Friday 21 March 2014

रम्भा ने  
रम्भा ने मन्नू को लिखा 
ये बलम परदेशी 
तेरी ऐसी कि टेसी 

सुनकर।  या पढ़कर 
मन्नू  को जो भी लगा 
ये उसके निजी अहसास है 
रम्भा कि चिट्ठी पाकर मन्नू और ज्यादा दीवाना हो गया 
किन्तु , होश में रहा 

गांव कि सारी लड़कियां ने उसे समझाया कि 
तुम डॉक्टर अर्चना सिंह को दिखाओ, 
वो, तुम्हे रम्भा जका दिल जितने के टोटके सिखाएगी 

बेचारा मन्नू क्लिनिक के सामने से डॉक्टर कू घूर घूर ताके 
तब, लड़कियों ने उसे सीधे भीतर ठेल दिया 

मन्नू जाकर सीधे अर्चना सिंह कि कुर्सी पर गिरा 
उसे लड़कियों ने ठेल जो दिया था 
अर्चना गुर्राई 
मेरे ऊपर गिरे हो ,जल्दी उठो 
मन्नू रहकर बोला 
तुम उठने नही दे राही हो, 
कैसे उठूँ 
आपने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया है 
अर्चना गुसे में आग होकर बोली 
ठहरो , अभी तुम्हे बताती हूँ 
तो, मन्नू  डरकर बोला 
सब तो , देख लिया है , और या 
और कितना बताओगी 
रम्भा ने गुस्से में जोर लगाकर उसे अपने ऊपर से हटाया 
और दो छांटें मारकर बोली 
आगे से ऐसी वैसी हरकत कि 
या , इधर नज़र भी आये 
तो, मुझसे बुरी कोई नही 
मन्नू खुदको बचते हुए बोला 
नमस्कार , अर्चना जी 
तुमसे बुरी कोई नही 
ये तो, सिर्फ मेरा दिल जनता है 
तबसे अर्चना ने अपना क्लिनिक गुप्त क्र लिया है 

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