Tuesday 25 March 2014

तुम्हारा सजसरीनगर ख़त्म नही होगा 
भले चुन्नू मिल्क-डेरी के लिए रोता रहे 
तुझे कंहा परवाह है 
चुन्नू कि हमेशा हंसते मुस्कराता 
सारे घर मोहल्ले का जी जो 
बहलाता है उसके भूख प्यास 
और शुशु करकर 
जो, थप थप जमीन पर करते रहता है 
फिर वंही नन्हे से हाथ 
मुम्ह में लगा लेता है 
आप सबको तो 
उसकी हरकतों पर मजे लेना है, बस 
चलो चुन्नू को 
उसका सामान दे दो 
जिसपर उसका नैसर्गिक हक़ है 

1 comment:

  1. kya krun, ye translation wale ka, sari esi tesi kr deta h, thik se nhi kr sakte

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