Friday 28 March 2014

vo
वो , तेरा धुंध 
वो, तेरा दुधमुंहा शिशु 
जो, तेरे जैसा दीखता है 
बिलकुल , तेरी तरह है 
जिसके होंठ , और मुख भी 
तेरी तरह है 
वो, तेरे जैसा ही मुस्कराता है 
तुझे देखकर हँसता है 
तेरी गोद में मचलता है 
उसके होंठों में 
दूध कि महक रहती है 
मुख में दूध लिप्त होता है 
जैसे कि, कान्हा 
दूध कि मटकी में 
हाथ दाल क्र 
माखन अपने अधरों 
में लपेटे हो 
उसकी दुधमुंही हंसी 
सरल और स्निग्ध 
उसकी चंचल ,
चपल , मनभावन हंसी 
और उसका मुट्ठियों में 
तेरी चुनर को 
लपेट क्र खींचना 
अरे, वो बावला 
तेरी तरह उधमची है 
क्या क्या बताऊं 
उसकी मुस्कराहट 
उसकी काजल रंगी आँखे 
भी, तो, तेरी तरह 
रशिली और 
चपल है 
आज इतना ही 

No comments:

Post a Comment