Wednesday, 18 December 2013

आज
आज मन कर रहा है 
कि तुझपर 
बेइंतहा कविता लिखू 
तू
तू बहुत अच्छी लगती है 
इसमें तेरा गुनाह नही 
पर गुरुर जरुर है 
तू, जो इस कदर 
अपने रूप के नशे में 
रहती मगरूर है 
जब भी
जब भी तुझपर लिखती हूँ 
दिल को बेहद तस्सली मिलती है 
जाने क्यों 

Tuesday, 17 December 2013

बहुत
बहुत याद अति हो 
बहुत याद आती हो 
जानेमन 
जब देखती हूँ 
जब दिखती है 
लड़कियां बस में कंही जाते हुए 
तो, यंही याद आता है 
कि, तुम भी अपने चुन्नू मुन्नू को गोद में लिए 
कंही से आ रही होगी घर के 
घर के कितने कम होंगे 
तब जेहन में 
बाकि कविता आराम से घर में लिखूंगी 
यंहा डिस्टर्ब है 

Saturday, 7 December 2013

पत्रकार --तुम क्या करते हो मन्नू-
मन्नू --हम दुल्हनिया को याद करता हूँ 
संध्या--चलो, तुमको, डैडी बुला रहे है 
डैडी--तुमने धोखे से मेरी बेटी को कैद किया था 
मन्नू को वो ब्न्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द करते है 
संध्या--ये लो, भट भकोस लो 
मन्नू---तुम नही जानती कि, ऐसा भात तो , हमारी भूरि भैसीन भी नही खा सकती, हम तो दुल्हनिया के हाथ का रंधा खुसभु वाला भात खाता हूँ 
मन्नू को जज के सामने लेट है 
एस पि --जज साहब इसने मेरी दलहन को जबरन कैद किया था 
मन्नू--नहीं जज साहब , देखो, दुल्हनिया से पूछो,हमारी सीधी जांघ पर कौनसा चिन्ह है 
एस पि --जज साहब, इसकी जीभ खींचने क्कि इज्जत दो 
मन्नू--आप तो, हमारी जान ले लो, दुल्हनिया कि खातिर दे देंगे 
एस पि --इसे फांसी कि सजा दीजिये 
जज --तुमने अपहरण किया है, इज्जत से खिलवाड़, तुम्हे सजा होगी, फांसी कि मन्नू को 
मन्नू को जज एसपी के हवाले करता है 
एसपी -तुम्हारी आखिरी इक्षा बता दो 
मन्नू--हम बस दुल्हनिया को, एक बार नज़र भरके देखील बा 
एसपी--ठीक है, दुल्हन को लाओ, वो हमारी दुल्हन है, फिर भी हम इज्जाजत देंगे 
मन्नू के सामने ज्योंही रम्भा को लेट है, उसकी टकटकी बांध जाती है, एसपी को बहुत उससे अत है 
एसपी --ऐसे लेकर जाओ, फांसी पर चढ़ा दो 
मन्नू को फांसी के तख्ते पर लाते है , सरे गाँव वाले आये है , सब रो रहे है 
पूजा---देखो, हमने तुमसे कभी कुछ नही मांगे, तुम एसपी साहब से हाथ जोड़कर कह दो, कि ये सब मजाक था, वो तुम्हे छोड़ देंगे 
मन्नू--नहीं, पूजा , हमको अपनी भूरि भैसीन कि चिंता है, तुम उसे जुगल बिटवा को दे देना, वो उसकी सेवा करेगा 
सब रोते है , गौर भौजी के पांव छूटा है, मन्नू 
मन्नू--सब गांव वलन से हम बीड़ा चाहत है, हमे माफ़ क्र देईल बा 
मन्नू को फांसी हो जाती है , तो रम्भा बेहोश हो जाती है 
मन्नू-कि समाधी पर सब फूल चढ़ाते है, तभी रम्भा आती है, एक दिया जलती है 
उसकी बिल्ली का बच्चा मन्नू कि समाधी पर उछल कूद  करता है 
मन्नू--कि समाधी से आवाज आती है--दुल्हनिया, खुश रहो 
सब चले जाते है, सिर्फ एक दिया 
ये लिख नही रही 
लिखने को खिंच रही हूँ 
किन्तु , अपने से ज्यादा 
मुझे अपनी नयी पीढी के लिए 
आशावादी लेखन पसंद है 

Friday, 6 December 2013

मन्नू का इंटरव्यू लेने एक पत्रकार अत है 
पत्रकार --आप सारा दिन क्या करते है 
मन्नू-अपनी दुल्हनिया को याद करते है 
पत्रकार-और 
मन्नू--और सबकॉम जो सब करते है, वो निपट क्र अपनी भैसीन कि सेवा जातां करते है 
पत्रकार--और कुछ नही 
मन्नू-जाओ, दिमाग मत खाओ, जो मन में आये लिख दो, हमे दुल्हनिया कि याद आ रही है, बात करने दो 
मन्नू (मोबाइल पर )हलो, दुल्हनिया क्या क्र रही हो 
रम्भा(मोबाइल पर)-बच्चे को दूध पिला रही हूँ 
मन्नू(घबराकर )देखो, अभी तो,९ दिन भी नही हुए, बच्चा भी क्र ली 
रम्भा--नही, ये बिल्ली का बच्चा है , हमने पली है 
मननु --हम तुम्से मिलने शहर आ रहा हूँ 
मन्नू शहर जाता है 
रम्भा कि कामवाली संध्या --हु, आर यु 
मन्नू --ज्यादा अंग्रेजी मत झाड़ो 
संध्या--तुम तो गंवार हो, अंग्रेजी नही जानते 
मन्नू--क्यों, जो अंग्रेजी वाले हिंदी नही जानते ,उन्हें तो हम गंवार नही कहते  फिर तुम इतना जुल्म कहे क्र रही हो , हटो, हमको अपनी दुल्हनिया का मुख देखने दो 

Thursday, 5 December 2013

रम्भा कि सखियाँ अति है 
रम्भा के घर उससे मिलने सहेलियां अति है 
सहेलियां-- कर रहे है 
मन्नू-सुहाग दिन मना रहा हूँ , देखो , डिस्टर्ब मत करना , मई आम तोड़ने नही आउंगा 
लाड़ली-जीजू।  आभी आम का मौसम है, क्या 
मन्नू--तुम्हारा कछु भरोषा नही , तुम कोई भी मौसम मना सकती हो 
पूजा--अभी तो रम्भा भौजी के प्यार का मौसम है 
सहेली- ये लो, रम्भा जी के डैडी ला लेटर 
मन्नू-ये क्या होता है 
लाड़ली--ये माँ के पति को, शहर में डैडी कहते है 
रम्भा (चिट्ठी पढ़ते हुए )ओ रे सजनवा, हमको तो,अपने शहर जाना होगा 
मन्नू--नही , श्यामल गोरी , हम  नही जी सकता हूँ 
रम्भा--देखो , रधिया आकर भात राँधके जायेगी, दोनों वक़त भकोस भकोस के खा लेना , हमे जाने दो ,
मन्नू --तो , प्रॉमिस करो, कि रोज एक पत्र  लिखोगी 
लाड़ली--हांजी , मई वो तुम्हारे प्रेम-पात्र  पढ़के सुनाऊँगी 
रम्भा जब मायके जाती है , तो मन्नू एक पेड़ के तने को पकड़ क्र जोरों से रोता है 
मन्नू-सजनी , जल्दी आना, गाँव के प्रेमी को भूल न जाना 
सहेलियां गाती है --जाते हो परदेश पिया ,जाते ही ख़त लिखना ,……। 
मन्नू चुटिया पहने डंडे में लोटा टाँगे अर्चना सिंग के घर जाता है 
बहार लिखा पढता है, अर्चना सिंह का सुहाग रात कोचिंग सेंटर 
मन्नू(डरते डरते )-क्या सिंहनी जी है 
भीतर से आवाज अति है --बाहर से मेमने कि तरह कहे रीिरया राहे हो, मन्नू जीजू, आ जाओ, बेधड़क 
मन्नू डरते डरते -ये कुर्सी में बैठ जांए 
अर्चना-वंही भैठेंगे, नही तो क्या हमारी गोद में विराजेंगे 
मन्नू--नही जी, हम इतना किस्मत वाला कंहा हूँ 
अर्चना---हूँ, बताईये, क्या प्रॉब्लम आ रही है, सुहागरात में, हाँ, कोई ऐसी वैसी प्रॉब्लम हो, तो मेरे मंगेतर डॉ राणा से मिलो 
मन्नू-हाँ, हम तो जानते है 
अर्चना--(चिढ़कर)जब जानते है, तो यंहा क्या मेरी शक्ल देखने ए है 
मन्नू(झिझक क्र जोरसे)हाँ, जी हमने स्टेशन पर पढ़ा था, नामर्द डॉ राणा से मिले 
अर्चना--ओ, जीजू, उनकी प्रॉब्लम कि नही आपकी बात हो रही है, बताओ, बेधड़क 
मन्नू(थूक गिटकते हुए )जी, वो हमको, रम्भा से बहुत दर लगता है 
अर्चना सुनकर सीधे उठकर मन्नू कि गोद में आ बैठती है 
मन्नू--ये आप क्या क्र रही है 
अर्चना--अभी कुछ नही किया है, और करना है कहते  हुए वो मन्नू कि पप्पी ले लेती है 
मन्नू(पीछे हटते हुए) देखिये आप आगे ज्यादा मत बढ़िए , मई गिर जाउंगा , हाँ 
अर्चना--(दूसरी पप्पी लेकर)जीजू, आप कितने नादाँ हो, सच रम्भा दी, बहुत भाग वाली है , आप एकदम फिट हो, जीजू, १००% पास हो 
मन्नू -तो, जाऊं 
अर्चना--अरे, फ़ीस तो देते जाओ 
मन्नू--वो, आप अपनी दी से ले लीजिये , हम जाता हूँ 
अर्चना -मोबाइल पर)रम्भा दी, जीजू आ रहे है, मैंने उन्हें फूल ट्रैनिंग दे दी है 
मन्नू-घर पहुँच क्र)हम रम्भा को अपना जूठा मुख कैसे दिखाऊंगा 
रम्भा के पास जाकर वो बिस्तर पर जाते ही सो जाते है , सुबह नींद खुलती है तो, रम्भा क सोफे पर सोते देख घबरा जाता है 
मन्नू-हमको, आज माफ़ी दे दो, हम बिना सुहागरात मनाये बिना सो गया 
रम्भा -ठीक है, जरा अपनी शक्ल आईने में देखो 
मन्नू दर्पण में देखता है, कि उसके चेहरे पर रम्भा कि लिपस्टिक के निशान नजर आते है 
मन्नू--तो क्या सब होई गया , हमे जुठार दी हो 
सभी सहेलियां बहार से भीतर आकर हंसती है 
लाड़ली--जीजू, ये नशे कि गोली का कमल था, जो हमने भूरि भैसीन के दुधवा में घोलकर दी थी 
मन्नू सर चकरा क्र वंही गिर जाता है 
मन्नू डरा डरा भागते हुए गौर भौजी के कक्ष में आता है और  पलंग के निचे छिप जाता है 
गौरा भौजी --ये क्या क्र रहे हो, आज तो तुम्हे दुल्हनिया के साथ होना चाहिए 
मन्नू(हाथ जोड़ क्र )भौजी, हमको बचा लो, वो रम्भा आज ही हमारी आबरू लेना चाहती है 
भौजी -हूँ, तो 
मन्नू--भौजी, वो हम भूरि भैसीन का दूध एक महीना मुफत में दूंगा , आप मुझे सुहाग-रात मनाने के गुर सिखा दो 
गौरा भौजी --हूँ, हमे तुम्हारी प्राब्लम कुछ कुछ समझ आ गयी है , तुम ऐसा करो, एक टुटरनी कि मदद लो 
गौरा (उसे एक चुटिया वाला विग देती है, एक डंडा व् एक लोटा भी देती है 
गौरा- ये लो, चुटिया पहनो, डंडा पर लोटा लटकाओ,और निकल जाओ, गंगा के किनारे 
मन्नू--(प्रणाम भौजी , हम जाता हूँ,और कछु  वो तुतरनी कौन है 
गौरा (एक कागज देकर)ये लो उसका नाम है, अर्चना सिंह, बहुत पहुची हुयी है, वो तुमको, सुहागरात और दिन सबके हुनर सिखा देगी 
मन्नू प्रणाम क्र निकल जाता है 
सर पर चुटिया पहने डंडे पर लोटा लटकाये वो गंगा के तट पर धुनि रमा लेता है 
एक डाकिया उसे रम्भा कि चिठ्ठी लाकर देता है 
मन्नू--देखता हूँ, क्या लिखती है, कि बिना सुहागरात मनाये तो, विधवा जैसे जी रही हूँ , ये नंबर दे रही, जरा भी शर्म लाज बची हो, तो मुझे मोबिल करना 
मन्नू-वह का बात है, अभी करता हूँ 
मन्नू--हलो, सुनो, हम मन्नू बोल रहा हूँ,
रम्भा--तो बोलो न, रुक कहे गये , हमे तो, आपकी आवाज सुनकर ही ,कुछ कुछ होता है 
मन्नू--कुछ कुछ होता है, तो देखो घर में कुछ कुछ हो, तो खुद ही कुछ कुछ क्र लो 
सुनकर रम्भा मोबिल फेंक देती है 
मन्नू  फिर छिप जाता है 
मन्नू-कसम, भूरि भैसीन कि, हम आज अपनी इज्जत नही लुटाऊंगा 
रम्भा कि सखियाँ उसे पकड़कर एक कक्ष में ठेल देती है 
वंहा रम्भा एक सोफे पर बैठी है , सामने एक चारपाई भर है , जिसपर सिर्फ चादर बिछी है 
मन्नू--हूँ , ये क्या माजरा है , रानी जी 
रम्भा (अंगड़ाई लेकर)--मुझे क्या पता , सुहागरात तुम्हारी है कि, मेरी है 
मन्नू--देखो, ज्यादा ऐंठो मत , मई पहली बार शादी किया हूँ, मुझे क्या पता , सुहाग रात कैसे मनाते है 
रम्भा--हूँ, बात में तो दम है, तुम कोचिंग क्यूँ नही ले लेते 
सहेलियां जो परदे के पीछे छिपी है , चिढ़ाती है --सोच लो , पूरी दुनिया कहेगी, कि मन्नू जीजू नकारा रहे होंगे 
मन्नू--देखो,ज्यादा तैस मत दिलाओ,
मन्नू चारपाई के पास आकर --हूँ, मामला टेड़ा लगता है , सुहाग-रात , और ये टूटी खाट 
मन्नू(रम्भा को बाँहों  में उठाकर )--इधर आओ , रानी जी, हम अभी टेस्ट करते है 
मन्नू रम्भा को उठाकर खाटपर ज्योंही जोर से डालता है,खाट टूट जाती है 
रम्भा (चीखकर)ओ , मेरी कमर का कचूमर निकल दिया 
रम्भा कि सारी सहेलियां परदे के पीछे से निकलकर उसे बहुत मारती है 
सहेलियां -पहली रात में ही मार डाला 
मन्नू--भागो, जान बचेगी तो मना लूंगा , सुहाग-रात 
मन्नू के भागते ही सारी सखियाँ हंसती है 
लाड़ली---उठो, रम्भा रानी जी, लगा तो नही 
रम्भा-नही , ये तकिया जो, कमर में बंधा था , बच गयी 
पूजा--वरना, ये लाड़ली के तो, नेचुरल सोफा होता है, उसे नही लगता , कभी खेत में 
सभी हंसती है, लाड़ली गुस्से में चली जाती है 

Tuesday, 3 December 2013

बनारस कि बयार 
भूलचूक माफ़ कीजिये 
और अब लव लेटर का मजा लीजिये 
जो,मन्नू रम्भा को लिखता है 
क्योंकि,बिना लव लेटर के कोई प्रेम कहानी पूरी  नही होती 
रम्भा 
रम्भा कि सखिया, नाचते हुए बारात में अति है , ले जायेंगे, दिलवाली , दुल्हे को ले जायेंगे 
रम्भा कि बारात अब मन्नू के द्वार पर अति है 
मन्नू-मुझे बहुत शर्म आ रही है, रम्भा से ज्यादा तो उसकी उधमी सहेलियों से डरता हूँ 
देवू चाचा मन्नू का वरदान करते है 
मन्नू कि बिदाई में गाना होता है , सुनो ससुर जी , अब जिद छोडो 
मनु 
मन्नू कि बिदाई होती है 
वो देवू चाचा के गले लगकर बहुत रोता है 
गाना बजता है , बाबुल कि दुआए लेता जा 
मन्नू को रम्भा अपने रूम पर ले जाती है 
मन्नू दोस्तों के बिच छिप जाता है 
मन्नू - दोस्तों आज मेरी इज्जत बचा लो , पहली रत को मई लूटना नही चाहता 
रम्भा अति है --यंहा छिपने से नही होगा , मेरे पांव कौन दबायेगा , मुझे नींद नही आती 
मन्नू-तुम्हारे साथ एक ही कमरे में रहते मुझे दर लगता है , आज रात मेरी इज्जत मत लूटना 

मन्नू -रूठ गयी है , अब उसे मनाने का जातां करता हूँ 
मन्नू बाबाजी बनकर जाता है , रम्भा के रूम में 
मन्नू-कोई है रम्भा 
रम्भा कि सहेली अति है, संध्या 
संध्या -कौन है 
मन्नू--कहो कि, तोतलानी बाबाजी आ ए है 
संध्या(ध्यान से देखकर)--ठीक है ,पर तुम तोतला क्र दिखाओ 
मन्नू सीधे अंदर जाता है , सामने रम्भा लिपस्टिक लगा रही है 
मन्नू जो बाबाजी बना है --सुंदरी , ऐसा मत करो ,तुम्हारे  लिपस्टिक लगाने से सारा डिस्टिक हिलता है 
रम्भा-आप हमे हमारा भविष्य बताओ 
मन्नू (रम्भा का हाथ हाथ में लेकर )-बहुत मुलायम भविष्य है, आपका 
रम्भा(हाथ खीचते हुए)जल्दी 
मन्नू-सुंदरी , सुनो, आपका होने वाला पति बहुत अनुराग वाला होगा 
रम्भा-ये क्या होता है 
मन्नू(सोचते हुए)वो सुहागरात कि फूल ग्यारंटी वाला पति होता है 
रम्भा उसका विग खींचके बहुत मारती है 
मन्नू 
मन्नू 
मन्नू रम्भा को उठाये दौड़ते जाता है 
फिर उसे उतर देता है 
लड़कियां -क्यों , तुमने उसे छुआ तो नही 
रम्भा -नही उसने हमे नही छुआ , वो सिर्फ हमे उठाकर दौड़ रहा था 
मन्नू- ये सब आपकी सहेलियां बेकार शक़ करती है 
लड़कियां इस पर उसे बहुत मारती है 
मन्नू बेहोश हो जाता है , तो लड़कियन घबरा जाती है 
लाड़ली-अरे , इसे होश में लो 
पूजा- रुको , हम लती है ,(जोरो से)रम्भा कि शादी देवदास से जुड़ गयी है 
मन्नू-(होश में आकर) नही, वो तो बहुत बूढ़े है, देवू चाचा 
पूजा-नही, वो ये है 
पूजा उसे एक फ़ोटो दिखती है 
मन्नू-लेकिन, ये तो हम है 
पूजा-हाँ, तुमसे ही शायद , तुम्हारी माँ ने बचपन में ही जोड़ दी थी 
मन्नू-ठीक है , हमे शर्म अति है , ऐसी बैटन से 
मन्नू जेन लगता है 
लड़कियां-अरे, किधर चले 
मन्नू-देखो, भूरि भैसीन कि कसम , हमे रम्भा जी से बहुत शर्म अति है 
लड़कियां-मगर, ऐसे से तो , तुम कैसे कम करोगे  उसके साथ जिंदगी करनी है 
मन्नू-हम कम धंधा सिखने जाता हूँ, 
मन्नू जाकर फोटोग्राफर से फ़ोटो खींचना सीखता है 
मन्नू-भैया , क्या हम इससे अपनी भूरि भैसीन कि फ़ोटो खिन्ह सकते है 
फोटोवाला -हाँ, तुम इससे अपनी होनेवाली कि फ़ोटो खींचो , हमने समझा दिए है 
मन्नू-हम तुमको, एक महीने तक , दुधवा मुफत देंगे, ये केमरा हमे दे दो 
मन्नू रम्भा को बगीचे में लाता है 
मन्नू-देखो, तुम वो फूलन के बिच बैठो, हग्गिंग पोज में 
रम्भा इसपर नाराज होकर उसका केमरा छीन लेती है 
मन्नू-हमने का गलत कहे, फूलन के बिच में हग्गिंग पोज में बैठेगी , तो कितनी प्यारी लगेगी, हमारा यंही मतबल था 

Monday, 2 December 2013

मन्नू अंग्रेजी सिखने कि जी जन से कोशिश क्र रहा है 
मन्नू रत याद कर रहा है 
मन्नू-एस यानि गधा 
भैंस यानि बफेलो 
डुंग यानि गोबर 
हग यानि गले मिलना 
मन्नू -(किताब फेंक कर )छि , सब गंदा कर दिया , ये क्या क्या सिखाते है 
रम्भा-क्या यद् नही करोगे, तो यु डिसमिस 
मन्नू--जब देखो किस किस , हमे अंग्रेजी नही सीखनी 
रम्भा--तब तो स्वम्ब्र होगा, पप्पू के साथ तुम्हारी लड़ाई होगी 
मन्नू-ठीक है 
यंहा मन्नू व् पप्पू कि लड़ाई होती है 
घोड़े पर सर कि तरफ से चढ़ते हुए मन्नू गिर जाता है 
घोडा उसे सर से उठाकर रम्भा के पांव में गिरा देता है 
मन्नू--कमर तोड़ डाली, वैसे सही जगह फेंका ह, शाबाश , मेरे टट्टू 
लाड़ली उसे उठाकर --तुम हर चुके हो , अब तुम्हारी रम्भा जी से सगाई नही हो सकती( वो सब चली जाती है )
मन्नू-सुना, कल कहलवाती का स्वम्बर है, आप सब आईये 
अगले दिन सब आते है , सभी गांव के है, रम्भा भी है 
मन्नू  कहलवाती बनके आता है 
मन्नू(सोचते हुए)-ये तो टट्टू वाला पप्पू है, इसे नही , जगमोहन, ये तो मेरा सौता है , ये भी नही 
मन्नू जो कहलवाती बना है, कितने तरह से मुंह बनाकर सबको देखता है 
मन्नू-रम्भा के सामने अत है 
रम्भा(डरकर )नही, मई मर जाउंगी, कहलवाती मुझे बख्श दो 
मन्नू--बीबीजी, आपको ही। ……(कहकर वो तेजी से रम्भा के गले में माला दल देता है ,रम्भा उठकर गुस्से में हर तोड़ देती है 
सबमिलकर मन्नू को मरती है, तो मन्नू रम्भा को उठाकर दौड़  लेता है 
रम्भा-मुझे उतरो 
मन्नू-(सुस्ताते हुए)ये लो… मन्नू ज्योंही रम्भा को उतरता है, रम्भा उसे देखकर बेहोश हो जाती है 
साडी लड़कियां आकर मन्नू को खूब मरती है 
और रम्भा को होश में लाती  है 

Friday, 29 November 2013

 मन्नू
मन्नू 
मन्नू -भैया , किताब ऐसी हो कि, उससे अंग्रेजी में ही इशक़ करना आ जाये 
किताबवाले-(ढूंढ़कर देते हुए )ये ले जाओ, आप उसे अंग्रेजी में प्रेस क्र सकते हो 
मन्नू--ठीक है, भैया, ये हिंदी में है तो , हम अंग्रेजी सिख लेंगे , तुम अपना बर्तन दरवाजे पर   रख देना , हम भूरि भैसीन का  ऋचा के जायेंगे 
मन्नू  एक आम के पेड़ के निचे बैठ  क्र हिंदी में अंग्रेजी सिख रहा है ,
मन्नू- मांगो तो आम 
रस्ते से लाड़ली जा रही है , ये सुनकर उसे बहुत मारती है 
मन्नू-ठीक से देखता हूँ , मेंगो 
पूजा उसे एक आम फेंक क्र मारती है 
मन्नू-ठीक है , अभी जाकर रम्भा जी को लव कहता हूँ, वो एकदम से प्रेस हो जायेगी 
पूजा --रम्भा रही है 
मन्नू -(हड़बड़ाकर )कंहा रम्भा रही है 
पूजा --हमारी काऊ 
मन्नू- यु जाऊ , यंहा से भाग 
किन्तु वो सब नही जाती तो , मन्नू ही चले जाता है 
पूजा उससे किताब  छीन लेती है 
 मन्नू 
मन्नू -
मन्नू -भैया , एक अंग्रेजी सिखने कि हिंदी वाली किताब दो, एकदम फटका , फाटाका अंग्रेजी फटाफट सीखनी है 
किताबवाले -भैया ये ले जाओ , इश्मे अंग्रेजी में इश्क़  
मन्नू -आप उस जगमोहन को चाहती हो , उसमे क्या है, एक फूंक से उड़ जाये 
रम्भा-तुम तो बिलकुल गधे हो, तुम्हे कुछ नही पता , कि वो मेरे दिल में रहते है 
मन्नू-- वो, तो  गधा है , आप नही जानती, ये मन्नू ने भूरि भैसीन के दुधवा बेचके उसे पढ़ाया लिखाया ,
रम्भा --मुझे कुछ नही पता, वो मेरे देवता है (शरमाते हुए ))मेरा प्यार है 
मन्नू- प्यार व्यार नही पता,  किन्तु,क्या मई अंग्रेजी सिखु तो, आप मुझे चाहोगी 
रम्भा (उसे घूरकर देखते हुए )-नही , हरगिज नही 
मन्नू -ये घूरकर  हो, क्या ये नही जानती कि,    

Wednesday, 27 November 2013

मन्नू-आप जगमोहन को ही क्यों चाहती ह, मन्नू में क्या कमी है 
रम्भा-तुम में कमी ही कमी ह, जगमोहन अंग्रेजी के प्रोफेसर है, तुम तो अंग्रेजी के गधे हो 
मन्नू- मई अभी अंग्रेजी सिख क्र आउंगा 

Monday, 25 November 2013

ये तेरा जलवा 
गाजर का हलवा 

Saturday, 23 November 2013

बहुत अच्छी हो 
आप बहुत अच्छी हो 
u rain
itum 
itum bum
itum bum 
से कम हो क्या 
मुझे भी चिढ़ाना आता  है 
तुम्हारा 
तेरा तस्सवुर 
और तेरा गुरुर 
दोनों है जरुर 
तेरा तस्वुर 
और तेरा गरूर 
दोनों है , जरुर 
मन्नू जो कि कहलवाती  बना   है 
मन्नू --बीबीजी आप जगमोहन को  क्यों चाहती हो , मन्नू को चाहो न 
रम्भा-क्यों , मन्नू को क्यों 
मन्नू --इशलिये कि, वो सारे गाँव कि भैंस दोहता है 
रम्भा-भैस मीन्स 
मन्नू --वो बुफेलो 
रम्भा --ओ , बफेलो , दोहता , मुझे नही पता , तुम क्या कहती हो , चलो भाग जाओ 
मन्नू --तालाब में कूद जाता है 
और वो जब निकल जाता है तो, वो मन्नू बनके बहार आता है 
रम्भा --तुम, तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुयी , ,how dare u
mannu -डर ही तो रहे है , ठीक है घर चलो 
रम्भा नही मानती तो, वो उसे उठाके घर पहुंचाता है 
मन्नू -ये हो गयी , हमारी duty 
रम्भा अंग्रेजी में मन्नू को बहुत गली देती है 
मन्नू -जितनी भी दो , मुझे नही लगनी , तुम्हारी गालियां 

Wednesday, 20 November 2013

ye , jute bandh dungi , vada kro, ki hnste muskrate aaogi, mere ghutne pr panv rakhkr shoes bndhwane

one
one two bucle my shoe
यदि तुम चाहो तो 
यह भी क्र दूंगी 
याद रखना 
तुम्हारे शुस बांध दूंगी 
किन्तु वादा  करो , कि 
हंसते मुस्कराते आओगी 
मेरे से शूज बंधवाने 
सच, वो दिन मुझे बहुत ख़ुशी मिलेगी 
जिसदिन तुम शूज बन्धवाओगी 
याद रखना , भूल न जाना   

Tuesday, 19 November 2013

एतबार मत करना 
मुझपर एतबार मत करना 
kahani ka koi sira to 
कहानी का कोई सिर तो हाथ आये 
आज तो सब कुछ भूल रही हूँ 
किन्तु, लिखूंगी जरुर 
यद् मत 
यायद 
याद मत कीजिये 
आपका बश न हो दिल पर अपने 
तो, क्यों किसी से फरियाद कीजिये 
याद मत कीजिये 
पर कोई याद आये तब भी 
याद मत कीजिये 
जंहा
जंहा तुम्हारे कदम 
वंही मेरा मन 
सहरा सहरा 
गुलसन गुलसन 
जंहा तुम्हारे कदम 
वंहा मेरा मन 
सहरा सहरा
सहरा सहरा 
गुलसन गुलसन 
जंहा तुम हो 
वंही मेरा मन 
पता नही कि क्या लिखना है 
फिरभी लिखना तो होगा 
जिंदगी को आप नही समझेंगे 
कभी न खुद को जानेंगे 
दूसरे को तो, कभी नही जन सकते 

Saturday, 16 November 2013

रम्भा 
रम्भा 
रम्भा को बाँहों में उठाये , मन्नू बहुत दूर तक दौड़ता जाता है 
फिर वो एक झटके में उसे उतर देता है 
रम्भागुस्सा होकर )-कहलवाती , तुम मुझे गिरा डौगी 
मन्नू अपनी ड्रेस ठीक करते हुए)-बीबीजी, तुम्हे तो, सिर्फ अपनी ही फ़िक्र रहती ह, मुझे बाकि कि भी अपने भीतर परवाह करनी होती है 
रम्भा गुस्सा होकर)-तुमने मुझे, जेम्स से दूर क्यों लायी 
मन्नू-वो, जगमोहन, मेरा सौता। … 
रम्भा अस्चर्य से)--ये क्या होता है कहलवाती 
मन्नू बनते हुए )ये मत पूछो, बहुत दिल जलता है , वो क्या है कि, आप उसे चाहती है , और मई आपको तो 
वो मेरा सौता हुवा
रम्भा--मुझे भी सौति बना लो 
मन्नन्ननउ --वो तो आप पूजा कि बन गयी है 
रम्भा --ये पूजा कौन है 
मन्नन्नु -मत पूछो, बीबी जी , उसके बिना नही कोई दूजा , बहुत अच्छी है, आप उसे अपनी सौति बना लो 
रम्भा खुश होकर )- सच , पर कैसे 
मन्नू उसके कण के प् मुख ले जाकर )-वो किसी से कहना नही , आप सिर्फ मन्नू को चाहो, तो 
रम्भा--क्या , नही 

Friday, 15 November 2013

तुम्हारी हाँ में छिपा है 
मेरी जिंदगी का फलसफा 
नाराज मत होना कभी 
तुम जो चाहो , वंही होगा , हमेशा 
अब तो मुस्करा दो 
देखो
देखो जो तुम चाहो वंही होगा 
इतना गुस्सा क्यों करती हो 
क्या बात हो गयी 
मैंने जो लिखी थी 
गलत था, तो नही लिखूनी 
कभी नही लिखूंगी 
आब तो गुस्सा त्याग दो 
फिर क्या हुवा , ये कल लिखूंगी 

Thursday, 14 November 2013

मन्नू और रम्भा रस्ते से जा रहे है 
मन्नू कहलवाती बना है 
रम्भा --कहलवाती , सो सेड , तब  देवू चाचा कैसे पेट भरते है 
मननु , वो रस्ते से घर जाते है , अपने घर के सामने जाकर कहते है ,           पारो ,        

Wednesday, 13 November 2013

bnaras ki byar:  लिख रही हूँ  नही ,   ये कलावती मन्नू बना है उसक...

bnaras ki byar:  लिख रही हूँ  नही ,
 ये कलावती मन्नू बना है
उसक...
:  लिख रही हूँ  नही ,    ये कलावती मन्नू बना है  उसकी रम्भा से  रही है, वो रस्ते में है  कल लिखती  आज सिंडी ने मेरी  जान खा लिया , मोबाइल...
 लिख रही हूँ  नही ,  
 ये कलावती मन्नू बना है 
उसकी रम्भा से  रही है, वो रस्ते में है 
कल लिखती 
आज सिंडी ने मेरी  जान खा लिया , मोबाइल के मारे 

Monday, 11 November 2013

मन्नू जो कि कहलवाती बना है , रम्भा के साथ गांव में जगमोहन के घर जा रहा है 
रस्ते में एक वृद्ध मिलते है ,जो लकड़ी रखकर जा रहे है 
रम्भा--सो साद , उन्हें क्या दीखता नही 
मन्नू ,जो कहलवाती बना है ---वो अंधे नही , प्यार में अंधे है 
रम्भा---बुत व्हाई, वो तो बूढ़े है 
मन्नू--अरे, बड़े चालू है, कोई बूढ़े नही है बनते हऐ , वो अंधे बनने का नाटक करते है तो , लड़कियां उन्हें सड़क पर करती है , तो वो उनके कंधे    पर हाथ रख लेते है, सच मुझे उनसे जलन होती है 
रम्भा---ये लो मई तुम्हारे कंधे पर हाथ रख लेती हूँ, पर तुम जलो मत 
मन्नन्नन्नु--बीबी जी, तब तो पूरी आग लग जायेगी 
रम्भा --ऐसा मत कहो , मुझे आग पसंद नही 
मन्नू---बीबी जी पानी पसंद है 
रम्भा--आई डोंट नो , जल्दी उनकी स्टोरी बताओ 
मन्नू--बता रही हूँ न, वो आप उसमे ज्यादा रूचि मत लीजिये , मुझे जलन होती है 
रम्भा --जल्दी बताओ 
मन्नू- बता, रहा,
रम्भा-रहा 
मन्नू -नही बीबी जी, आप इतना लती मत निकालो , वो देवू चाचा है , रोज एक लकड़ी लेकर निकल जाते है , और गांव भर में ये कहते हुए घूमते है , कि पारो,  मुझे जूट मारो , जूते  मआरो 
रम्भा- फिर 
मन्नू ---
शेष संवाद कल 
रम्भा --ये कलावती चलो , जगमोहन भैया के यंहा 
मन्नू जो कि कहलवाती बना है -वो आपके भैया कैसे 
रम्भा (शर्मा क्र )--वो राज कि बात है , जब वो मेरेघर आते है तो ,मई उन्हें सैंया मानती हूँ , जब उनके घर जाती हूँ , तो उन्हें भैया कहती हूँ , ये मेरा सेफ्टी कार्नर है 
मन्नू --ओ 
रम्भा--यु नो , कहलवाती , वो कितना सोबर है 
मन्नू -क्या कह रही हो , गोबर 
रम्भा (चौंक क्र )वेयर इस बार 
मन्नू (हाथ पकड़ क्र )-चलो बहार 
रम्भा--यु आर सो क्यूट 
मन्नू ---तो पप्पी ले लो न 
रम्भा--उ , आ 
मन्नू (मुंख छिपकर )-मुझे शर्म अति है , बीबी जी 

दोनों बाहर निकलते है 
नेक्स्ट शॉट 

Saturday, 9 November 2013

 रहा लिखने का  
लिखने का तो रखा है 
किन्तु क्रम  है तो फिर लिखना मुश्किल होता है 
लिखने को तो बहुत है
किन्तु मन टूट सा जाता है 

Friday, 8 November 2013

kya problum

रम्भा -ये कलावती , चलो, जगमोहन भैया के घर 
मन्नू   --जोकि कलावती )--  ये ,  भैया  कैसे हुए , यंहा तो    

Tuesday, 5 November 2013

bnaras ki byar: मन जैसे  मन जैसे पानी हो गया गुड धानी हो गया कं...

bnaras ki byar: मन जैसे
मन जैसे पानी हो गया
गुड धानी हो गया
कं...
: मन जैसे   मन जैसे पानी हो गया  गुड धानी हो गया  कंही न तो, रुकता है           न ठहरता है  न बहलता है  मन जैसे आकाश का  पखेरू हो गया...
मन जैसे  
मन जैसे पानी हो गया 
गुड धानी हो गया 
कंही न तो,
रुकता है          
न ठहरता है 
न बहलता है 
मन जैसे आकाश का 
पखेरू हो गया है 
उड़ता रहता है 
बहता रहता है 
जब   लिखने में ब्रेक होता है 
तो, बहुत चिढ़ती हूँ 
आदत है, कि लिखने के बिच ब्रेक न हो वर्ण सारा लिखना रुक जाता है 
समझे 
मई जान गयी हु , कि ज्यादा लिखना पागलपन है 

ये कहानी आगे बढ़ानी है 
मन्नू रम्भा का दिल जित लेता है 

Saturday, 2 November 2013

मन्नू --क्या वो बिलोता गया 
रम्भा --हाँ चले गये, मई उन्हें बहुत चाहती हु 
मन्नू--क्या आपको सोना नही है 
रम्भा---अंगड़ाई लेकर)--हाँ, ई ऍम टायर्ड 
मन्नू--टायर, कंहा है, क्या अभी खेलोगी 
रम्भा--नो, ई वांट स्विमिंग 
मन्नू--यंहा तो चुलु भर पानी भी नही है 
रम्भा--कम ऑन , मुझे स्विमिंग ड्रेस मे…। कहते हुए रम्भा स्विमिंग कि बिकनी में आ जाती है 
मन्नू (दोनों आँखे बंद करते हुए )-------आप कंहा डबरा में छपाक छपाक करेगी 
रम्भा--स्विमिंग करने से फ्रेश हो जाउंगी 
मन्नू( आँखे बंद किये)इतनी रत को , कंहा जावोगी, चलो सो जाओ 
रम्भा-------तुम भी स्विमिंग ड्रेस पहनो 
मन्नू---ओके, आप आँखे बंद करो 
रम्भा आँखे बंद करती है, मन्नू अपने ओरिगनाल ड्रेस पंत कमीज में आ जाता है 
मैंन्नु--आँखे खोलो 
रम्भा--(आँखे खोलकर )ओ, तुम, खल्वती कंहा गयी 
मन्नू-----ओ , चुल्ल्लु भर पानी में डूबने गयी है 
रम्भा (खुदको मन्नू के घाघरे से डक्ट हुए) अआप , यंहा। ।मै नही रहूंगी 
मन्नू--आपकी सिक्यूरिटी यंही है, लीजिये ये कपडे पहन लीजिये 
मन्नू रम्भा को घाघरा चुनरी देता है )
रम्भा उसे पहनकर बहुत अच्छी लगती है 
मन्नू---आप तो हेमा मालिनी लग रही है 
रम्भा-- क्या, शोले कि हेरोइन 
मन्नू--आप तो खुद itum bom हो 
रम्भा इस पर नाराज हो जाती है 
मन्नू--बड़ी तुनक मिजाज हो 

Friday, 1 November 2013

मन्नू को रम्भा ड्रेस देती है 
रम्भा स्कर्ट देते हुए -ये लो तुम ये इतना सारा झमेला क्यूँ पहने हो , इसे पहनो 
मन्नू (स्कर्ट को देखते हुए )-----हे भगवन , तूने मुझे ये दिन दिखाना था 
रम्भा--ओ , कहलवाती , आप मत शर्माओ, इसमें बहुत स्मार्ट दिखोगी 
मन्नू----नही मेरी माँ, मई शर्म से मर जाउंगी, मिट जाउंगी, पर ये स्कर्ट, नही बाबा 
रम्भा--कम ऑन कहलवाती , तुम इतनी इन्नोसेंट लगोगी 
मन्नू--नही बीबी जी, इसमें तो मई पूरी शुतुरमुर्गी लगूंगी, मेरी  टांग आपकी जितनी अच्छी नही 
रम्भा--डोंट  वरी , आओ,  बिस्तेर पर बैठ क्र हम   लूडो खेलते है 
मन्नू ९शर्मने का अभिनय करते हुए )---नही बीबी जी, लुडक पदक करने से तो मई प्रेग्नेंट हो जाउंगी 
रम्भा(मन्नू को बिस्तेर पर खींचते हुए )--सो फनी , यु आर इंटरेस्टिंग, कम ऑन 
ज्योंही बिस्तेर पर रम्भा मन्नू को लेकर बैठती है, बिजली ही चली जाती है 
मन्नू अँधेरे में जोर से रम्भा को पकड़ क्र भींच लेता है 
रम्भा------ड्रॉ नही, खालवती , मई हूँ न ,ये क्या है 
मन्नू-- वो मई प्रेग्नेंट हो रही हु 
तभी बिजली अति है 
रम्भा(बिस्तर पर ऑरेंज देखकर चीखते हुए )-कहलवाती , ये ऑरेंज 
मन्नू(अपने को पल्लू में छिपाते हुए )-बीबी जी, मुझे बहुत शर्म आ रही है, ये ऑरेंज नही ह, ये ऑरेंज कलर के अंडे है 
रम्भा (अस्चर्य से चीखते हुए )--यूम,   क्या ये अंडे तुमने दिए ह 
मन्नू शरमाते हुए ------हाँ बीबी जी, अभी आपसे मई लिपटी तो, प्रेग्नेंट हो गयी थी 
रम्भा(जोरों से हंसते हुए ०)मीन्स , यु, ओ, आईटी कांत बे हप्पेंड 
मन्नू---बीबी जी मई कंही भी किसी से लिपटती हु, तो प्रेग्नेंट होहो जाती हु , इसलिए बिजली जाती है, तो मई बहुत डॉ जाती हु 
रम्भा---थैंक गाड़ जो, तुम  अंडे देती हो, वर्ण कितनी मुस्किल होती 
तभी जगमोहन आ जाता है 
मन्नू----(खुदको घुंगट में छिपाते हुए )बीबी जी, मई तो मर्द कि सांसो से भी प्रेग्नेंट हो जाती हूँ,… मई उदर छिप जॉन     

रम्भा ---जेम्स देअर कहलवाती इस वैरी इंटरेस्टिंग , सी , हर एग 
जगमोहन--व्हाट नॉनसेंस , ऐसा नही होता , वर्ण तुम भी प्रेग्नेंट हो जाती अब तक तो 
रम्भा---आप तो मुझपर यकीं ही नही करते
जगमोहन--संतरे छीलते हुए ) हूँ , कहलवाती के अंडे तो मीठे है
तभी मन्नू के रोने कि आवाज अति है
मन्नू(पतली आवाज में)मेरे एग खायेगा, तेरे कीड़े पड़े
रम्भा ऑरेंज छीन लेती है, --जेम्स तुम जाओ, प्लीस



Thursday, 31 October 2013

मन्नू   कलावती बनके अत है 
मन्नू घूँघट बीबी जी बीबीजी   संभलके --नमस्ते 
मन्नू--अपना घूँघट संभलके --बीबीजी नमस्ते 
रम्भा चौंककर ---तुम कौन हो 
मन्नू पतली आवाज में - जी बीबी जी मई कलावती हु 
रम्भा--यु मीन कहलवाती खलावती 

मन्नू -यस यस 

Wednesday, 30 October 2013

नही होता एतबार तो प्यार क्यों करते 
इलाज नही जानते तो , बीमार क्यों करते 

next scene

मन्नू  जगमोहन को सर से पांव तक देखता है 
तबतक कार से शहरी लड़की सजी धजी स्कर्ट में जगमोहन के हाथ में हाथ डाले कड़ी होती है 
मन्नू उछाल क्र सामने आता है 
मन्नू--भैय्या 
लड़की--जेम्स , हे इस कालिंग यु , दूध वाला भैया 
मन्नू---ये, दूधवाला होगा, तेरा भैया , जायदा मत लपक हाँ,
मन्नू--भैया , ये जेम्स कौन है 
जगमोहन अपनी टाई ठीक करता है---हम है 
मन्नू टाई पकड़ क्र खिंच लेता है---जरा गांव कि भाषा में बतिआवो , और ये कौन भईल , टम्झमक 
जगमोहन---ये है, हमारी लिव इन 
मन्नू--हटाओ, ये जरा दूर 
रम्भा--ये क्या कह रहा ह, उर सर्वेंट 
मन्नू-- अरे सर्वेंट होगा तेरा खानदान , हम तो गांव के रजा है , समझी 
रम्भा --डार्लिंग, हे इन्सुल्स में 
मन्नू अलग करके--- अरे पापिन, अबतो, छोडदे , कछु शर्म ह्या है कि नहीं , कपडे देखो इनकी, टांगन को सर्दी नहीं लगिल का , नागिन के 
रम्भा --जेम्स , इसे शुतुप करो 
मन्नू-- शूट उप तुझे शुतुरमुर्गी 
जगमोहन -रुको , देखो मन्नू, ये हमारी गेस्ट है 
मन्नू---गेस्ट क्या, अरेस्ट 
रम्भा--ये तो फोरेस्ट का सांड है 
मन्नू--देखो भैया , हमको कुछ कहेगी, तो हम नहीं रुकबिल 

जगमोहन -रुको, तुम इन्हे गेस्ट हाउस में ले जाओ 
मन्नू रम्भा को सर से पांव तक देखता है---हम्म्म्म 
रम्भा डरकर -नो, जेम्स , कोई लेडी नही है क्या 

मन्नू-हाँ ,है न लेडी डयना 
जगमोहन --ऐसा करो, किसी को 
मन्नू-हो जायेगा , हम कलावती को भज देंगे 
जग --ये कौन है 
मन्नू--ये समझो, अभी पैदा भईल बा 
मन्नू--भैया आप चलो, घर में गौर भौजी आपकी आरती उतरन कि रह दाखिल बा 
जगमोहन जाता है 
रम्भा घबराती है --जेम्स 
मन्नू--चलो, ज्यादा मत रम्भाओ। ।अओ 
वो उसे गेस्ट हाउस ले जाता है 
रम्भा- हमे डॉ लग रहा है , तुम जेंट हो, हम अकेले 
मन्नू--भैया के साथ डॉ नहीं लगता था 
रम्भा---वो गेंटलेमन ह,
मन्नू--तो, हम क्या नोगेंटल है 
रुको अभी कलावती अति है, भेजते है 
रम्भा अकेले डर्टी है , बहार से मन्नू कई आवाज  डरता है 
फिर वो कलावटी बनके अत है 
रम्भा--यु, खलावती 

next scene

अगला दृश्य 
मन्नू बीएस स्टैंड में उठकर अपने कपडे झाड़ता है 
सामने जो लक्सरी कार आकर रूकती है 
उस गाड़ी से मनु का बड़ा भाई जगमोहन सूटेड बूटेड उतरता है 
कार से उतरते हुए जगमोहन के बूट जजूते  पर केमरा कॉम्पैक्ट करता है 
कमरा धीरे से ऊपर देखता है , जगमोहन अपनी टाई  कि नोट ठीक करता है 
वो साथ वाली लड़की को हाथ बढ़ाकर कहता है , कॉम ऑन डार्लिंग 
अब मन्नू उछलकर उत्खड़ा होता है 
वो, अपनी पगड़ी सम्भलकर  जगमोहन को देखता है 

Tuesday, 29 October 2013

कल सन्डे नही मंडे था 
मई सन्डे समझती रही 
और सोचती रही कि 
आज सन्डे को बच्चे स्कूल क्यों गये  थे 
बच्चे स्कूल से लौट रहे थे 
तो मई सोचती रही कि सन्डे को 
भी उनकी क्लास लगी है 
आनन फानन में लिखने 
जरुरत होती है , ज्यादा ऊर्जा कि 

Monday, 28 October 2013

aaj sunday h

आज संडे है , आज शूटिंग नही होगी 
फिर भी देखती हूँ , क्या लिख सकती हूँ 
मन्नू बस से शहर जाने को स्टैंड पर अत है 
उसे छोरने के लिए पूजा अपनी सखियों के साथ आयी है 
मन्नू बार बार अपनी पेटी को सम्भालता है 
पूजा--देखो, रुपया पैसा संभलके रखना 
मन्नू---हाँ , वो रुपये कि गड्डी नाड़े में रख लिए है… 
पुजाचिल्लाकर)--अब ज्यादा मत बटअओ....ओओ 
तभी बस आ जाती है 
बस बहुत भरी है 
मन्नू----अरे बाप रे , ये तो हॉउस फूल चल रही है , कैसे जायेंगे 
तभी पूजा कि सहेली लाड़ली उसे बस के भीतर धकिया देती है 
तो, मन्नू को बस के भीतर से दूसरी महिला जोर से धक्का देती है 
मन्नू निचे गिर जाता है , बस आगे बढ़ जाती है 
साडी सहेलियों के साथ पूजा चित्त हो गये मन्नू को उठती है 
मन्नू को बहुत देर बाद होश अत है 
मन्नू--बैठे बैठे, अपनी गिरी पगड़ी उठाकर ) हम नही जाइबल , वंहा कि भीड़ से हमतो ,
पूजा--क्या होिबल
मन्नू-हमार दिमाग का फुज उदिल बा। . तभी जगमोहन कि गाड़ी कार धूल उड़ाते आ जाती है
अब, मन्नू के ऊपर धूल चढ़ जाती है
मन्नू (उठकर)धूल जड़ते हुए ०)देखकर नहीं चलिबल क…हुन
तभी कार रूकती है ,और वंहा से जगमोहन उतरता है 

Sunday, 27 October 2013

mannu jata h, padma bhabhi ke pas

मास्टर शॉट 
वाइड ओपन करते है 
साइन ५ 
मन्नू अपनी पद्मा भाभी के पास जाता है 
ये गाँव के बहार का द्रश्य है 
कैमरा एक घर की बगिया को देखता है 
चरों और का शॉट लेते है मन्नू के पास 
एक नन्हा बच्चा आता है 
मन्नू--अरे , जोगल भैया , क्या हमारे संग शहर चलोगे 
पद्म भाभी  अति है , उसने सीधे पल्ले की साडी पहनी है 
मन्नू-भाभी प्रणाम 
पद्मा --काहे बबुआ , बहुत दिनों बाद गौरा के भौन्वरा को छुट्टी मिली है 
मनु--भाभी , काहे , तन मार रही हो ,बीएस जल्दी से हमको मिठाई खिल दो ,
पद्म --कहे के लए 
(आप भोजपुरी में पढ़िए )
मन्नू -गौरा भौजी को कुछ होने वाला है 
पद्म --तबतो, बबुआ को हम लड्डू खिलैब्ल 
मन्नू---भाभी ये, लो , कछु रख लो 
पद्म--रहने दो , आपकी भाभी दुई हाथन से कामिल सकब 
मन्नू-भाभी , ये जुगल का अधिकार है , हम शहर जा रहे है , भैया को कोई छिट्ठी देनी हो, तो बता दो 
पद्मा -रुको 
यंहा मन्नू जुगल के साथ खेलता है 
पिंजरे की मैन की बोली जुगल बताता है 
भीतर से पद्मा चिट्ठी व् लड्डू लाकर देती है 
मनु-चिट्ठी  तो हम नही पढेंगे , विश्वास करो 
पद्मा -हमका अपने देवरवा पर सारे जग से ज्यादा विश्वास है, सच कहिबे 
तबी वंहा पप्पू आ जाता है, वो अपने गधे हांक रहा है 
पप्पू -क्यों , मनुआ , दोनों तरफ की खीर भाकुसिल का , कच्छु हमका भी खाने दो 
मन्नू उसे मरने को उठता है 
पद्मा-(रोकते हुए)अपने गुस्सा को कण्ट्रोल करील बा 
मन्नू भाभी के पांव छूकर जाता है 
जुगल--हमारे लिए का लाओगे 
मन्नू -ट्रक्टर लैब 
पद्मा हंसती है 
जुगल--नही हवाई जहाज उदैइल 
यंहा सीन कट  करते है,
दिस्सोल्व करते हुए नेक्स्ट सीन दिखाते है 

Friday, 25 October 2013

bnaras ki byar: mannu yani manmauji

bnaras ki byar: mannu yani manmauji: सीन  नो  ४  मनमौजी से हमारा कैमरा एक लॉन्ग शॉट से  होरिजोंताली साथ चलता है  मन्नू पूजा को उसकी चुनरी देने जाता है  पूजा , पूजा करने जा ...

mannu yani manmauji

सीन  नो  ४ 
मनमौजी से हमारा कैमरा एक लॉन्ग शॉट से 
होरिजोंताली साथ चलता है 
मन्नू पूजा को उसकी चुनरी देने जाता है 
पूजा , पूजा करने जा रही है 
मन्नू उसको चुनरी ओध देता है 
दोनों के बिच प्रेम के बिज अंकुरित होते है 
मन्नू को अगले सीन में घर में दिखाते है 
वंहा मन्नू गौरा भौजी को पुकारते हुए घर अत है 
कैमरा मन्नू की नजर के साथ भीतर अनुप्रस्थ जाता है 
भाभी आचार खा रही है 
मन्नू ,--भौजी, का क्र रही , वो भी चुपके चुपके। . पता चलता है 
भौजी को कुछ है मन्नू बहुत खुश होकर भौजी को उठाना चाहता है 
फिर कहता है- न बाबा, कुछ एस वैसा हो गईल तो… 
मन्नू गाँव की  अमराई में गता है 
आने वाला है, हमार भतीजा 
इस गीत में सभी उसका साथ देते है 
मन्नू अब भौजी को कोई कम नही करने देता 
यंहा सीन ओ/स में ह 
ओवर तू सोल्जर शॉट है 
भौजी पानी भरने जाने वाली है , मिडिल शॉट में दिखायेंगे 
मन्नू--ओ, भौजी, मन्नू के होते, एसन में तुम पानी भरोगी , तो मन्नू चुल्लू भर पानी में न मर जायेगा 
भौजी फिर भी पानी भरने जा रही है 
मन्नू घागरी छीन लेता है 
मन्नू भौजी को बिठा क्र घर के सरे घग्रे, व् घड़ों में पानी भरके सर पर एक के उपर एक रखता है मन्नू(सर पर चार कलशे रखकर)--हूँ, अब एक साथ भर लिया, बार बार कौन ले जाहिल 

उधर लाडली की सहेलियां छुप के देखती है 
लाडली---हाँ, जाहिल, अभी टोका ब्तहिल 
लाडली सहित साडी लड़कियां गुलेल से मारकर मन्नू के सर के कलशे फोड़ देती है 
मन्नू-(चिल्लाकर)--ये , तोड़फोड़ कौन करील बा , हमार भतीजा अहिल तो 
लाडली व् साडी लड़कियां----भतीजा अहिल, और तू जो कई सालन से हमरी घागरी तोदिल , तो…. मन्नू-
मन्नू--तोहर घागरी तो, सही सलामत  दिखिल,……. 
ये सुनते ही, लाडली व् साडी लड़कियां उसके पीछे दौड़ती है, की उसे पकडकर बंदगी 
मन्नू--तुतुतु। । करते भागता है, और एक पेड़ पर चढ़ जाता है 
मन्नू(उपर से )--अब, ये मनुआ , तुम्हार हाथ न एहिल, हान… 
साडी लड़कियां उसे चिदक्र चली जाती है 
बाद में मन्नू रत में छपके पानी भरता है 
ये द्रश्य दिखाते है, दिसोल्व में, ओप्तिचल्स का प्रयोग क्र , वाइप सीन दिखाते है 
एक शॉट में पिक्चर धीरे से दिखती व् लुप्त होती है , दुरे में लोप पिक्चर दिखाई देती है 
इसे ऑप्टिकल तकनीक कहते है 

Thursday, 24 October 2013

bindiya me love notes

बिंदिया  में छपे है 
लव नोट्स 
नोव्म्बेर अंक में देखे 

bnaras ka bsant

बनारस के बसंत का 
कंही अंत नही होगा 
क्योंकि, ये तो, 
म्रत्युन्जय की नगरी है 
जन्हा कर्म है 
म्रत्यु का उत्स है 
और नश्वर जीवन को 
महत्व मिलता है 
उसकी मस्ती से 

bnaras ka utsav

जब कुछ नही होगा 
तब भी बनारस रहेगा 
तुम्हारे प्यार की तरह 
खुशगवार 

तुम्हारा वो बेलौस 
मुस्कराने का अंदाज 
भर देता है 
जिंदगी में जीने की उर्जा 

बिना तामझाम के 
बिना बनावट का 
तुम्हारा रूप सिद साधा 
बहुत भली लगती है 
तुम्हारे देखके 
हँस देने की अदा