मन्नू नाराज रम्भा रानी के बिना व्याकुल रहा
बहुत दिमाग लगाकर एक कविता लिख मारी
लिखा क्या मन्नू ने
मन्नू ने कविता लिखी
रम्भा रानी ,
तेरे बिन दिल नही लगता
कभी तो एके मिल
अकेले में
फिर उसने सुधरकर लिखा
रम्भा रानी
तेरे बिन दिल नही लगता
कभी तो मिल अकेले में
ताऊ के तबेले में
आकर मिल
इसके
इसके बाद रम्भा ने मन्नू को ठीक से समझा दिया है
कि, ऐसी हरकत की तो, खैर नही
आशा है, मन्नू को भैंस कि अक्ल अ जायेगी
उसका दिमाग तबेले से बहार आ जायेगा
बहुत दिमाग लगाकर एक कविता लिख मारी
लिखा क्या मन्नू ने
मन्नू ने कविता लिखी
रम्भा रानी ,
तेरे बिन दिल नही लगता
कभी तो एके मिल
अकेले में
फिर उसने सुधरकर लिखा
रम्भा रानी
तेरे बिन दिल नही लगता
कभी तो मिल अकेले में
ताऊ के तबेले में
आकर मिल
इसके
इसके बाद रम्भा ने मन्नू को ठीक से समझा दिया है
कि, ऐसी हरकत की तो, खैर नही
आशा है, मन्नू को भैंस कि अक्ल अ जायेगी
उसका दिमाग तबेले से बहार आ जायेगा
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