इससे क्या फर्क पड़ता है कि तुम साथ नही हो
तुम साथ थी
घर में और जीवन में भी
इन सबसे क्या फर्क पड़ता है
कि तुम साथ नही हो
जैसे जन्दगी
बिना जीवन के हो
सांसे बिना धड़कन के हो
फिर भी जीवन
चल रहा है
क्या हुआ जो, तुम साथ नही हो
तुम साथ थी
घर में और जीवन में भी
इन सबसे क्या फर्क पड़ता है
कि तुम साथ नही हो
जैसे जन्दगी
बिना जीवन के हो
सांसे बिना धड़कन के हो
फिर भी जीवन
चल रहा है
क्या हुआ जो, तुम साथ नही हो
No comments:
Post a Comment