ये बनारस कि बयार
अबतो तरस खा
जिंदगी में फिरसे लौटके आजा
सच तेरे बिना सुना सुना है
मेरा जंहा
जंहा तेरे बिन होते है
सिर्फ उदाशी , और
मन वीरान
अबतो तरस खा
जिंदगी में फिरसे लौटके आजा
सच तेरे बिना सुना सुना है
मेरा जंहा
जंहा तेरे बिन होते है
सिर्फ उदाशी , और
मन वीरान
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