मेरी निगाहों से शर्माने के लिए आ
आ मेरा दिल लेके मुकर जाने के लिए आ
आ, मुझे नया ख्वाब दिखने के लिए आ
आ झूठे ही सही , रूठ जाने के लिए आ
पर तू आ तो सही , किसी भी तरह से आ
Monday 24 February 2014
Sunday 23 February 2014
bnaras ki byar: Tell you, that's just phrases And doing May char...
bnaras ki byar: Tell you, that's just phrases
And doing
May char...: Tell you, that's just phrases And doing May characters tell what What are you doing Watch देती हूँ Up कपडे सुख रही है Dress...
And doing
May char...: Tell you, that's just phrases And doing May characters tell what What are you doing Watch देती हूँ Up कपडे सुख रही है Dress...
Tell you, that's just phrases
And doing
May characters tell what
What are you doing
Watch देती हूँ
Up कपडे सुख रही है
Dress सूखा रही है
See कुछ गलत मत समझना
Characters, तुम्हारी और
Your सिस्टर कि ये आदत है
That किसी भी बात को रॉंग साइड में लेकर जाती हो
These बताना कि
Its शरारतों के साथ भी
You इतनी अच्छी क्यों लगती हो
Why, लगाती हो, सोनिये
Thou इतनी अच्छी
And doing
May characters tell what
What are you doing
Watch देती हूँ
Up कपडे सुख रही है
Dress सूखा रही है
See कुछ गलत मत समझना
Characters, तुम्हारी और
Your सिस्टर कि ये आदत है
That किसी भी बात को रॉंग साइड में लेकर जाती हो
These बताना कि
Its शरारतों के साथ भी
You इतनी अच्छी क्यों लगती हो
Why, लगाती हो, सोनिये
Thou इतनी अच्छी
bnaras ki byar: A temple on the hill above He claimed shines peak...
bnaras ki byar: A temple on the hill above
He claimed shines peak...: A temple on the hill above He claimed shines peak - Vase She reached your Wanha Relaxing sitting beneath an umbrella Expressed swea...
He claimed shines peak...: A temple on the hill above He claimed shines peak - Vase She reached your Wanha Relaxing sitting beneath an umbrella Expressed swea...
Saturday 22 February 2014
Friday 21 February 2014
bnaras ki byar: सुन अभीतक मैंने लिखी और तुमने पढ़ी अब , तुम लिख...
bnaras ki byar: सुन
अभीतक
मैंने लिखी
और तुमने पढ़ी
अब , तुम लिख...: सुन अभीतक मैंने लिखी और तुमने पढ़ी अब , तुम लिखो हम देखेंगे आपकी कविता गीत, या लेख समझे कि नही now i become reader, ok an...
अभीतक
मैंने लिखी
और तुमने पढ़ी
अब , तुम लिख...: सुन अभीतक मैंने लिखी और तुमने पढ़ी अब , तुम लिखो हम देखेंगे आपकी कविता गीत, या लेख समझे कि नही now i become reader, ok an...
bnaras ki byar: A temple on the hill above He claimed shines peak...
bnaras ki byar: A temple on the hill above
He claimed shines peak...: A temple on the hill above He claimed shines peak - Vase She reached your Wanha Relaxing sitting beneath an umbrella Expressed swea...
He claimed shines peak...: A temple on the hill above He claimed shines peak - Vase She reached your Wanha Relaxing sitting beneath an umbrella Expressed swea...
A temple on the hill above
He claimed shines peak - Vase
She reached your Wanha
Relaxing sitting beneath an umbrella
Expressed sweat on your forehead again
Come apart, no naughty braided
Tere होठों पर थिरकती मधुर हंसी
And चुनर को लपेट क्र इतराना
Blkhana शर्माना
Thy इतनी शर्तें
Skittish मुस्कराहट
And कुछ बचा हो
So, खुद बताना
Sleeping स्वीट
Sleeping स्वीट
These क्या लिखा है
Some समझ में आता है कि नही,
Thee क्या समझती है ,
You आपको
Running, कविता लिखके दिखा
E वांट कि तुम बहुत प्यारा लिख रही हो बहुत अच्छा
Very अच्छा लिखके लेती हो
He claimed shines peak - Vase
She reached your Wanha
Relaxing sitting beneath an umbrella
Expressed sweat on your forehead again
Come apart, no naughty braided
Tere होठों पर थिरकती मधुर हंसी
And चुनर को लपेट क्र इतराना
Blkhana शर्माना
Thy इतनी शर्तें
Skittish मुस्कराहट
And कुछ बचा हो
So, खुद बताना
Sleeping स्वीट
Sleeping स्वीट
These क्या लिखा है
Some समझ में आता है कि नही,
Thee क्या समझती है ,
You आपको
Running, कविता लिखके दिखा
E वांट कि तुम बहुत प्यारा लिख रही हो बहुत अच्छा
Very अच्छा लिखके लेती हो
Thursday 20 February 2014
Wednesday 19 February 2014
They remain
She got on the move
Her heart to see that one bud
I told her on hold
It is home to the world
It is the heart,
Take Control
He, heart breathing bid
We should do nothing
When the heart is taken
So, darling
Then what is left wanting
And she went
Heart was adapted
And one call
I do not
Which has taken heart
He, his glance
Nothing is
Can not even call her a liar
Who is majaal
He abuses her
Tuesday 18 February 2014
bnaras ki byar: दिल कि ये आवाज है ये बनारस कि बयार है ये तेरा प...
bnaras ki byar: दिल कि ये आवाज है
ये बनारस कि बयार है
ये तेरा प...: दिल कि ये आवाज है ये बनारस कि बयार है ये तेरा प्यारा सा घर-संसार ये तो बता , क्यों आता है , तुझपर इतना प्यार बनारस कि बयार ते...
ये बनारस कि बयार है
ये तेरा प...: दिल कि ये आवाज है ये बनारस कि बयार है ये तेरा प्यारा सा घर-संसार ये तो बता , क्यों आता है , तुझपर इतना प्यार बनारस कि बयार ते...
दिल कि ये आवाज है
ये बनारस कि बयार है
ये तेरा प्यारा सा घर-संसार
ये तो बता ,
क्यों आता है ,
तुझपर इतना प्यार
बनारस कि बयार
तेरा ये सुघर सलोना रूप
तेरा ये प्यारा सा घर
तेरा रौनक वाला दर
जिसमे छायी रहती है
खुशियां घर के अंदर
तू जिधर जाती है
बहारें चली अति है उधर
ये बसंत कि बयार
ये तेरा अनमोल उपहार
तेरा साज-श्रीनगर
सृंगार
ये तेरा अनमोल उपहार
हरओर मुस्कराता तेरा संसार
ये बनारस कि बयार है
ये तेरा प्यारा सा घर-संसार
ये तो बता ,
क्यों आता है ,
तुझपर इतना प्यार
बनारस कि बयार
तेरा ये सुघर सलोना रूप
तेरा ये प्यारा सा घर
तेरा रौनक वाला दर
जिसमे छायी रहती है
खुशियां घर के अंदर
तू जिधर जाती है
बहारें चली अति है उधर
ये बसंत कि बयार
ये तेरा अनमोल उपहार
तेरा साज-श्रीनगर
सृंगार
ये तेरा अनमोल उपहार
हरओर मुस्कराता तेरा संसार
Monday 17 February 2014
bnaras ki byar: swachampa
bnaras ki byar: swachampa: swarchamp tumne chandrma se mukhde pr ghunghat kyun nhi dala tum jidhar se nikli udhar se ltke le gyi kjrari ankhiyon se chaman sara ...
Sunday 16 February 2014
bnaras ki byar: तेरा तस्वुर और तेरा गरूर दोनों है , जरुर
bnaras ki byar: तेरा तस्वुर
और तेरा गरूर
दोनों है , जरुर : तेरा तस्वुर और तेरा गरूर दोनों है , जरुर
और तेरा गरूर
दोनों है , जरुर : तेरा तस्वुर और तेरा गरूर दोनों है , जरुर
Saturday 15 February 2014
bnaras ki byar: बनारस कि बयार ने अप्रोच किये २३००६ विोवेर्स रीडर्...
bnaras ki byar: बनारस कि बयार ने अप्रोच किये
२३००६ विोवेर्स रीडर्...: बनारस कि बयार ने अप्रोच किये २३००६ विोवेर्स रीडर्स थैंक यु , पाठकों का हार्दिक शुक्रिया
२३००६ विोवेर्स रीडर्...: बनारस कि बयार ने अप्रोच किये २३००६ विोवेर्स रीडर्स थैंक यु , पाठकों का हार्दिक शुक्रिया
Friday 14 February 2014
Thursday 13 February 2014
अबकी बार जब बनारस कि बयार का सत्कार साक्षात्कार
लेने पहुंचे तो, वो बहुत व्यस्त थी बोली , तुम फ़िर्से……… तुम्हे कोई कम नही है
फिर उसे कुछ दया आ गयी
बोली , ऐसा करो , मेरे शूज लो जब उसके शूज ला दिए
तो, बोली इन्हे पोछकर मेरे पांव में पहना दो
फिर बोली, कि शुस को बांध दो
जब शूज बांध दिए , तो बओऌइ.... ये
वो बोली, भाड़ में जाओ , आईन्दा इंटरव्यू कि बात कि तो, ये शूज सीधे तुम्हारे सर पर पढ़ेंगे
सो सॉरी , वो नही मानती बहुत जिद्दी है
बी हर , ऑफ़ बनारस। ……। वो, पूछना था, कि तुम गुस्सा होती हो ,
तो, इतना ज्यादा क्यों होती हो,
कुछ दिमाग भी ठंडा रखा करो
वो, चलते चलते बोली। …तुम्हे नही समझता
ये कपडे जब हमेशा तीते tite होते है
तो, कुछ को गुस्सा आता ही है
bye dear ....come near.....
लेने पहुंचे तो, वो बहुत व्यस्त थी बोली , तुम फ़िर्से……… तुम्हे कोई कम नही है
फिर उसे कुछ दया आ गयी
बोली , ऐसा करो , मेरे शूज लो जब उसके शूज ला दिए
तो, बोली इन्हे पोछकर मेरे पांव में पहना दो
फिर बोली, कि शुस को बांध दो
जब शूज बांध दिए , तो बओऌइ.... ये
वो बोली, भाड़ में जाओ , आईन्दा इंटरव्यू कि बात कि तो, ये शूज सीधे तुम्हारे सर पर पढ़ेंगे
सो सॉरी , वो नही मानती बहुत जिद्दी है
बी हर , ऑफ़ बनारस। ……। वो, पूछना था, कि तुम गुस्सा होती हो ,
तो, इतना ज्यादा क्यों होती हो,
कुछ दिमाग भी ठंडा रखा करो
वो, चलते चलते बोली। …तुम्हे नही समझता
ये कपडे जब हमेशा तीते tite होते है
तो, कुछ को गुस्सा आता ही है
bye dear ....come near.....
Wednesday 12 February 2014
bnaras ki byar: माफ़ क्र देना माफकर देना मेरी बैटन के लिए बातों ...
bnaras ki byar: माफ़ क्र देना
माफकर देना
मेरी बैटन के लिए
बातों ...: माफ़ क्र देना माफकर देना मेरी बैटन के लिए बातों के लिए शर्तों के शाररतों शरारतों के लिए ये सच है कि हमने तुझे बहुत सताया है कि...
माफकर देना
मेरी बैटन के लिए
बातों ...: माफ़ क्र देना माफकर देना मेरी बैटन के लिए बातों के लिए शर्तों के शाररतों शरारतों के लिए ये सच है कि हमने तुझे बहुत सताया है कि...
माफ़ कीजिये
आज बनारस कि बयार का साक्षात्कार है
उनसे पूछते है
जीनु, आप, ये जानु कहने पर इतना क्यों छिड़ती है
छिड़ती
ठीक है
अच्छा ये बताओ , बबुनी
तुम्हे रंगोली बनाना क्यों पसंद है
आप जानती है
जब आप रंगोली बनती है
तो, सब आपको ही देखते है
बबुनी, सब तुम्हे देखते है
रंगोली को देखे सो मुर्ख
जो, तुम्हारी जितनी सुन्दर कृति सामने हो तो कोई किसी को क्या देखेगा
आप खुद में एक सुन्दरतम रंगोली , मेरा मतलब रचना हो
ठीक, है पहले मुस्करा दो
फिर दिए जलाना
आज बनारस कि बयार का साक्षात्कार है
उनसे पूछते है
जीनु, आप, ये जानु कहने पर इतना क्यों छिड़ती है
छिड़ती
ठीक है
अच्छा ये बताओ , बबुनी
तुम्हे रंगोली बनाना क्यों पसंद है
आप जानती है
जब आप रंगोली बनती है
तो, सब आपको ही देखते है
बबुनी, सब तुम्हे देखते है
रंगोली को देखे सो मुर्ख
जो, तुम्हारी जितनी सुन्दर कृति सामने हो तो कोई किसी को क्या देखेगा
आप खुद में एक सुन्दरतम रंगोली , मेरा मतलब रचना हो
ठीक, है पहले मुस्करा दो
फिर दिए जलाना
Tuesday 11 February 2014
Monday 10 February 2014
एक
एक चिट्ठी बनारस कि बयार को लिखते है
पता है, कि न पता है , न डाकघर है
फिर भी चिट्ठी तो है
जो, शब्दो से नही लिखी जाती
सिर्फ दिल के जज्बात ही लिखते है
हर रात को, दिल कि बात को
ये बता , बनारस कि बयार
तुम कैसी हो ,
तुम्हारा बनारस कैसा है
गंगा कि लहरें कैसी है
ये जो तुम सारा दिन घर संवारने में लगी रहती हो
कुछ पल अपने को भी दे दो
दिल से इतनी बेरुखी कैसी। ………
शेष कल लिखेंगे। .............
ये जो तुम दिए जलाती हो
आँगन में सांझ में जलाना
बस , और तुम खाने से इतनी विरक्त क्यों हो
ठीक है , तुम्हारी बातें तुम जानो
जानु
जानू
ok kuchh glt ho, to thik kr lena
aur bhul nhi jaana ....kuch..
एक चिट्ठी बनारस कि बयार को लिखते है
पता है, कि न पता है , न डाकघर है
फिर भी चिट्ठी तो है
जो, शब्दो से नही लिखी जाती
सिर्फ दिल के जज्बात ही लिखते है
हर रात को, दिल कि बात को
ये बता , बनारस कि बयार
तुम कैसी हो ,
तुम्हारा बनारस कैसा है
गंगा कि लहरें कैसी है
ये जो तुम सारा दिन घर संवारने में लगी रहती हो
कुछ पल अपने को भी दे दो
दिल से इतनी बेरुखी कैसी। ………
शेष कल लिखेंगे। .............
ये जो तुम दिए जलाती हो
आँगन में सांझ में जलाना
बस , और तुम खाने से इतनी विरक्त क्यों हो
ठीक है , तुम्हारी बातें तुम जानो
जानु
जानू
ok kuchh glt ho, to thik kr lena
aur bhul nhi jaana ....kuch..
Sunday 9 February 2014
ये नवोढ़ा
ये दुल्हन
ये तेरे चन्द्रमा से मुखड़े को
छिपता ,
झिलमिलाता चिलमन
ये तेरे कटीले नैनों का
बांकपन
ये तेरी तिरछी चितवन
ये तेरे झुके नैन
ये तेरे कजरारे नयन
ये तेरी अधमुंदी पलके
ये तेरे रूप झलके झलके
ये कसमसाता मन
ये तेरी तेज तेज सांसे
ये तेरा पसीने से भीगा टन
हल्दी चन्दन से निखरा
तेरा कोरा बदन
सुघर सलोना निखरा सा
तेरा यौवन
ये दुल्हन
चिलमन हटा
जरा तेरा मुखड़ा तो दिखा
ये अपने हुस्न को
आँचल में छिपाना
तूने कन्हसे
तुमने कंहा से सिखा
ये तेरे आँखों का
तीखा तीखा सा अंजन
ये तेरा गोरा गोरा वदन
ये तेरा गुलाब सा खिलता। ………।
ये नीरज नयना
जरा नजरें तो उठा। ……।
कम्पित अधरों से।
ये दुल्हन
ये तेरे चन्द्रमा से मुखड़े को
छिपता ,
झिलमिलाता चिलमन
ये तेरे कटीले नैनों का
बांकपन
ये तेरी तिरछी चितवन
ये तेरे झुके नैन
ये तेरे कजरारे नयन
ये तेरी अधमुंदी पलके
ये तेरे रूप झलके झलके
ये कसमसाता मन
ये तेरी तेज तेज सांसे
ये तेरा पसीने से भीगा टन
हल्दी चन्दन से निखरा
तेरा कोरा बदन
सुघर सलोना निखरा सा
तेरा यौवन
ये दुल्हन
चिलमन हटा
जरा तेरा मुखड़ा तो दिखा
ये अपने हुस्न को
आँचल में छिपाना
तूने कन्हसे
तुमने कंहा से सिखा
ये तेरे आँखों का
तीखा तीखा सा अंजन
ये तेरा गोरा गोरा वदन
ये तेरा गुलाब सा खिलता। ………।
ये नीरज नयना
जरा नजरें तो उठा। ……।
कम्पित अधरों से।
Saturday 8 February 2014
o
o b anaras ki byar
जब भी मिलती है
कोई न कोई धमाल करती है
जेन क्यों
जाने क्यों निगाहों से
हजारों सवाल करती है
जब भी मुस्कराती है
वाकई कमल
वाकई कमाल करती है
जिससे भी मिलती है
उसे माला मॉल करती है
तू तो जन्नत कि पारी \
तुम तो जन्नत कि प्री
पारी परी है
हुस्ने जमाल करती है
ये नही बताती किअभी कि क्या मन ही मन ख्याल
ख्याल करती है
o b anaras ki byar
जब भी मिलती है
कोई न कोई धमाल करती है
जेन क्यों
जाने क्यों निगाहों से
हजारों सवाल करती है
जब भी मुस्कराती है
वाकई कमल
वाकई कमाल करती है
जिससे भी मिलती है
उसे माला मॉल करती है
तू तो जन्नत कि पारी \
तुम तो जन्नत कि प्री
पारी परी है
हुस्ने जमाल करती है
ये नही बताती किअभी कि क्या मन ही मन ख्याल
ख्याल करती है
Friday 7 February 2014
Thursday 6 February 2014
Wednesday 5 February 2014
Tuesday 4 February 2014
Monday 3 February 2014
bnaras ki byar: जबसेजबसे जबसे जब जब धरती पर बसंत आता है धरती ...
bnaras ki byar: जबसे
जबसे
जबसे
जब
जब धरती पर बसंत आता है
धरती ...: जबसे जबसे जबसे जब जब धरती पर बसंत आता है धरती कुछ अक्षांस घूमती है सूर्य कि किरणे धरा पर सीधी पढ़ने लगती है फूलों कि पंखड़ियाँ...
जबसे
जबसे
जब
जब धरती पर बसंत आता है
धरती ...: जबसे जबसे जबसे जब जब धरती पर बसंत आता है धरती कुछ अक्षांस घूमती है सूर्य कि किरणे धरा पर सीधी पढ़ने लगती है फूलों कि पंखड़ियाँ...
जबसे
जबसे
जबसे
जब
जब धरती पर बसंत आता है
धरती कुछ अक्षांस घूमती है
सूर्य कि किरणे धरा पर
सीधी पढ़ने लगती है
फूलों कि पंखड़ियाँ खिलती है
फागुन कि मस्ती हवाओं में घुलती है
पर मन चांदनी रातों में और ज्यादा उदास हो जाता है
जब मन चकोर ,अपनी प्रियतमा
चाँद के पास हो जाता है
वो, बीते लम्हों कि स्मृति में खो जाता है
जबसे
जबसे
जब
जब धरती पर बसंत आता है
धरती कुछ अक्षांस घूमती है
सूर्य कि किरणे धरा पर
सीधी पढ़ने लगती है
फूलों कि पंखड़ियाँ खिलती है
फागुन कि मस्ती हवाओं में घुलती है
पर मन चांदनी रातों में और ज्यादा उदास हो जाता है
जब मन चकोर ,अपनी प्रियतमा
चाँद के पास हो जाता है
वो, बीते लम्हों कि स्मृति में खो जाता है
Sunday 2 February 2014
प्रिये
प्रिये
फूलों कि तरह
खिलती कली सी मुस्कराओगी
नाजनीना
उसी पल मुझे
अपने तस्सवुर में पाओगी
ये तेरा रूप
सृंगार
जैसे कि हो कोई ऋतू
ऋतू बहार
ये सुन तो
तेरा दिया प्यार ही तो
मेरा मन भरमा रहा है
और क्या चईये मुझको
ऐसे उपहास क्यों करती हो
मेरे दिल को इस तरह से
उदास क्यों करती हो
ये मिस शुक्ला
कोई तेरे जैसा
आजतलक नही मिला
तुझे देखके
मेरा दिल
फूल सा है, खिला
जब जब तुम
घर के आँगन में
दिया जलाओगी
सच उसी लम्हा
मुझे अपने साथ पाओगी
ये गजगामिनी
मन भामिनी
ये जो आशिकों के दिलों को
कदमों तले ,
रौंदती हुयी
बांकी अदा से चलती हो
सच, बागों में फूल खिले न खिले
तुझे देखके
मेरे दिल कि कली खिलती है
ये न सोचना कि
तेरे बिन उदाश हूँ
चाहे कितनी भी दूर रहो
मई तेरे दिलके पास हूँ
बसंत के कितने रंग
ये चांदनी बदन
जितने खिले खिले , तेरे अंग
उतने रंग तेरे अंगों के संग
तुम तो मुस्कराकर
इतराकर
मुर्दों में भी
जान फूंका करती हो
ये तो फिर भी
मेरी लेखनी है
जो, तुम्हारे सन्निन्ध्य से
काव्य-वृस्ति क्र रही है
दिल दिल
दिल करता है
तेरे हाथों को चूम लू
जो, इस वक़त
मेरे कागज संभल रहे है
प्रिये
फूलों कि तरह
खिलती कली सी मुस्कराओगी
नाजनीना
उसी पल मुझे
अपने तस्सवुर में पाओगी
ये तेरा रूप
सृंगार
जैसे कि हो कोई ऋतू
ऋतू बहार
ये सुन तो
तेरा दिया प्यार ही तो
मेरा मन भरमा रहा है
और क्या चईये मुझको
ऐसे उपहास क्यों करती हो
मेरे दिल को इस तरह से
उदास क्यों करती हो
ये मिस शुक्ला
कोई तेरे जैसा
आजतलक नही मिला
तुझे देखके
मेरा दिल
फूल सा है, खिला
जब जब तुम
घर के आँगन में
दिया जलाओगी
सच उसी लम्हा
मुझे अपने साथ पाओगी
ये गजगामिनी
मन भामिनी
ये जो आशिकों के दिलों को
कदमों तले ,
रौंदती हुयी
बांकी अदा से चलती हो
सच, बागों में फूल खिले न खिले
तुझे देखके
मेरे दिल कि कली खिलती है
ये न सोचना कि
तेरे बिन उदाश हूँ
चाहे कितनी भी दूर रहो
मई तेरे दिलके पास हूँ
बसंत के कितने रंग
ये चांदनी बदन
जितने खिले खिले , तेरे अंग
उतने रंग तेरे अंगों के संग
तुम तो मुस्कराकर
इतराकर
मुर्दों में भी
जान फूंका करती हो
ये तो फिर भी
मेरी लेखनी है
जो, तुम्हारे सन्निन्ध्य से
काव्य-वृस्ति क्र रही है
दिल दिल
दिल करता है
तेरे हाथों को चूम लू
जो, इस वक़त
मेरे कागज संभल रहे है
Saturday 1 February 2014
रंग
रंग तो उतने ही है
किन्तु, तेरा साथ हमेशा
रंगो के संग न्य होता है
तेरा सन्निन्ध्य
रंगों में भी न्य रंग भरता है
क्यों
क्यों
क्यों ये लगता रहा कि
तुम हर लम्हा साथ हो
दिल के बहुत करीब
बहुत पास हो
जंहा सुनहरा रंग
असमान में बिखर रहा होगा
तारे झिलमिला रहे होंगे
चाँद चमक रहा होगा
सितारों के बिच
चांदनी में तुम मिलना
फूल कि तरह ज्योत्स्ना
तुम फिरसे खिलना
तुम्हारा
तुम्हारा ये चन्दन सा रंग
तुम्हारा केसर सा संग
जब तुम मुझसे दूर गयी तो
अपनी चुनर में बांधके
जो ले गयी
बांधके बहुत कुछ ले गयी
देखना उसे संभल के रखना
उनमे कंही मेरा दिल होगा
एकांत नीरव रातों कि
अपने आपसे बातों कि
तेरे सिवाय , फिर से
कोई वजह नही थी
सधस्नाता
सद्यस्नाता
ये जो भोर में
नहाकर
तुम डिवॉन को अर्ध्य देती हो
देवो को जल चढ़ाती हो
सच वो आकर मुझपर ही
तो, गिरता है
कैसे कह्दुन कि ख्वाबों में
तुझसे मुलाकाते नही होती
सबसे चुपके
चोरीसे बातें नही होती
रंग तो उतने ही है
किन्तु, तेरा साथ हमेशा
रंगो के संग न्य होता है
तेरा सन्निन्ध्य
रंगों में भी न्य रंग भरता है
क्यों
क्यों
क्यों ये लगता रहा कि
तुम हर लम्हा साथ हो
दिल के बहुत करीब
बहुत पास हो
जंहा सुनहरा रंग
असमान में बिखर रहा होगा
तारे झिलमिला रहे होंगे
चाँद चमक रहा होगा
सितारों के बिच
चांदनी में तुम मिलना
फूल कि तरह ज्योत्स्ना
तुम फिरसे खिलना
तुम्हारा
तुम्हारा ये चन्दन सा रंग
तुम्हारा केसर सा संग
जब तुम मुझसे दूर गयी तो
अपनी चुनर में बांधके
जो ले गयी
बांधके बहुत कुछ ले गयी
देखना उसे संभल के रखना
उनमे कंही मेरा दिल होगा
एकांत नीरव रातों कि
अपने आपसे बातों कि
तेरे सिवाय , फिर से
कोई वजह नही थी
सधस्नाता
सद्यस्नाता
ये जो भोर में
नहाकर
तुम डिवॉन को अर्ध्य देती हो
देवो को जल चढ़ाती हो
सच वो आकर मुझपर ही
तो, गिरता है
कैसे कह्दुन कि ख्वाबों में
तुझसे मुलाकाते नही होती
सबसे चुपके
चोरीसे बातें नही होती
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