Saturday 31 December 2016

कल, बहुत 
कल बहुत अकेला लगा 
इस लगा जाने सब साथी कन्हा चले गए 

Thursday 29 December 2016

      शुरू  करना चाहूंगी 
हंस अकेला जाए , का 
सफर 

Saturday 24 December 2016

KAAHE KO BULAYA MUJHE BALMA SUHANE PAL VOL. 3 {SANDEEP KUMAR SAHU}

Aap Mujhe Achchhe Lagne Lage - Jeetendra - Jeene Ki Raah

Aa Mere Hamjoli Aa - Tanuja & Jeetendra - Jeene Ki Raah

Aap Aaye Bahar Aayi- Koyal Kyun Gaye- Lata Mangeshkar, Mohd Rafi

LE CHAL LE CHAL MERE JEEVAN SAATHI - Mukesh & Hemlata - VISHWAS (1969)

DO KADAM TUM BHI CHALO, DO KADAM TUM NA CHALE - Mukesh&Lata - EK HASINA ...

DO KADAM TUM BHI CHALO, DO KADAM TUM NA CHALE - Mukesh&Lata - EK HASINA ...

Chaudhavin Ka Chand Ho - Guru Dutt, Mohammed Rafi, Chaudhavin Ka Chand Song

Babul Ki Duayen Leti Ja Mohammed Rafi VIDEO WITH DIGITAL STEREO AUDIO ...

Yahan Badla Wafa ka Bewafai - JUGNU 1947 Mohammad Rafi

Tuesday 20 December 2016

bnaras ki byar: मेरे परम मित्र किशन पल तोमर जी की कविता आप हाई को...

bnaras ki byar: मेरे परम मित्र किशन पल तोमर जी की कविता
आप हाई को...
: मेरे परिचित  किशन पल तोमर जी की कविता  आप हाई कोर्ट में वकील है......              १                           जिंदगी विश्वास से रोपी ...
मेरे परिचित  किशन पल तोमर जी की कविता 
आप हाई कोर्ट में वकील है...... 
            १                          
जिंदगी विश्वास से रोपी जाती है 
सींचि जाती है 
जब वफादारी का फूल खिलता है 
तो वो साड़ी जिंदगी को 
खुशबु से भर देता है 
नासमझ इसको नही समझते 
                              kps तोमर 
आप लगातार मुझे क़ानूनी सलाह देते है 

Monday 12 December 2016

bnaras ki byar: bahut लम्बे वक़्त से मित्र है, किशनपाल तोमर जी डेल...

bnaras ki byar: bahut लम्बे वक़्त से मित्र है, किशनपाल तोमर जी 
डेल...
: bahut लम्बे वक़्त से मित्र है, किशनपाल तोमर जी  डेल्ही हिघ्कोर्ट में वकील है  अपनी कवितायेँ लिख भेजे है  यंहा दे रही हूँ, तोमर जी की कवित...
bahut लम्बे वक़्त से मित्र है, किशनपाल तोमर जी 
डेल्ही हिघ्कोर्ट में वकील है 
अपनी कवितायेँ लिख भेजे है 
यंहा दे रही हूँ, तोमर जी की कविता 
जो मुझे भी अच्छी लगी है 
            १                                 
लोग कहते है 
अपने सच्चे प्यार को भुला देना ही 
सच्चा प्यार है 
ये कैसा विचित्र संसार है 
( है, न )
                    २                              
तुम्हारे
तुम्हारे प्यार की अग्नि में 
जो घर जले 
उन्ही में से 
एक घर मेरा था 
ये बात और थी कि 
तुम्हारे घर में उजाला था 
मेरे घर में अँधेरा था 
तुम हंसे 
मई रोया था 
तुम तो चैन से सोये 
आग लगाकर 
मई साड़ी रात न सोया था 
(ये किसी दिलजले की कविता हो सकती है, न )
                                                                            
ये 
ये 
ये तोमर साहब की कविता है 
मई तो पखेरुओं की कविता लिखती हूँ 
जो आशावादी हो 
जाने ने, कब स्कुल के दिनों में ये लिखा हो 

Sunday 11 December 2016

bnaras ki byar: आज आसमान में आज आसमान में पखेरुओं के झुण्ड को उ...

bnaras ki byar: आज आसमान में 
आज आसमान में 
पखेरुओं के झुण्ड को 
उ...
: आज आसमान में  आज आसमान में  पखेरुओं के झुण्ड को  उड़ते देखा  एक साथ  वे कई तरह की  दीर्घ बनाकर  उड़ रहे थे 
आज आसमान में 
आज आसमान में 
पखेरुओं के झुण्ड को 
उड़ते देखा 
एक साथ 
वे कई तरह की 
दीर्घ बनाकर 
उड़ रहे थे 

bnaras ki byar: tomar ji ki kavita

bnaras ki byar: tomar ji ki kavita: किशनपाल तोमर की कविता  करता हूँ समर्पण करके  सबकुछ उसको अर्पण  मगर फिर पूछता हूँ  खुद ही अपने आप से  क्या है, मेरी खता  जिसको मैं पान...

tomar ji ki kavita

किशनपाल तोमर की कविता 
करता हूँ समर्पण करके 
सबकुछ उसको अर्पण 
मगर फिर पूछता हूँ 
खुद ही अपने आप से 
क्या है, मेरी खता 
जिसको मैं पाना चाहता हूँ 
क्या है उसका पता 

Saturday 3 December 2016

bnaras ki byar: kishanpal tomar ki kavita

bnaras ki byar: kishanpal tomar ki kavita: मैंने भी लिखा था  तुमको एक खत  मगर लौट आया  कि पानेवाले का  पता नही था  कितना यथार्थ  कितना सच  जान लिया था उसने भी  जिसको मैं चाहत...

kishanpal tomar ki kavita

मैंने भी लिखा था 
तुमको एक खत 
मगर लौट आया 
कि पानेवाले का 
पता नही था 
कितना यथार्थ 
कितना सच 
जान लिया था उसने भी 
जिसको मैं चाहता था 
उसका ही पता नही है 
तुम कंही भी रहो 
मगर जरूर लिखना इतना 
हमने तुमको छह था, उतना 
( ये मित्र , परिचित किशनपाल तोमर की की कविता sms से प्राप्त हुई है )

Monday 28 November 2016

bnaras ki byar: तुम्हारी हंसी ऐसी जैसे गंगा जी में नहाके निकली ...

bnaras ki byar: तुम्हारी हंसी ऐसी 
जैसे 
गंगा जी में 
नहाके निकली ...
: तुम्हारी हंसी ऐसी  जैसे  गंगा जी में  नहाके निकली हो  वाराणशी 
तुम्हारी हंसी ऐसी 
जैसे 
गंगा जी में 
नहाके निकली हो 
वाराणशी 

Sunday 27 November 2016

bnaras ki byar: क्याक्या सिर्फ  मौसम गीत गाते है ये पर्वत , नदी ...

bnaras ki byar: क्या
क्या सिर्फ  मौसम गीत गाते है 
ये पर्वत , नदी ...
: क्या क्या सिर्फ  मौसम गीत गाते है  ये पर्वत , नदी , पंछी नही 
क्या
क्या सिर्फ  मौसम गीत गाते है 
ये पर्वत , नदी , पंछी नही 
किसी बात पर मेरी बहु ने मुझे ये सुना दिया 
कि 
तूने तो पंडित के पीछे अपनी जवानी बर्बाद की 
सुनकर मुझे झटका सा लगा 
फिर वह  चली गयी थी 
बाद में  वापस  आयी 
तब मैं घर से बाहर गयी  थी 
 तो, वह सामने गेट  इन्तजार क्र रही थी 
पुत्र , भी बाहर गया था 
ज्यूंहि मेरी नज़र पड़ी 
वह बहुत ही खूबसूरत लगी 
लगा मोबाइल से चित्र ले लूँ 

Saturday 26 November 2016

बहुत हैरान हूँ 
अपने बाकि ब्लोग्स को नही प् रही हूँ 
यंहा तक कि dashbourd भी नही मिल रहा क्या करूँ 

Friday 25 November 2016

किसी 
किसी नई खबर का इन्तजार रहता है 
जब दिल बेकरार रहता है 

Wednesday 23 November 2016

sabke dimag me ynhi rahta hai ki
हमे हमक्या करना है
सड़के टूटी है
कोई एजेंट ठीक काम नहीं क्र रहा तो
हम क्या करें
ठेकेदार की

Saturday 19 November 2016

अपने बचपन के वे दिन याद आते है , जब बुआ जी के घर मई अपने ४या ५ वर्ष की उम्र में सामने की छापरी में बैठती थी, एक कोने में जो ऊँची सी बेंच की तरह बनी थी. 
वन्ही बैठकर मई अकेली ही , देखती थी, एक तिकोने आकर की बाइस्कोप को, जो कांच की चूड़ियों के टुकड़े, कई आकृति में नज़र आते , वन्ही मैं मगन होकर देखा करती , और उसी में जाने कबतक खोई रहती थी। 
शायद वन्ही से मुझे visual, द्रश्य से लगाव हो गया 

Thursday 17 November 2016

bnaras ki byar: bahut dinon se

bnaras ki byar: bahut dinon se: बहुत दिनों बाद आज कुछ रिलैक्स हूँ, वरना सर की शिराएं तद तड़ करती थी  प्रकाशक से कुछ बात हो सकी है  बहुत दिनों से सोच रखा है, कि नई किताब श...

bahut dinon se

बहुत दिनों बाद आज कुछ रिलैक्स हूँ, वरना सर की शिराएं तद तड़ करती थी 
प्रकाशक से कुछ बात हो सकी है 
बहुत दिनों से सोच रखा है, कि नई किताब शुरू करनी है 
और जाने क्या क्या 
बहुत दिनों से 
एक कविता की पन्तियाँ याद आती है 
बहुत दिन हुए 
बहुत दिन बीते 
खुले आकाश से बतियाये हुए 
वो ऊँचे ऊँचे पेड़ों के निचे खड़े होकर 
आसमान की और निहारना 
और फिर किसी पखेरू को उड़ते देखना 
किसी चिड़िया का गीत सुनना 
बहुत दिन बीते 
(सोच रही हूँ, दिल की बात ,इसी तरह से , कहूँगी 
कुछ कुछ गद्य में , कुछ काव्य में,)

Tuesday 8 November 2016

अपनी नई किताब जो कि मेरा संस्मरण है 
प्रारम्भ करना चाहती हूँ 

Sunday 30 October 2016

जो दिवाली बुआ जी के घर मनाये थे 
वो दिन वो दिवाली फिर नही आयी 

Friday 21 October 2016

उस  पुराणी अभिनेत्री को जब वो अस्पताल में थी , तो नरगिश देखने गयी थी, तो बहुत परेशां हुई थी, उनकी हालत देख क्र। 
और जब वे घर पर अकेली ही सब कुछ सह रही थी, तब अशोक कुमार उन्हें देखने गए तो, उनकी दुर्दशा देखकर उलटे पांव लौट गए थे 

Sunday 16 October 2016

उस पुराणी अभिनेत्री की परवशता में उसके सेवक उसके साथ ज्यादती करते थे। 
जिसे बलात्कार कह सकते है 
इतना लिखना भी दोष जैसा लग रहा है 

bnaras ki byar: पुराणी अभिनेत्री मीनाकुमारी के अंतिम दिन बहुत दुखद...

bnaras ki byar: पुराणी अभिनेत्री मीनाकुमारी के अंतिम दिन बहुत दुखद...: पुराणी अभिनेत्री मीनाकुमारी के अंतिम दिन बहुत दुखदायी थे।  उन्हें उनके सेवक ही बेईज्जत क्र देते थे. उनके ऊपर अनेक अत्याचार करते थे।  मई य...
पुराणी अभिनेत्री मीनाकुमारी के अंतिम दिन बहुत दुखदायी थे। 
उन्हें उनके सेवक ही बेईज्जत क्र देते थे. उनके ऊपर अनेक अत्याचार करते थे। 
मई यंहा लिखने की हिम्मत नहीं क्र पा रही हूँ 
वास्तविकता बताने एक दिन की  चाहिए। 

Tuesday 9 August 2016

अभी कोई शब्द नही है 
बस , चिड़ियों  चहचहाट सुन रही हूँ

Sunday 24 July 2016

वर्ष को निहारते नयन 
ईश बर्ष फिरसे बारिश मद्धिम हो गयी 
जल्द पानी बरसे 
और सावन को अर्थ दे

Thursday 21 July 2016

जल्द अपनी आत्मकथा लेकर आउंगी 
अभी नई किताब आ रही है

Friday 8 July 2016

आजकल नहीं लिख सकी 
इतनी उलझन थी

Friday 24 June 2016

अपना लैपटॉप लिया है है
जल्द अपने ब्लॉग लिख सकुंगी 

Wednesday 22 June 2016

bnaras ki byar: अपना लैपटॉप ले लिया है जल्द हीजैसे ही इंटरनेट शुर...

bnaras ki byar: अपना लैपटॉप ले लिया है जल्द ही
जैसे ही इंटरनेट शुर...
: अपना लैपटॉप ले लिया है जल्द ही जैसे ही इंटरनेट शुरू होगा इत्मीनान से अपना ब्लॉग लिखूंगी
अपना लैपटॉप ले लिया है जल्द ही
जैसे ही इंटरनेट शुरू होगा
इत्मीनान से अपना ब्लॉग लिखूंगी 

Saturday 18 June 2016

एक देश है , भारत 
जंहा , बहुत भाषण-बजी होती है 
पर कोई गौओं पर हो रहे जुल्म 
कम नहीं करता 
सब मुंह बजाते है, बस 

Wednesday 15 June 2016

bnaras ki byar: गौओं को बिना चारा -पानी के दोहना उनपर अत्याचार है...

bnaras ki byar: गौओं को बिना चारा -पानी के दोहना उनपर अत्याचार है
...
: गौओं को बिना चारा -पानी के दोहना उनपर अत्याचार है आप रातदिन जीवों पर अत्याचार करते है और कहते है, कि मौसम बेरुखी करता है प्रकृति मेहरबान...
गौओं को बिना चारा -पानी के दोहना उनपर अत्याचार है
आप रातदिन जीवों पर अत्याचार करते है
और कहते है, कि मौसम बेरुखी करता है
प्रकृति मेहरबान नहीं है
पर आप इंसान होकर जीवों पर दया नहीं दिखाते
और उन्हें सताते है
तब आप प्रकृति से दया की आशा कैसे करते है
आपको भी प्रकृति पर रहम करना होगा
तब ईश्वर आप पर दया बरसाएंगे 

Monday 13 June 2016

bnaras ki byar: गौओं के साथ सभी बेरुखी करते है उन्हें खिलाने की ब...

bnaras ki byar: गौओं के साथ सभी बेरुखी करते है 
उन्हें खिलाने की ब...
: गौओं के साथ सभी बेरुखी करते है  उन्हें खिलाने की बात तो दूर  उन्हें पालने वाले  उन्हें पानी तक नहीं पिलाते  उनका इलाज नहीं करते  उन्हे...
गौओं के साथ सभी बेरुखी करते है 
उन्हें खिलाने की बात तो दूर 
उन्हें पालने वाले 
उन्हें पानी तक नहीं पिलाते 
उनका इलाज नहीं करते 
उन्हें यूँ ही छोड़ देते है 
भक्ति के नाम पर नाचगाने से कुछ नहीं होगा 
आप कृष्ण की तरह 
गऔ की सेवा कीजिये 
बेमतलब गौ-माँ कहने से कुछ नहीं होता 

Sunday 12 June 2016

bnaras ki byar: भारत देश सबसे बड़ा गौ-मांस निर्यातक है ये क्या हमा...

bnaras ki byar: भारत देश सबसे बड़ा गौ-मांस निर्यातक है 
ये क्या हमा...
: भारत देश सबसे बड़ा गौ-मांस निर्यातक है  ये क्या हमारी सरकार को नहीं दिख रहा  बिना वोट की परवाह किये  गौ-हत्या बंद हो  हैदराबाद के कत्लखा...
भारत देश सबसे बड़ा गौ-मांस निर्यातक है 
ये क्या हमारी सरकार को नहीं दिख रहा 
बिना वोट की परवाह किये 
गौ-हत्या बंद हो 
हैदराबाद के कत्लखाने बंद हो 

Tuesday 7 June 2016

मई बिजली ऑफिस जाती थी 
ये बताने की 
ज्यादा रीडिंग दी जा रही है 
तब, एक बिजली कर्मी ने कहा था 
आप प्राइम मिमिस्टर को लिखती हो 
इससे कुछ नहीं होगा 
जो भी क्र सकते है 
सिर्फ शिवराज सिंह करेंगे
मैंने कहा 
नहीं प्रधानमंत्री ही सबकुछ करेंगे 
तभी से अचानक 
हमारे अस्थायी कनेक्शन पर 
दोगुना चार्ज बढ़ा दिया गया 
जंहा ५००   वंही १००० रुपये  
मिनिमम चार्ज १३०० लगते है , अब 

Wednesday 1 June 2016

देश में 
देश में नागरिकों  जगना होगा 
इसीलिए सिविल राइट्स अवेयरनेस फोरम बनाया है 

Wednesday 11 May 2016

क्या आप ये नहीं सोचते की प्राणियों म भी 
जान होती है 
वे भी कराहते है 
फिर आजके स्मार्ट इंसान 
उनकी परवाह क्यों नहीं करते 
क्यों उन्हें बेदर्दी से 
कत्ल किया जाता है 
ाृ पर उल्टा लटका क्र 
उन्हें काटा जाता है एक 
सैंड यंहा से गुजरता है 
जिसकी आँख जख्मी है 
मुझसे ये सब देखा नहीं जाता 
हमारे देश में लोग 
इतने मानसिक रूप से 
क्रूर क्यों है 
वे पशुओं से बर्बरता से क्यों पेश आते है 

Tuesday 10 May 2016

bnaras ki byar: अच्छा नहीं लगता जब गौओं के काटे जाने की खबर देखती...

bnaras ki byar: अच्छा नहीं लगता 
जब गौओं के काटे जाने की खबर देखती...
: अच्छा नहीं लगता  जब गौओं के काटे जाने की खबर देखती हूँ  मन भीतर तक ुदश  और वीरान सा हो जाता है  लोग गावों में  गौओं को काटे जाने  बेच...
अच्छा नहीं लगता 
जब गौओं के काटे जाने की खबर देखती हूँ 
मन भीतर तक ुदश 
और वीरान सा हो जाता है 
लोग गावों में 
गौओं को काटे जाने 
बेचते है उन्हें 
भूखा प्यासा रख जाता है ट्रकों में मारकर 
जबरदस्ती खींचकर 
निर्ममता से 
ले जाते है 
क्रूरता किसीके भी प्रति हो 
वो, उदास करती है दिल में 
हमेशा दर्द का दरिया भ्त है 

Friday 29 April 2016

बेटे का विवाह संपन्न किया 
ईश्वर का लाख लाख शुक्रिया 

Friday 22 April 2016

bnaras ki byar: हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है मैंने अपनी जि...

bnaras ki byar: हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है 
मैंने अपनी जि...
: हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है  मैंने अपनी जिंदगी में , पेड़ों को कट्टे कट्टे काटते देखि हूँ  और खेतों को प्लाट में बदलते  अब हवाएं ...
हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है 
मैंने अपनी जिंदगी में , पेड़ों को कट्टे कट्टे काटते देखि हूँ 
और खेतों को प्लाट में बदलते 
अब हवाएं पहाड़ों से टकराकर नहीं रूकती 
वे बदल जाने कंहा गए जो बरसने के बाद भी बरसने को तत्पर होता थे 
हमारे स्मार्ट सिटी और  सिर्फ स्वार्थ की बातें करते है इतना स्वार्थ की 
अपने सम्राज्य को बढ़ते है पर खेत -खलिहान, गौओं की हिफाजत नहीं करते 
और प्राणियों के लिए कोई जगह नहीं बची है 
गौरैया जो हमारे घर-आँगन की साथी थी, जाने कंहा चली गई 
अब अलसभोर में गौओं  व् कौवों की आवाज नहीं रही 
कौवे जो सुबह के पहले, ब्र्ह्ममुहत में कण्व कांव करते थे 
और हमे सुबह के पूर्व जगते थे 
हमारी दुनिया में प्राणियों का स्थान नहीं रहा 
लोग पैसों के लिए , गांवों गांवों गांवों गौ को दुहते है 
गौ पालन अब श्रद्धा का विषय नहीं रहा 
गौ हमारे घर की सदस्य नहीं रही 
सदस्य्ता सदस्य्ता सदासयता नहीं रही 
प्रेम करुणा करुणा नहीं रहे 
लोग स्मार्ट ऐसे बने की क्रूर हो गए 
भ्रस्टाचार की नदी बही , और गंगा सूखने लगी 
हमें ऐसे पाखण्डो का विरोध क्र समाज में दया भाव को लाना है 
ये सच की भावनाएं मर चुकी है 
पर उसे जिलाना है 
जो मुर्गे बेचते है,वे उन्हें   रखते है 
पे मुर्गियों को पानी नहीं देते 
मैंने संघ वालों को लिखा है, कि गौ पलकों को सही बात बताई जाये 
मैंने गौरैयों के संरक्षण हेतु उप्र के अखिलेश यादव जी को पत्र लिखा है 
उन्हें धन्यवाद कहा है कि 
उन्होंने पक्षियों के लिए घोंसले बनते है 
पुरे देश को इसका अनुसरण करना है पत्रकार जो गांवों के है 
पर्यावरण को बचने की बातें करें 

Tuesday 19 April 2016

bnaras ki byar: मन्नू ने रम्भा को लिखी पाती ये समुद्रमंथन से निकल...

bnaras ki byar: मन्नू ने रम्भा को लिखी पाती 
ये समुद्रमंथन से निकल...
: मन्नू ने रम्भा को लिखी पाती  ये समुद्रमंथन से निकली अप्सरा  तुझे क्यों न भए आगरा  meansताजमहल  तुम ताजमहल को निरखो  और सब तुम्हे देखे ...
मन्नू ने रम्भा को लिखी पाती 
ये समुद्रमंथन से निकली अप्सरा 
तुझे क्यों न भए आगरा 
meansताजमहल 
तुम ताजमहल को निरखो 
और सब तुम्हे देखे 
सच sweetheart
ताज को देखती 
तुम कितनी निर्दोष लगती हो 
तुम्हारा संगमरमरी सौंदर्य 
ताज से रत्ती भर कम नहीं 

Koi Sehari Babu - Mumtaz, Farida Jalal, Asha Bhosle, Loafer Song

Aagre Se Ghagro Mangai De Rasiya - Asha Bhosle, Mumtaz, Chor Machaye Sh...

Sunday 17 April 2016

प्यार के नाम पर खेल करना
ये अपराध की राह होती है 

bnaras ki byar: जिंदगी में आप हमेशा प्यार में नहीं हो सकतेये कोई ...

bnaras ki byar: जिंदगी में आप हमेशा प्यार में नहीं हो सकते
ये कोई ...
: जिंदगी में आप हमेशा प्यार में नहीं हो सकते ये कोई खेल-खिलौना नहीं जिसे जब चाहा खेल खेला और मन भरते ही छोड़ दिए प्यार हमेशा बहुत गम्भीर म...
जिंदगी में आप हमेशा प्यार में नहीं हो सकते
ये कोई खेल-खिलौना नहीं
जिसे जब चाहा खेल खेला
और मन भरते ही छोड़ दिए
प्यार हमेशा बहुत गम्भीर मामला है
ये एस नहीं कि जब मर्जी आये करने लगो
बहुत गम्भीर अहसास होता है और बार बार किसीके दिलों से खेलना
ये कतई प्यार नहीं होगा 

Friday 15 April 2016

मन्नू ने रम्भा से कहा
ये सर पर हाथ रखके ,
जो इतराती हो
सच ,इतराती हुई भी बहुत प्यारी लगती हो 

Monday 11 April 2016

मन्नू  रम्भा की अदाओं पर होकर फ़िदा 
बस इन्ही कह सके 
तुम बहुत इतराती हो 
सच। ....... अपनी 
शोख शरारती छवि को देखो 

Sunday 10 April 2016

realy interesting
तू बहुत ज्यादा 
 कभी कभी 
मन्नू ने रम्भा की अदाओं पर 
मचल क्र कहा 
रम्भा ने बीएस इन्ही कहा 
ये कौन है मनचला
हंसने के लिए जिगर चाहिए 
और बहुत जिगर से 
हंसती है तू 
वाकई 
तेरी मुस्कराहट 
जिंदगी की जंग से जितके 
आती होगी

Monday 4 April 2016

बहुत मीठा मुस्कराती हो 
जो तुम्हारे साथ मुस्कराता है 
उसे भी अपनी मिठास से भर देती हो 

Sunday 3 April 2016

एक होती है जिंदगी 
संग तुम्हारे मुस्कराती 

Thursday 31 March 2016

 कुछ दिनों से परेशां थी 
घिर सी गई थी 
अब ठीक हूँ 
मुझे लगता है अब समस्या 
नहीं रही 
और जिंदगी फिरसे 
पहले जैसी चलेगी 
घर के साइड में बनते मकान से 
कुछ समस्या आ गई थी मेरे 
घर का पनि जाने का रास्ता 
बंद हो गया था 
तब अपने घर के आँगन में 
सोकपिट गढ्ढा बनाया 
अब सब कहते है पीछे 
बारिश का पानी 
वंही चले जायेगा 
thank god 
तू सभी की सुनता है 

Friday 25 March 2016

ऐज आगे मन्नू ने कुछ नहीं कहा 
बस रम्भा की आरती करते रहे 
सदा प्रसन्न रहिये 
रम्भा रानी 
आपकी कृपा बने रहे 
और जिंदगी स्मूथली चलती रहे 
सदा सुखी रहे हम 
कोई न हो गम 
जिंदगी रहे आसान 
तो, म.... मिले रस्ते आसान 
सबका हो समाधान 
सुखकर हो जीवन 
बने हम इंसान 
सच्चे इंसान 
प्रीती से भरे 
और मुश्किलें हो आसान 
जय रम्भा रानी 

Thursday 24 March 2016

मन्नू ने मनभावन रम्भा की याद में पस्त होकर लिखा 
प्यारी रम्भा 
जग से न्यारी रम्भा 
सबसे खूबसूरत लगे 
तेरी ादए प्यारी प्यारी रम्भा 
तो 
आराधना सिंह ने कहा 
मन्नू भैया 
काहे ,
कविता का उखाड़ रहे हो खम्बा 
बबुआ , काहे , परेशां हो 
जब नहीं आती कविता करनी 
तो, काहे हाथ आजमाते हो 
मन्नू ने लिखा 
वो, न्यारी न्यारी 
प्यारी प्यारी रम्भा 
तुम ये अंगड़ाई लेती हो, जब जोर जोर से। .... 
आगे से समझ लो 
आराधना ने कहा 
एक हाथ भी पढ़ गया तो 
नज़र न आओगे 
जब कविता नहीं आ रही तो काहे 
बना रहे हो, जबरन 
मन्नू मन मसोस क्र बोले 
अंगड़ाई ले ले क्र सबको बहला देती हो 
सच तुम्हारा जवाब नहीं स्वीटहार्ट 
उ र लुकिंग , ोवरस्मार्ट 
रम्भा ने इतना ही कहा 
मन्नू मत लो,
हमसे पंगा , सच 

Sunday 20 March 2016

मन्नू ने रम्भा को चिट्ठी लिखी 
स्वीटहार्ट , कैसी हो 
क्यों इतनी मगरूर हो गयी 
दुनिया में सब तुम्हे देख सकते है 
एक मन्नू को ये आज़ादी नही है 
कबतक रूठी रहोगी 
कुछ तो  रहम करो 

Thursday 17 March 2016

तुम्हे देखे और 
सोचे बबीना भी 
बिना भी 
दिन बिट रहे है 

Tuesday 8 March 2016

bnaras ki byar: जम्मू कश्मीर में अतनी मुठभेड़ के वक़्तदिनभर पकपरस्त...

bnaras ki byar: जम्मू कश्मीर में अतनी मुठभेड़ के वक़्त
दिनभर पकपरस्त...
: जम्मू कश्मीर में अतनी मुठभेड़ के वक़्त दिनभर पकपरस्ती के नारे लगाना मस्जिद से इन्हे संचालित करना क्या है और वे पार्टीयां क्यों खामोश है ...
जम्मू कश्मीर में अतनी मुठभेड़ के वक़्त
दिनभर पकपरस्ती के नारे लगाना
मस्जिद से इन्हे संचालित करना
क्या है
और वे पार्टीयां क्यों खामोश है
जिन्होंने देश को इन हालातों तक पहुंचा दिया है
किसानों की आत्महत्या पर खामोश
और देशद्रोहियों की खातिर लड़ने-मरने वाली
ये नेतागीरी क्या चाहती है
वोटों के खातिर
देश के खिलाफ जाने वाले
देश को चूसने वाले
ये राजनेता देश की बर्बादी चाहते है तभी तो, कश्मीर में
सेना पर हो रहे पथराव पर
ये चुप रहते है
इन्हे संसद के हमलावरों की बरसी में
अपने वोट बैंक का लालच दीखता है 
 एक ऐसा चेहरा
जिसे याद कर मन पुलक उठता है
कोई ताजगी सी मन में छाती है
जैसे ईश्वर का कोई स्वरुप हो
इसतरह से आश्वासन मिलता है 

Monday 7 March 2016

bnaras ki byar: मुखड़ा उसका किसी दवा से कम नही वो, जब भी मिली मुस...

bnaras ki byar: मुखड़ा उसका किसी दवा से कम नही 
वो, जब भी मिली 
मुस...
: मुखड़ा उसका किसी दवा से कम नही  वो, जब भी मिली  मुस्कराती हुई मिली  ऐसा नही कि  उसकी जिंदगी में  कोई गम नही  मुखड़ा उसका  किसी दवा से ...
मुखड़ा उसका किसी दवा से कम नही 
वो, जब भी मिली 
मुस्कराती हुई मिली 
ऐसा नही कि 
उसकी जिंदगी में 
कोई गम नही 
मुखड़ा उसका 
किसी दवा से कम नही 
अपनी समस्या को भूलकर 
वो सबकी प्रसन्नता के लिए 
मुस्करा रही 
मुखड़ा उसका 
किसी दवा से 
कम नहीं 

Sunday 6 March 2016

मैं हमेशा इन्हीं सोचती हूँ
कि हम भ्रस्टाचार को कैसे मिटाये
इसपर उनिवेर्सित्य उनिवेर्सित्य यूनिवर्सिटी में कोर्स शुरू क्यों नही करते
 जब हम ये पढ़ेंगे कि हमें भ्रस्टाचार को कैसे नही होने देना 

Wednesday 2 March 2016

 भी जब गौओं भी
जब भी गौओं को जख्मी देखती हूँ
दिल तेदेपा उठता है
नही मिलता जो मेरी इस तड़प को जाने
मई अकेले ही लिखती हूँ
पर कोई साथ नही मिलता
ऐसा लगता है
सब  मुझे सनकी समझते होंगे
मई कुछ हद तक अपने मिशन के लिए जूनून से भरी हूँ
हमेशा अकेले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखती हूँ
किसी को नही बताती
 इसमें मेरा पैसा लगता है
अपना वक़्त २० बरसों से  हुआ
इन्ही कर रही हूँ
पर  प्रतिसाद नही मिलता
मेरे आसपास वाले नही जान सकते कि
मई कितना pmji को को  भेजती   हूँ
 हाँ,  मोदी जी जी के समय से पत्र मिल मिल रहे है
ये  मेरा पागलपन  कबतक चलेगा चलेगा , पता नही
 किसी ngo से से जुड़ना चाहती हूँ
गौओं के  के लिए चिकित्सा हो , ये  मेरा सपना है 

likhne se

लिखने से मुझे  रिलैक्स लगता है
ये सच  कि  नही मिलता
कभी ही डेल्ही प्रेस से एकाध लेख स्वीकृत हो तब मिलता है
वो,  नमक बराबर भी नही होता
पर मई लिखती  क्यूंकि , ये मुझे सुकून व् धीरज देता है
एक सहस व् धैर्य से भर  जाती हूँ जब लिखती हूँ कई
बार निराश होती हूँ ,   हूँ
  

Tuesday 1 March 2016

मेरा मन्ना है
मानना है, कि
एक झटके में
गौओं का कत्ल
फ़ौरन बंद किया जाए
जिस क्रूरता से
गौओं को हलाल किया जाता है
उसे रोक जाए
आखिर क्यूँकर
 आस्था के प्रतिक गायों का
क्रूरतापूर्वक
कत्ल सहते रहेंगे
उन्हें बहुत जघन्य तरीके से
हलाल करते है
हैदराबाद के एक एक्सपोर्ट के कत्लखाने में
बहुत  क्रूरता से
वे  कत्ल की जा रही है
ये मई प्रधानमंत्री जी से
निवेदन करती हूँ कि
गौहत्या तत्काल प्रभाव से
बंद की जाए 
रोजाना ऐसी बात नही होती
कि सब आपको देखे या सुने
आपको एकांत भी झेलना होता है
फिर एक लम्बा एकांत और अपने
में डूबा सृजन ही अपना साथी
मई भी ऐसी ऊंघती सृजनता में
अपनी ही बात में घूमती
तबतक नया उच्च नही पाती
जबतक नया न पढ़ा जाए
लेकिन उसका कोई अवसर नहीं
कितने बरसों से
मनपसंद कोई किताब नहीं पढ़ी
न लिख सकी
पढ़ना छह रही थी
निर्मल वर्मा को
किसी पहाड़ी किताब को या शिवानी की कोई
बांकी सी नावेल 

Monday 29 February 2016

देखे बिना उसका चेहरा 
वक़्त लगता है 
ठहरा ठहरा 

bnaras ki byar: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है आप उस...

bnaras ki byar: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है 
आप उस...
: जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है  आप उसके साथ कदम नही मिला रहे होते है  उलझे मन को मई इन्ही कहूँगी  कि वह , अपने को समझाये  ...
जब मन उलझा सा रहता है वक़्त तेजी से भागता है 
आप उसके साथ कदम नही मिला रहे होते है 
उलझे मन को मई इन्ही कहूँगी 
कि वह , अपने को समझाये 
और धीरज रहे रखे 
सब कुछ ठीक होगा 
सब कुछ संभल जायेगा 
मेरी प्रॉब्लम सुधरेगी 
सब ठीक होगा इसी आशा में मई 
परमात्मा को याद कर लेती हूँ 
आप भी यदि कोई समस्या हो तो 
प्रभु को स्मरण कीजिये 
जिसे आप मन ही मन मानते हो उसे 
इतना पता है, कि 
समस्या का हल मुझे ही निकलना है 
और प्रयास करते रहना है 

Sunday 28 February 2016

bnaras ki byar:  होंगे आप सोच रहे होंगेकी कि ये बनारस की बयार    ...

bnaras ki byar:  होंगे आप सोच रहे होंगे
की कि ये बनारस की बयार    ...
:  होंगे आप सोच रहे होंगे की कि ये बनारस की बयार    कौन है ये रेनू नामकी एक लड़की है जो बनारस के bhu में अध्ययन कर रही थी  ,वंहा नही कंही ...
 होंगे आप सोच रहे होंगे
की कि ये बनारस की बयार    कौन है
ये रेनू नामकी एक लड़की है
जो बनारस के bhu में अध्ययन कर रही थी
 ,वंहा नही कंही   और रहती है
पर बनारस की बयार और पारिजात की नायिका एक ही लड़की है
वो, फिरभी मेरी मित्र सूचि में नही है
मई उसे पत्र लिखकर निवेदन कर  सकती हूँ
पर सफलता में संदेह है
कि  प्रार्थना स्वीकारे
दरअसल गलती मेरी ही रही है 

Thursday 25 February 2016

बुआ  जी के घर के के वो शांत स्थिर दिन
जब  दोपहर की चाय के पहले
दौड़ कर बाजू वाले सेठ की दुकान से
तोता छाप चाय लाती थी
तो तोते को बहुत ध्यान से देखती थी
ध्यान तोते की वजह से लग जाता था
या माहौल का असर था
आज भी याद आते है
वो, दिन पुरअसर ध्यान लग जाने के
जब बुआ जी दोपहर की चाय
ओसारे में बैठकर पिया  थी 

Wednesday 24 February 2016

 तुम्हारी हंसीं ऐसी
जैसे अभी अभी
गंगा जी से नहा कर
निकली हो,
वाराणसी
कोई कंही भी जाये
तुम हरदम हो दिल में
बसी 

Tuesday 23 February 2016

ये हसीना
तुम्हारी हंसी
ऐसी जैसी
वाराणसी
प्रातः के रश्मियों में
खिली निखरी वाराणसी
ऐसी हंसी
जो सबके दिल में बसी
सच
कंही नही देखि
तुम्हारे जैसी 

Sunday 21 February 2016

कलसों वाली
कलशों वाली
जलसों वाली
तेरी हर अदा है
निराली 

Friday 19 February 2016

सुमुखि
बसंत भी तुझ बिन
सूना है 

Wednesday 17 February 2016

bnaras ki byar: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जब...

bnaras ki byar: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जब...: मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जबलपुर स्टेशन रेलवे प्लेटफार्म नं ६ पर कुछ बदमाश आ गए, वे बहार से सीधे प्लेटफॉर्म में पहुंच...
मैं जब गोरखपुर गयी थी, सब कुछ ठीक होता , किन्तु जबलपुर स्टेशन रेलवे प्लेटफार्म नं ६ पर कुछ बदमाश आ गए, वे बहार से सीधे प्लेटफॉर्म में पहुंचे, उनकी संख्या ५ रही होगी , उन्होंने वंहा से गुजरते हुए , एक पगली को इतनी जोरों से गलियां गालियां निकली, इतने जोरों से वे लोग गाली बक रहे थे, रात के १२ बजे, रेलवे प्लेटफार्म उनकी गालियों से गूंजता रहा , पर वंहा मौजूद पोलिस गार्डों ने कोई एक्शन नहीं लिया, न ही वे वंहा आये, न उन्होंने उन दबंगों को प्लेटफार्म में गालियां बकने से रोक, मई वंही थी, मेरे पास खड़े होकर वे गुंडे गालियां बकते रहे, मेरे कान में गर्म शीशा जैसे उड़ेला  गया हो, पर मई कुछ नही कर सकी, उन्हें रोकने चीख नहीं सकी, फिर मुझे प्लेटफार्म में थोड़ा आगे जाना हुआ, तो वंहा मौजूद पुलिस वाले अजीब तरीके से घूरते रहे, फिर एक पोलिस वाला वंही खड़े होकर , पटरी की और मुख कर पेशाब करने लगा , ये सब मर्माहत करने वाला था, जो रक्षक थे , वे ही  गंदी हरकतें कर , माहौल को गंदा कर रहे थे, उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं था, कि कोई संभ्रांत महिला वंही से आ जा रही है, रात १२ बजे थे, वे लोग निर्लज्ज होकर नंगापन कर रहे थे, जो शर्मनाक व् घृणित था, वंहा कोई ऐसा नंबर नही दिया था, कि आपके समक्ष कोई पोलिस वाला वंही खड़े होकर पेशाब करने लगे, तो आप क्या करे, ये बेशर्मी की पराकाष्ठा थी, की कैसे रात के १२ बजे एक महिला के सामने गार्ड अपने को उधेड़ रहे थे, वे नग्न नही हुए थे बस , बाकि उन्होंने सभी हरकत ओछी व् बेशर्मी की की थी, ट्रैन परिसर में एक और गुंडों की गलियां थी, तो दूसरी और थी, पोलिस वालों की नंगे पण की इंतहा , और हम अपने को शर्मशार होकर नज़रे चुरा रहे थे, ये मामला था, जबलपुर के सबसे आधुनिक प्लेटफार्म का, जो नवीनता से भरा है, पर वंहा की पोलिस आज भी उसी थर्ड डिग्री युग में जी रही है, वे मुझे किस बात की सजा दे रहे थे, गुंडों की नंगी गालियां, फिर पोलिस वालों का घूरना व् पेशाब करना, वंहा , जिसे माँ बहन की नंगी गालियां , माँ की, बहन की........ सुनकर कान में जैसे पिघला शीसा डला था, और पुलिस वालों के गंदे तरीके से घूरने व् वंही खड़े होकर, पेंट की जीप खोलकर पेशाब करने से मई आँखों को इधर उधर कर, उस गलत दृश्य से खुद को बचाने में लगी थी, मुझे शर्मिंदा कर वे गार्ड जैसे अपना कर्तव्य पूरा किया थे, ये थी, हाल में की गयी गोरखपुर यात्रा के पूर्वार्ध की हक़ीक़त , ३ माह पूर्व की हादसा , और पोलिस वालों का असली चेहरा, वंहा किसी से जाकर कहने के लिए वक़्त नही था, न कोई नंबर वंहा लिखा था, की आपके बाजु में खड़े होकर कोई पोलिस वाला पेशाब करने लगे तो, आप किसे बताएंगे , ये थी पुलिस की ड्यूटी पर की गयी अकर्मण्यता , और निहायत निर्लज्ज हरकत , जिसे मैंने अपने रिज़र्वेशन के टिकिट के साथ प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी में लिख कर भेज दी थी, और मई क्या कर सकती थी, जो पोलिस वंहा हमारी रक्षा के लिए थी, उनमे से एक वंही हमारे पास आकर अपनी पेंट खोलकर पेशाब करने लगा, आप अपनी इज्जत बचाने चाहे तो ट्रैन के सामने कूद जाए, वे वंही खड़े होकर पेशाब करेंगे, क्यूंकि रात के १२ बजे, फिर कोई शर्म लिहाज शायद पुरुषों में नही बचती, वे लोग कंही भी नग्न होने को मानसिकता में तैयार रहते है, इसके लिए आप किस सीस्टम को दोषी ठहराएंगे , जबतक ये सब होगा, वह पोलिस वाला जा चूका होगा ,......... 

Tuesday 16 February 2016

bnaras ki byar:                                                  ...

bnaras ki byar:                                             
     ...
:                                                                                         देश के जो हालत है वे ठीक नही लग रहे है देश में भ्...
                                            
                                          
देश के जो हालत है वे ठीक नही लग रहे है देश में भ्रस्टाचार बहुत बढ़ गया है 
जो न्याय है, वो नही हो पता पाटा 
जो कम नंबरों से जज बन गए वे कानून को नही समझते 
संविधान भी कम नंबर वालों को जज बनाने वाला बना 
उसमे संसोधन कर , आरक्षण बढ़ा दिया 
अब, कम नंबर वाले जो करे सो कम 
प्रशाशन में सेंध लग गयी है रोज काम कम बखेड़ा ज्यादा होता है देश के अधिकारी 
कर्तव्य नही करते , जो धान सरकार  ,वो खुले में रखते है 
और , बारदाने के बिना धान फेंका जाता है, भींग जाता है कानून कंही नही है 
जंगलराज सब जगह नज़र आ रहा है देश की हालत अच्छी नही है ज्यूँ ज्यूँ दवा की 
रोग बढ़ते ही गया  

Monday 15 February 2016

जी हाँ
जी हाँ , मई गोरखपुर गयी थी 
बालाघाट से गोरखपुर तक कि यात्रा किसी रोमांच से कम नही थी 
यूँ तो , मैंने जीवन में बहुत यात्रा की है 
अपने हाथ पांव की २० उँगलियों के २० चक्रों की वजह से 
मुझे जब १ वर्ष कुछ माह की थी, तब माँ के घर से बुआ जी के घर चली गयी थी , मुझे स्वा-डेढ़ वर्ष की उम्र में माँ की गोदी से बुआ के अंचल में विस्थापित होना पड़ा था , और मैं खुश रही , हर हाल में अपने अनुकूल पाती हूँ , और समायोजन करती हूँ 
ये सब कोई अंजानी अदृश्य शक्ति से होता है 
गोरखपुर जाते हुए, जबलपुर में में  गलत गलत अनुभव हुए , 
 फिर भी  आसमान में पक्षियों  देख ने ने  ललक ठंडी  रही क्यूंकि पक्षी  खेतों में डाले कीटनाशक खा गए 
इश्लीए पक्षी बचाने कीटनाशक  विरुद्ध आईये 
वो इतनी खूबसूरत लगती है 
इतनी प्यारी है ,
कि शब्द ही नही मिलते 
सिवाय इसके कि 
वो खूबसूरत लगती रहे 
और उसे निहारा जाए 

Sunday 14 February 2016

दिल में तेदेपा नही होती  तो 
दिल में दर्द नही होता तो 
हमे पता ही नही चलता 
कि प्यार क्या है 
प्यार को जानने समझने 
एक ऐसा दिल चाहिए 
जिसमे दर्द हो 
जो तडप सके 
वरना थोड़े से में 
आक्रामक हो जाना 
प्यार नही होता 
जब, सुनती हूँ कि 
कोई अपनी माशुका की हत्या कर देता है 
तो, वंहा सिर्फ हवस का अहसास होता है 

Saturday 13 February 2016

वह  इतनी खूबसूरत है 
कि शब्द नही मिलते कि 
कैसे उसकी खूबसूरती बयान करे 
किसी को बहुत ज्यादा देखने की इक्षा को प्यार कहते है, क्या 
किसी को बहुत ज्यादा देखने की इक्षा को तो, प्यार नही कहते 

Friday 12 February 2016

पक्षियों की आवाजों के बिना सुबह-साँझ ठीक नही लगती 
और ये महसूस होता है कि अदृश्य हाथों ने 
उनका शिकार किया है पखेरुओं को पकड़कर 
कुछ कंपनियां बहार भेज रही है 
इनमें olx भी है आप पक्षियों की तस्करी को रोकिये जन्हा भी हो, उनकी शिकायत करे 
हम शिकायत नही करते, तो अपराध बेलगाम होते रहते है यंहा 
बालाघाट में कुछ बिना नंबर की गाड़ियों में लकड़ी ले जाई जाती थी 
मैंने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को की थी , तब वंहा से पत्र आये , और वन उपमंडल अधिकारी को मेरा बयान लेना हुआ , बीएस मैंने फिर pmoको लिखा, की वे साबुत मांगते है, तब यंहा के सप sp ने जाँच की  ,बहुत बड़ा रेकेट पकड़ाया, जो वनकर्मियों संग मिलकर जंगल की अवैध कतई में वर्षो से लगा था , बड़े अधिकारी भी लपेटे में आ गए , अब तो जाँच है, वे पकड़े गए 
मुझे लगता है, पेंच प्रोजेक्ट में भी बाघों को ऐसे ही गिरोह द्वारा मारा जा रहा है, उनकी भी शिकायत भी की है ये फिरसे वनकर्मियों की मिलीभगत लगती है एक 
iasने ऐसी साजिशों पर भी किताब लिखी है , जो मिल का पत्थर साबित होगी 

Thursday 11 February 2016

पेंच तोिगर टाइगर प्रोजेक्ट करोरो  करोड़ो खर्च के बाद बाघों को नही बचा सका है , वे १४ में से १३ मारे गए , फिरभी सरकारें सोती रही , और एक के बाद एक बाघ मारे जा रहे है, बेहद क्रूर व् जघन्य तरीके से। तब सरकार ऐसे महकमे को क्यों रखे है, जो अपने काम नही करते , सरकार उन्हें नौकरी से नही हकलती ःकालती , इसीसे  वे हमेशा जमे रहते है 
देश ऐसे लोगो के हाथो में है, जिन्हे अपनी जिम्मेदारी से मतलब नही 
अब तो पखेरू, पक्षी भी नही मिल रहे, उनका जमकर शिकार हो रहा है 
ये बनारस की बयार से एक साक्षात्कार है 
मैडम , आपको ये नए नए फैशन करना इतना क्यों पसंद है 
आप इतनी प्यारी वेशभूषा कहा से सोचती हो 
ये भी कि आप अपने श्रृंगार में इतनी सफल हो, कैसे जानती हो, इतना अच्छा मेकअप कैसे कर लेती           हो 
आपका ड्रेस सेन्स बहुत सुपर है 
आप एक कलात्मक नारी हो,
ऐसी युवती हो , जिसका सानिंध्य हर कोई चाहेगा 
आप जानती हो, कि आप हर दिल अजीज हो 
आपकी मनमोहनी मुस्कराहट बरबस सबका ध्यान खींचती है 
और , सब आपके वशीभूत हो जाते है 
आपका ये दिव्य आभामंडल है , जन्हा की आप सम्राज्ञी हो 
बताईये , क्या इसमें कुछ झूठ है 

Wednesday 10 February 2016

  कल मैं संघ कार्यालय गयी थी, एक वैचारिक ऊर्जा महसूस होती है 
अपनी बात जो कहना चाहती हु,, उसके लिए कोई मंच मुझे नही मिलता 
समझ में नही आता किनसे ये सब कहु 
हमारे देश में ये मंच नहीं है 
जो मंच चलते है, वे बड़े शहरों में है 
छोटे शहर में भ्रस्टाचारी अपना गिरोह चलते है जो 
राज्य सरकार की  योजनाओं में  लगाते है, उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है 
ये चाहे जिस जाती समज समाज के हो, इनकी एकता अभूतपूर्व होती हैहै 
ये हमेशा सरकारी योजना का पैसा  खाए, ये हमेशा जानते है, और मिलकर कहते खाते है 
इनकी यूनिटी चूँकि, स्वार्थ व् मतलबपरस्ती पर होती है, ये सदैव एकजुट रहते है 
अपने शहर में देखती हूँ, जो करोड़ों की योजना है, उनका हश्र ये होता है, कि कोई भी उन्हें छू भी नही सकता, ये बड़े संगठित रूप में , अपने योजना के पैसे खाने को अंजाम दे रहे है बालाघाट में ५०० करोड़ की एक योजना मलाजखंड की है, इसका कोई प्रतिसाद नही दीखता.जो नक्सली होने से पैसा आता, उसका कोई प्रतिसाद नही दीखता.जो आयोजन होते है, उसका कोई परिणाम नही मिलता. ४० करोड़ की नल पानी की योजना है, सोचने की बात ये है, कि क्या किसी को  मतलब है 
शायद यंहा लोग कोई सारोकार  रखते, जो सामाजिक काम करे, उसे निकम्मा मानते हुए, या तो, अनदेखा करते है, या थान थान
   लोगों को जानकारी देने ई कोई मंशा नही होती 
बसें पलट जाती है, पर रस्ते ठीक नही होते मैंने अपने क्षेत्र की समस्याओं पर लगातार प्रधानमंत्री जी को लिखा, तब यंहा जो सड़कें खोदी गयी थी, उनका कोई काम होते दिख रहा, पर कबतक  पता, ४-५ किलोमीटर की १३ हजार करोड़ की योजना लचर तरीके से बन रही सड़कें, और कोई आगे आने को तैयार नही, सड़क चाहते है, तो उसके लिए आगे आईये, जो पैसा सरकार भेज रही है, उसका हिसाब क्यों नही देते , बहुत दारुण स्थिति है,
और लोकतंत्र सलीब पर टंगा है  

Tuesday 9 February 2016

bnaras ki byar: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्र...

bnaras ki byar: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्र...: ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्रशासन को पलीता लगा दिया , इसने भ्रस्टाचार को शिष्टाचार में बदल दिया ,हमने कभी इस बात पर सम...
ये लिखना इतना आसान नही था , कि आरक्षण ने हमारे प्रशासन को पलीता लगा दिया , इसने भ्रस्टाचार को शिष्टाचार में बदल दिया ,हमने कभी इस बात पर समीक्षा नही की।  आज भी यदि भाजपा अपने आपको अकेली महसूस न करे तो, वह सुशासन के लिए आरक्षण को ख़त्म कर सकती है, क्यूंकि नई नई मांग उठ रही है, सभी जातियां जब आरक्षण मांगने लगेगी तो , देश क्या सिर्फ आरक्षण  चलेगा। यदि मुझे आज के लिए ये सत्ता मिल जाए ,  बिना वोट  परवाह किये,  आरक्षण  तुरंत हटा दूंगी, यूंकि मुझे सत्ता  ज्यादा देश  प्यार है, जन्हा जातिवाद   का नामोनिशान न रहे और और , हम देश में ज्यादा काबिल लोगो को नौकरी  लाये। 
आज तो ये हाल है , कि सभी या  आरक्षण या , सिफारिश से चुने  रहे है। 
भ्रस्टाचार  आरक्षण के कारन है ,  खत्म करने के लिए आरक्षण  ख़त्म करे, जो १० वर्ष के लिए था , अभी तक क्यों चल रहा है. ये वोट की राजनीती , देश को घुन की तरह खा रही है, क्यूंकि जबतक आरक्षण है, भ्रष्टाचार से हम नही लड़ सकते , इसे हिम्मत कर मिटाना होगा , क्यूंकि, जो आरक्षण से आते है, वे सरकारी नौकरी में सिर्फ भ्रस्टाचार का कूड़ा फैलाते है। 
यंहा बालाघाट में एक वासनिक इंजीनियर ने ५० लाख का घपला किया , वो पकड़ा जाकर ससपेंड है, बीएस, ५० लाख भी खा लिए , और जो पूल बनाया वो टूट गया, ग्रामीणों को भारी तकलीफ है. एक आरक्षण वाले के लिए , किने गांव वाले मुसीबत झेल रहे , क्या वे वोटबैंक नहीं है. क्या आपने ये नही देखा कि कितने ट्रेनों में बिना टिकिट यात्रा करते व् अपराध करते है, वे कौन लोग है. दरअसल वे वंही है, जिन्हे आरक्षण चाहिए, वे टिकिट भी नही देते, कोई जिम्मेदारी  भी नही निभाते, कंही न तो चोरी रोकते है, न कोई बड़ा काम करते है, आरक्षण के बाद ज्यादा आत्मकेंद्रित और स्वार्थी हो जाते है, ये लोग खुलकर रिश्वत लेते है, इन्हे कोई नही रोकता, जो दलितों का हरिजन एक्ट बना है , ये उसका गलत फायदा उठा रहे है, उन्हें पुलिस नही पकड़ सकती , वे यदि जज है, तो कोई अच्छा फैसला नही देते , कोई नवीनता उनके उनके काम में नही होती। 
उन्हें देश से मतलब नही, बीएस मलाईदार विघग विभाग उन्हें चाहिए. उन्हें कभी सेना में जाने का मन नही, क्यूंकि वंहा आरक्षण नही होता, जान देनी होती है। 

Monday 8 February 2016

bnaras ki byar: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि ...

bnaras ki byar: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि ...: जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि आज़ाद भारत में उन्ही हिन्दुओं को लोग कोसने लगे, जिन्होंने देश के लिए ज्यादा किया, देश में ...
जी हाँ , ये हिन्दुओं के लिए एक सदमे की तरह है, कि आज़ाद भारत में उन्ही हिन्दुओं को लोग कोसने लगे, जिन्होंने देश के लिए ज्यादा किया, देश में जिन्होंने ज्यादा योगदान दिया , और पुनरुत्थान में भाग लिया 
लोगों ने ये सब स्वीकार लिया, जब हमारे संविधान में आरक्षण जोड़ा गया, शायद इन्ही एक मात्र मौलिक था, मेरे देश के संविधान में.हिन्दू हमेशा से सहिष्णु रहे, और उन्होंने हिन्दुओं के जो अधिकार कम किये गए, इन सारे परिवर्तनों को चुपचाप स्वीकार कर लिया। वे एक बार फिरसे जैसे निशाने पर थे.ज्यादातर जो गुरुकुल चलते थे, वे बंद कर दिए गए, लार्ड मैकाले की शिक्षा में गुरुकुल कंही नहीं आये,  जबकि मदरसे व् अन्य शिक्षा चलती रही, पर जो हमारे ऋषि गुरुकुल चलते थे, वे बंद हो गए.इससे हमारे जो ब्राह्मण थे, वे सब बेरोजगार हो गए. एक और तो, ऐसे दलितों को नौकरियां मिल रही थी, जो न तो, ठीक से पढ़े थे, न ही वे शिक्षा में कुछ  रहे थे. हमारे हिन्दू समाज ने सबकुछ स्वीकार लिया। उनकी सदियों की रूढ़ियों पर जो भी आक्षेप आये, उन्हें, हिन्दुओं ने समझा और आज हिन्दू समाज अपने ओ रूढ़ि मुक्त कर रहा है वंही, उसे जीविका इ लिए बहुत ज्यादा संघर्ष करना है.जब ब्राह्मणों को उनकी शिक्षा व्यवस्था से वंचित किया गया, जो हिंदुस्तान की सर्वाधिक प्राचीन शिक्षा प्रणाली थी, वे हामोशी से इसे सह गए। देश में हिन्दुओं ने कभी अपना विरोध नही दर्ज कराया. जबकि अपने आप पर सारे आरोपों को झेलते हुए, अपना श्रेष्ठ करते रहे। 
आप पाथेर पांचाली , सत्यजित रे ई मूवी देखे, पाएंगे, कि एक ब्राह्मण परिवार के पास आज़ाद भारत में गुरुकुल छीन जाने से रोजी रोटी से वंचित होना था, वे जिंदगी से लड़ते हुए, वाकई में चले गए 
बहुत से पंडित परिवार के लड़के उनदिनों इस्तेमाल हुए, वे गलत रास्तों पर हांक दिए गए, फिर उन्होंने अपनी शिक्षा पर केंद्रित किया, और वे विदेश में नौकरी पर जाने लगे. इधर जो दलित सरकारी सेवा में थे, वे या तो भ्रस्टाचार करते , या वे देश के हिन्दुओं को हिजाते, व् दोष मढ़ते, इन्ही उन्होंने किया। 
इससे ज्यादा उन्होंने जॉब , नौकरी में कोई योगदान ऐसा नहीं दिया , जिसे हम रचनात्मक कहते। 
देश में बामसेफ ने बहुत गलत तरीके से हिन्दुओं की बुराई कि , सत्ता उन्हें आर्थिक सहायता देती थी. 
अब हम चाहते है, की हिन्दू क्यों, सबकी फीस का खर्च वहां करे, जबकि दलितों को कम नंबर में नौकरी दे रहे है. क्या ये दलित, शिक्षा में कोई योगदान देते है.....??

Sunday 7 February 2016

bnaras ki byar:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि देश में आज़ादी ...

bnaras ki byar:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि 
देश में आज़ादी ...
:  हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि  देश में आज़ादी के बाद हिन्दुओं को अलग-थलग करके  मार जा रहा है  नहीं पता क्यों  देश में जातियों को बढ़...
 हमेशा ये मैंने जाना व् समझा है कि 
देश में आज़ादी के बाद हिन्दुओं को अलग-थलग करके 
मार जा रहा है 
नहीं पता क्यों 
देश में जातियों को बढ़ावा देने 
आरक्षण का घिनौना खेल खेला जा रहा है 
क्या दूसरे हिन्दुओं के पास पैसों का झाड़ है 
जो, उनसे दोगुनी फीस वसूलते है,
और sc/st ko छूट देते है 
वो, एक साल था जब 
sc/st२८ थे 
उनमे से सभी का जीरो मार्क्स पर भी चयन हुआ 
वो, भी मजिस्ट्रेट के पद पर 
क्या उन्होंने कोई सच्चा न्याय किया 
और रही 
सहिष्णुता की बातें 
जब ज्ञात है 
की गाय हमारी माँ है तब क्या 
हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए 
jnuमें 
बीफ पार्टी राखी 
 आज हिन्दुओ को तै करना है 
कि वे किसी भी स्कूल व् परीक्षा की 
दोगुनी फीस क्यों भरे उन्हें भी छूट दी जाए 
इसके लिए 
साधारण कैटेगरी वालों को 
अपनी मांग के लिए 
सरकार के सामने मांग रखनी होगी कि 
वे भी sc?st जितनी ही फीस भरेंगे 
हम दो तरह की 
फीस प्रणाली का विरोध करते है 
ये भी कि 
जिन्होंने आरक्षण पाया 
क्या उनके वर्ग ने 
देश को कुछ दिया 
कितनी देश सेवा वे कर रहे है कितना काम 
व् सेवा वे बेहतर दे रहे 
या यूँ ही आप आरक्षण देकर देश की प्रशासनिक कुशलता को 
पलीता लगते रहेंगे 
आजसे सरकारें सबको समान फीस का लागु करे साधारण हिन्दू 
क्यों, अपनी जेब से sc/stकी फीस भरेगा ये उनसे दोगुनी 
ली जा रही है एक एक अत्याचार है 
हमे इसका विरोध करना होगा 
हम कबतक ये खर्च और क्यों झेलेंगे 
मई खुद परधान मंत्री जी को ये बात पत्र में लिखूंगी 
मेरा कहना है की 
क्या हिन्दू 
एक साधारण शख्श आजाद नही है 
उसे क्यों, सरकार इतनी ज्यादा फीस लेती है क्या 
क्या ब्रह्मिंस को गरीबी नही है 
और, असहिष्णुं क्या वे लोग नहीं 
जो, रातदिन विल्वझ 
हिन्दुओं को कोसते रहते है 
कुछ माह पूर्व जब 
रामनवमी के पहले 
कुछ दूसरे धर्म वालों ने 
एक हिन्दू लड़के की हत्या कर दी थी जो 
अवयस्क था फिरभी हमारी सरकार ने 
बात दबा दी थी 
एक हिन्दू लड़के की कुछ दूसरे मजहब वालों ने 
पीटकर हत्या कर डाली थी 
तब, किसी ने नही कहा की 
हिन्दुओं से असहिस्नुता होती है 
हाँ हिन्दुओं के धर्म व् पूजा पर 
कितना टिकटिप्पणहि होती है 
उन्हें मूर्ति-पूजक कहके गलियां दी जाती है तबतो, ओइ कुछ नही कहता 
क्या, ये सहिष्णुता है 

bnaras ki byar: ये बहुत जरुरी है कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त कर...

bnaras ki byar: ये बहुत जरुरी है 
कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त कर...
: ये बहुत जरुरी है  कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त करता  लेकिन इतनी गलत साइड में  हमारा लोकतंत्र चले गया  कि रातदिन  sc/st करते  वे देश ...
ये बहुत जरुरी है 
कि देश वास्तविक सत्ता प्राप्त करता 
लेकिन इतनी गलत साइड में 
हमारा लोकतंत्र चले गया 
कि रातदिन 
sc/st करते 
वे देश की नौकरियां बट्टे बताते वक़्त जाता है देश में जैसे 
आजादी sc/st के लिए हो 
देश इसकदर एक तरफा हो गया है 
इतने भेद इतनी परतें हो गयी है 
कि हम अब ज्यादा नही समझ सकते 
जो संविधान बनाया गया 
उसका केंद्र 
कुछ वर्ग व् जातियों को फायदा पहुँचाना 
व् नौकरियां देना था 
उसके बाद से 
लोकतंत्र ने 
नोट बांटकर वोट बटोरने 
और आरक्षण में 
अपने को ढल लिया है जो, नौकरी में चले गए 
उन्हें कुछ न तो करना है 
न कोई उनसे कुछ कराते है एकबार तो, ऐसा था 
कि जीरो नंबर लेन वाले २८ उम्मीदवारों को 
cjबना दिया गया 
उन्होंने कितने जायज फैसले दिए 
इसपर समीक्षा नही की गयी 
एक छात्र यूँ ही 
आत्महत्या कर लेता है और विपक्ष इ नेता उसे टूल देते है 
किन्तु ये नही कहते 
कि जो किसान आत्महत्या करते है 
उनतक पहुंचे